क्या आउटलुक से रूबेन बनर्जी के आउट होने की वजह ‘अब्बाजान’ हैं?

कई कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने, छुट्टी पर जाने की घटनाएं बता रही हैं कि आउटलुक में सब कुछ सही नहीं चल रहा.

WrittenBy:आकांक्षा कुमार
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पत्रकार ने कहा, “यहां पारदर्शिता का अभाव है. अकाउंट विभाग कभी जवाब नहीं देता और मानव संसाधन विभाग कहता है हमारे पास पैसा नहीं है. इससे बहुत अनिश्चितता पैदा हो जाती है.”

कंपनी में नए संपादक चिंकी सिन्हा की नियुक्ति ने न्यूज़रूम में तनाव बढ़ा दिया है. न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि राजनीतिक संपादक भावना विज अरोड़ा और सहायक संपादक ज्योतिका सूद भी हाल ही में छुट्टी पर चले गए हैं.

सुनील मेनन के अचानक छोड़ने का कारण

आउटलुक मैगजीन के मैनेजिंग एडिटर सुनील मेनन जो की 1996 में पत्रिका की स्थापना के बाद से जुड़े हुए थे उन्होंने भी अचानक इस्तीफा दे दिया. अपने इस्तीफे के कारणों को बताते हुए सुनील कहते हैं कि यह उनका निजी निर्णय है और सिर्फ उनसे ही संबंधित है.

उन्होंने आगे कहा, "यह जरूरी नहीं है कि इसका संबंध रुबेन बनर्जी के जाने से हो. हालांकि हमने उनके तीन साल के कार्यकाल के दौरान शानदार काम किया.”

मेनन कहते हैं, "जहां तक नए संपादक का मसला है तो यह व्यक्तिगत नहीं है. यह संस्थागत है. चीजें जिस दिशा में जाती हुई दिख रही हैं वह मेरे अपने और पूर्व के प्रतिष्ठित नामों द्वारा वर्षों से निर्धारित मूल्यों से मेल नहीं खातीं.”

न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि बनर्जी के छुट्टी पर जाने के बाद मेनन ने सीईओ इंद्रनील रॉय से पत्रिका के संपादक के लिए विचार करने के लिए कहा था.

इस मामले से परिचित आउटलुक के एक कर्मचारी बताते हैं, “सीईओ से उनकी यह बातचीत मौखिक थी. वहीं मैनेजिंग एडिटर ने समूह के मालिक अक्षय रहेजा को एक मेल भेजा, जिसमें सुझाव दिया गया था कि उन्हें अगला संपादक बनाया जाए."

उन्होंने पत्रिका के डिजिटल परिवर्तन के लिए अपनी योजना बताते हुए एक "डिजिटल अवधारणा नोट" भी भेजा, जो सीईओ की ही एक योजना है. प्रबंधन ने उनके ईमेल को स्वीकार तो किया लेकिन उनके सुझाव का जवाब नहीं दिया और फिर सिन्हा की नियुक्ति की घोषणा की गई.

इस स्टोरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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