सोमवार, 13 सितंबर को चिंकी सिन्हा ने आउटलुक मैगजीन में बतौर संपादक ज्वाइन किया. इसके दो दिन बाद बुधवार को दोपहर में मैगजीन के मैनेजिंग एडिटर सुनील मेनन ने इस्तीफा दे दिया. उस दिन बदलते घटनाक्रम के तहत खबर आई कि आउटलुक के प्रधान संपादक रुबेन बनर्जी को प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है. इस तरह पूरा हफ्ता आउटलुक में बेहद उठापटक भरा बीता.
कई मीडिया संस्थानों में काम कर चुके रुबेन ने साल 2018 में आउटलुक ग्रुप में हिंदी और अंग्रेजी में आउटलुक पत्रिका और आउटलुक मनी के प्रधान संपादक के तौर पर कार्यभार संभाला था. बाद में उन्हें आउटलुक समूह के सभी प्रकाशनों और डिजिटल इकाइयों का प्रधान संपादक बना दिया गया. वह कहते है, “मैंने फिर से ज्वाइन करने के बाद, अब्बाजान और योगी आदित्यनाथ को लेकर कवर स्टोरी करने के लिए कहा, जिसके बाद मुझे बर्खास्त कर दिया गया.”
न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेज बतातें है कि चिंकी सिन्हा के बतौर एडिटर ज्वाइन करने के पहले रुबेन ने सीईओ इंद्रनील रॉय को एक मेल भेजा था. इसके जवाब में इंद्रनील कहते हैं, “मुझे संसाधनों को लेकर तनाव है और इसलिए हमने आउटलुक के लिए एक एडिटर को चुना है, जो बहुत जल्द ज्वाइन करेंगे. हम इन विषयों पर साथ में बैठकर बातचीत करेंगे जब आप ठीक होकर आ जाएंगे.”
यह जवाब सीईओ इंद्रनील ने रूबेन के 11 सिंतबर वाले मेल के उत्तर में भेजा था. इसकी तारीख 12 सितंबर है. इसके अगले दिन यानी 13 सिंतबर को चिंकी सिन्हा ने बतौर संपादक आउटलुक ज्वाइन किया. रुबेन का आरोप है कि उन्हें बिना किसी सूचना के बर्खास्त कर दिया गया.
रुबेन बनर्जी की बर्खास्ती की कहानी
साल 2017 में आउटलुक ग्रुप के सीईओ बने इंद्रनील रॉय ने रुबेन को भेजे टर्मिनेशन मेल में कहा- “आपने अपने साथी कर्मचारियों से 11 अगस्त को एक महीने की छुट्टी पर जाने के दौरान कहा कि आप छुट्टी के दौरान किसी भी तरह के कॉल्स लेना पसंद नहीं करेगें. फिर 8 सिंतबर को आपने मुझे मेल कर कहा कि आप ठीक नहीं हैं और अपनी छुट्टी को बढ़ाना चाहते हैं. और अब अचानक से मुझे आपका मेल मिला कि आप वापस काम पर आ गए हैं.”
रॉय अपने मेल में आगे लिखते हैं- “बतौर सीईओ मैं आपके इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं कर सकता और कंपनी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए भले ही आप अनियमित ढंग से काम करते रहे. इसलिए आपका तुंरत प्रभाव से आउटलुक से साथ जारी कॉन्ट्रैक्ट रद्द किया जाता है. एचआर आपसे बाकी चीजों के लिए संपर्क करके आगे की कार्यवाही करेगा.”
अपनी बर्खास्तगी के बारे में रूबेन न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “मैं सीईओ इंद्रनील रॉय द्वारा दी गई मंजूरी के बाद ही छुट्टी पर गया था. जब मैं ठीक हो गया, तो मैं वापस जुड़ गया और एक कवर स्टोरी शुरू की.” वे दलील देते हैं कि, "अनुशासनात्मक आधार पर मेरा कॉन्ट्रैक्ट कैसे समाप्त किया जा सकता है?"
