महासागरों में पारा जैसे जहरीली और भारी धातुएं पहुंचाने में अमेजन नदी सबसे ऊपर है, इसके बाद भारत और बांग्लादेश में गंगा और चीन में यांग्त्ज़ी नदी शामिल है.
शोधकर्ता कहते हैं, यह नया अध्ययन इस मामले को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है कि नदियां वास्तव में समुद्री पारे की सबसे बड़ी स्रोत हैं. यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोयले का जलना मुख्य रूप से वायुमंडलीय पारे के लिए जिम्मेदार है, जो आखिर में समुद्र और जमीन दोनों जगह जाकर मिल जाता है. पारा जिसे नदियां समुद्र में ले जाती हैं वह वायुमंडलीय पारे से भी हो सकता है जो मिट्टी में मिल गया हो.
यह सोने के खनन जैसे अन्य मानवजनित स्रोतों से भी आ सकता है और कुछ हद तक स्वाभाविक रूप से होने वाले भूगर्भिक स्रोतों से भी हो सकता है. इसके अलावा जैसा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अधिक खतरनाक तूफान और बाढ़ आ रहे हैं, पारा जो लंबे समय तक मिट्टी में निष्क्रिय पड़ा रहता है, इन सब की मदद से वह तेजी से तटीय महासागरों में ले जाया जा सकता है.
रेमंड का कहना है, "भविष्य में उन सभी "हॉटस्पॉट्स" की पहचान करना है जो पारे को समुद्र में ले जाते हैं."
वहीं लियू नोट करते हैं, "पारे की सबसे अधिक मात्रा के लिए मत्स्य पालन के संबंध की जांच करना जरूरी है. आहार के रूप में मछली की खपत से लोगों में पारा पहुंच सकता है जिसे एक स्रोत माना जा सकता है. अंततः यह बेहतर समझ है कि पारा महासागरों में कैसे और कहां जाता है, मछली के माध्यम से पारा हमारी प्लेटों तक पहुंच रहा है. यह अध्ययन पारे की मात्रा को कम करने के लिए नए नियमों को बनाने में मदद करेगा."
(साभार- डाउन टू अर्थ)