जागरण, न्यूज़ 18 हिंदी और इंडिया डॉट कॉम ने गलत जानकारी देकर की मोदी सरकार की तारीफ

जागरण लिखता है, अब किसानों को मिलेंगे 15 लाख रुपए, जल्द करें आवेदन वरना पछताना होगा.

WrittenBy:बसंत कुमार
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दरअसल एफपीओ कंपनी एक्ट और सहकारी समितियों के तहत रजिस्टर होता है. बकायदा यह एक कंपनी की तरह चलता है. सरकारी दस्तावेज के मुताबिक तीन साल में 18 लाख की वित्तीय सहायता एफपीओ की संपूर्ण प्रशासनिक और प्रबंधन लागत की पूर्ति के लिए नहीं है. यह एफपीओ को टिकाऊ और आर्थिक रूप से खड़ा होने तक की जाएगी.

सरकार की तरफ से बकायदा एफपीओ में काम करने वाले कर्मचारियों की सेलरी की भी जानकारी दी गई है.

जागरण का दावा

जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम किसान एफपीओ योजना का लाभ पाने के लिए किसानों को अभी थोड़ा इंतजार करना होगा.

हकीकत

जागरण का यह दावा भी गलत है. दरअसल कई राज्यों में एफपीओ चल रहे हैं. एफपीओ की क्रियान्वयन एजेंसी लघु कृषक कृषि व्यापर संघ (एसएफएसी), नाबार्ड और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडी ) हैं.

लघु कृषक कृषि व्यापार सहायता-संघ (एसएफएसी) की वेबसाइट के मुताबिक भारत में अभी उनके सपोर्ट से 897 एफपीओ चल रहे हैं. जिसमें मध्य प्रदेश में 146 और महाराष्ट्र में 105 हैं. वहीं कर्नाटक में 125 एफपीओ हैं.

एसएफएसी की ही वेबसाइट पर गैर एसएफएसी प्रचारित एफपीओ की भी जानकारी दी गई. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश गैर एसएफएसी प्रचारित एफपीओ की संख्या 178 और उत्तराखण्ड में 38 है.

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एफपीओ से जुड़े सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘‘फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद करीब 1000 की संख्या में एफपीओ बन चुके है.’’

इस खेल में सिर्फ जागरण ही अकेला नहीं….

इस पुरानी खबर को प्रकाशित करने वाला जागरण अकेला नहीं है, इसी खबर को न्यूज़ 18 हिंदी ने 8 अक्टूबर को और इंडिया.कॉम ने 6 अक्टूबर को प्रकाशित किया है. इंडिया डॉट कॉम ने इस पर वीडियो स्टोरी की है.

इंडिया डॉट कॉम ने भी अपनी रिपोर्ट में वहीं दावें किए हैं जो दैनिक जागरण की रिपोर्ट में हैं. इस योजना पर होने वाले खर्च की जानकारी देते हुए वीडियो में बताया गया है, साल 2024 तक 6885 करोड़ रुपए सरकार की तरफ से खर्च किए जाएंगे. वहीं सरकारी दस्तावेज के मुताबिक 2023-24 तक इसके लिए 4496.00 करोड़ का बजटीय प्रावधान है. वहीं 2026-27 तक इसपर कुल 6885 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

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वहीं न्यूज़ 18 की खबर और दैनिक जागरण की खबर में मामूली अंतर है.

जागरण में जहां लिखा है, ‘‘किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार नया कृषि बिल लाने की तैयारी कर रही है. इसी बीच सरकार किसानों को एक बड़ा गिफ्ट देने जा रही है. और इसके तहत सरकार किसानों को 15 लाख रुपयए दे रही है.’’

वहीं न्यूज़ 18 ने लिखा, ‘‘कृषि बिल लाने के बाद कृषि को बड़े बिजनेस का रूप देने के लिए सरकार किसानों को तोहफा देने जा रही है. किसानों को नया कृषि बिजनेस शुरू करने के लिए सरकार 18 लाख रुपए मुहैया कराएगी.’’

न्यूज़ 18 में इसी पर एक डिटेल स्टोरी मार्च 2020 में छपी है.

हैरानी की बात ये है कि जिस योजना की घोषणा फरवरी 2020 में हुई. और जिसके लिए सरकार 7 जुलाई 2020 को गाइडलाइन्स जारी की गई थी, उसे लगातार मीडिया समय-समय पर प्रकाशित करता रहा.

हिंदुस्तान हिंदी, 1 जुलाई 2021

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ज़ी हिंदुस्तान, 2 जुलाई 2021

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क्या इतना आसान है सरकार से 18 लाख रुपए लेना?

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रहने वाले पंकज कुमार शर्मा भी एफपीओ से जुड़े हुए हैं. एसएफएसी के जरिए बने ‘हटा आजीविका महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ को मैनेजमेंट ग्रांट का एक क़िस्त मिल चुका है. एक्युटी ग्रांट के लिए इन्होंने अप्लाई किया है, लेकिन अब तक नहीं मिल पाया. यह एफपीओ सोयाबीन पर काम करता है.

एफपीओ में सरकारी मदद कैसे मिलती है, इसको लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने शर्मा से बात की. उन्होंने बताया, ‘‘एफपीओ में 18 लाख रुपए मिलेंगे यह निश्चित नहीं है. उन्हीं एफपीओ को सरकारी मदद मिलती है जिससे 300 किसान जुड़े हों. अब ये 300 किसान कंपनी में 1000 रुपए जमा करते हैं तो कुल 3 लाख रुपए जमा हुए. इसके बाद सरकार की तरफ से नाबार्ड और एसएफएसी एजेंसियां इतना ही एक्युटी ग्रांट देती हैं. यह पैसा कंपनी के पास आता है. ऐसे में कंपनी के पास छह लाख रुपए हो जाते हैं और उन पैसों से कंपनी अपना बिजनेस आगे बढ़ाती है.’’

क्या एफपीओ के जरिए किसानों को आसानी से पैसे मिल सकते हैं? इस सवाल पर शर्मा कहते हैं, यह ना तो आसान है और ना ही मुश्किल. एक्युटी ग्रांट देने के सरकार के कुछ नियम है. जिसका जिक्र मैंने आपसे अभी किया अगर उस पैमाने पर खरे उतरते हैं तभी आपको मदद मिलेगी.’’

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