हालांकि, बनर्जी के दो पूर्व सहयोगियों ने कहा कि आदित्यनाथ की सांप्रदायिकता पर कवर स्टोरी बहुत ही सोच-समझकर उठाया हुआ कदम था, ताकि वह खुद को एक शहीद के रूप में दिखा सकें.
बनर्जी, कृष्णा प्रसाद और राजेश रामचंद्रन के बाद आउटलुक के तीसरे संपादक है जिन्हें प्रबंधन के साथ टकराव के बाद बाहर निकाला गया है. आउटलुक के एक पूर्व कर्मचारी ने कहा, “विनोद मेहता के बाद कार्यभार संभालने वाले संपादकों के साथ संपादकीय कामों में प्रबंधन के हस्तक्षेप की शुरुआत हुई. जिसमें प्रबंधन के साथ स्टोरी के प्लान को साझा करना भी शामिल था.”
बता दें कि न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में आउटलुक के कर्मचारियों ने रूबेन की विदाई के बारे में हमें पहले ही बताया था. उनके मुताबिक, “अनौपचारिक तौर पर हम जानते हैं कि दफ्तर में यह उनका आखिरी दिन था. हाल के दिनों में रुबेन को मैनेजमेंट की ओर से काफी दबाव झेलना पड़ रहा था."
पूरे विवाद पर क्या कहते हैं सीईओ
इस पूरे मामले के बारे में आउटलुक के सीईओ इंद्रनील रॉय हमें बताते हैं, “हम एक नए रूप में अपनी वेबसाइट लॉन्च कर रहे हैं. इसके लिए 25 नए लोगों को भर्ती किया गया है जो डिजिटल पृष्ठभूमि वाले लोग हैं.”
कंपनी से हाल में बाहर हुए बड़े नामों पर रॉय कहते हैं, “आउटलुक को एक डिजिटल फोकस वाला एक युवा संपादक और वीडियो रिपोर्टिंग को समझने वाला व्यक्ति चाहिए था. चिंकी बीबीसी के साथ काम कर चुकी हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाने की चुनौतियों को समझती हैं.”
रूबेन बनर्जी की बर्खास्तगी पर इंद्रनील कहते हैं, “वह 35 दिनों तक छुट्टी पर थे. जब वह अगस्त में गए तो हम डिजिटल बदलावों पर काम कर रहे थे. फिर सितंबर में उन्होंने छुट्टी बढ़ाने के संबंध में एक और मेल भेजा और फिर बिना हमें सूचित किए उन्होंने यह दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय लिया.” (योगी आदित्यनाथ पर कवर स्टोरी करने का).
प्रधान संपादक द्वारा स्टोरी आइडिया देने पर क्या दिक्कत है? इस सवाल पर इंद्रनील कहते हैं, “टीम को अगली कवर स्टोरी के लिए पहले ही निर्देश जारी कर दिया गया था.”
एक रिपोर्टर ने न्यूज़लॉन्ड्री से इस बात की पुष्टि की कि वह लोग जाति-आधारित जनगणना पर हालिया बहस के इर्द-गिर्द अगली कवर स्टोरी पर काम कर रहे थे.
कंपनी में सबकुछ ठीक नहीं है
कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने और कई कर्मचारियों के छुट्टी पर होने से पता चलता है कि आउटलुक में सब कुछ सही नहीं है. कोविड की महामारी शुरू होने के बाद कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई थी, साथ ही समय पर वेतन नहीं आना एक और बड़ी समस्या बन चुका है.
पिछले साल आउटलुक मैगजीन छोड़ने वाले एक पत्रकार कहते हैं, “आउटलुक में वेतन का भुगतान 10 वर्षों से समय पर नहीं किया गया है. चाहे वह सीईओ हो या एचआर मैनेजर. वेतन के बारे में कोई सवाल पूछे जाने पर कोई भी सीधा जवाब नहीं देता है. यह कोविड से जुड़ा नहीं है, यह सरासर कुप्रबंधन है."