दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस हफ्ते बात उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की. आरोप है कि कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों ने गोरखपुर में हत्या कर दी. इसके बाद सरकार ने मामले को रफा दफा करने की गर्ज से मुआवजा देकर अपना पिंड छुड़ा लिया. लेकिन आरोपी पुलिस वाले जिन्होंने मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर में इस वीरता को अंजाम दिया वो फिलहाल फरार हैं.
आरोपियों पर लगाम की बात करने वाले राज्य में बीजेपी मंत्री के बेटे ने लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कथित तौर पर गाड़ी चढ़ा दी. लेकिन हमेशा की तरह हुड़कचुल्लू एंकर-एंकराओं ने अपनी तरफ से बहादुर सरकार के पक्ष में जमकर माहौल बनाया, सबने अपनी-अपनी थ्योरी इजाद की, अपने-अपने तीतर लड़ाए. किसानों को खालिस्तानी, उपद्रवी और हिंसक बताया गया. मंत्री और उनके पुत्र को शराफत का पुतला घोषित किया गया.
ये हुड़कचुल्लू बचाव में बेचैन हुए जा रहे थे जबकि सत्ताधारी दल के किसी नेता ने अपने मंत्री या मंत्री पुत्र के समर्थन में एक ट्वीट तक नहीं किया था. और फिर एक दिन बाद वह वीडियो सामने आ गया जिसने नीर-क्षीर का अंतर कर दिया.
अंत में बात टीटीएम यानी ताबड़तोड़ तेल मालिश. इस मौके पर शर्माजी का चैनल बाकियों से मीलों आगे निकल गया. बीस साल बेमिसाल टाइप घिसेपिटे जुमलो के जरिए शर्माजी ने खुद ताबड़तोड़ मोदीजी की मालिश की.
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