ग़ाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत का लेखाजोखा.
सरस्वती का जितना रुतबा और चर्चा सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है, उनके इलाके में उन्हें सम्मान देने वाले उस अनुपात में बहुत कम हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने डासना के आसपास के इलाकों- श्री राम कॉलोनी, वाल्मीकि कॉलोनी और डासना मंदिर का दौरा कर पाया कि वहां के हिन्दू और मुसलामानों के बीच उस तरह की सांप्रदायिक या हिंसा की भावना नहीं है. हमें यह भी पता चला कि मंदिर में तालाब और बाउंड्री का निर्माण मुसलमानों की एक समिति ने किया है.
मंदिर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगा है. इस पर लिखा है- "यह मंदिर हिन्दुओं का पवित्र स्थल है. यहां मुसलामानों का प्रवेश वर्जित है." हमने इलाके के मुसलमानों से इस संबंध में बातचीत कर उनका नजरिया जानने की कोशिश भी की.
24 वर्षीय ज़ीशान डासना देवी मंदिर के पास ही अपनी मेडिकल की दुकान चलाते हैं. वो बताते हैं कि यह बोर्ड 2016 में लगाया गया है. "पहले हम (मुसलमान) भी मंदिर में जाया करते थे. कोई नहाने जाता था, कोई पानी भरने जाता था. हर त्योहार पर मंदिर में मेला लगता था. लेकिन यति नरसिंहानंद सरस्वती ने इसे मुसलमानों के लिए बंद कर दिया."
डासना मंदिर से एक किलोमीटर दूर स्थित मस्जिद के पास हमें डॉ. इस्लाम मतीन मिले. वो कहते हैं कि किसी भी मुसलमान को इस बोर्ड से कोई दिक्कत नहीं है. "यहां सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं. आसिफ के साथ जो हुआ उसके बाद इलाके का भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश की गई. लेकिन हम जानते हैं आसिफ को मारने वाले लोग डासना के नहीं थे. वो सभी सरस्वती के चेले थे जो बाहर से आते हैं," मतीन बताते हैं.
वहीं रहने वाली 35 वर्षीय सुनीता कहती हैं, "मैं केवल शिवरात्रि और नवरात्रि में मंदिर जाती हूं. हमें अच्छा नहीं लगता, जिस तरह के बयान सरस्वती देते हैं. यहां उन्हें कोई नहीं पूजता. उनके मंदिर में आने वाले सभी भक्त दिल्ली, नोएडा या आसपास के इलाकों से आते हैं."
लेकिन डासना के एक तबके में सरस्वती को लेकर समर्थन भी है खासकर गुर्जर और यादव समाज में. लोनी के भाजपा एमएलए नन्द किशोर गुर्जर हमें बताते हैं, "यति नरसिंहानंद सरस्वती बेबाक होकर अपनी बात रखते हैं. ऐसे में कुछ लोगों को बुरा लगेगा ही. हर मंदिर की अपनी मान्यता होती है. यति नरसिंहानंद जहां हैं वहां मुसलमानों के मुकाबले चंद हिन्दू बचे हैं. वो उन्हें बचाने का कार्य कर रहे हैं."
नरसिंहानंद की प्रेरणा
सरस्वती खुद को भगवान श्री कृष्ण का अनुयायी बताते हैं. साथ ही उनके अनुसार उन्होंने बीस साल इस्लाम को पढ़ा है. वो कहते हैं, "मैंने इस्लाम बारीकी से पढ़ा और उनकी योजनाओं को समझा है. मैं एक मुसलमान की तरह सोचता हूं. अगर मैं गीता को नहीं पढ़ रहा होता तो हर चीज़ मैं मुसलामानों की तरह कर रहा होता."
सरस्वती के मुताबिक वो उन सभी लोगों को पढ़ते और मानते हैं जिन्होंने अपना जीवन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया. सावरकर, नाथूराम गोडसे, भगवान राम, परशुराम, गुरु नानक देव, बंदा सिंह बहादुर, शिवाजी, महाराणा प्रताप और महाराणा सांगा को अपनी प्रेरणा मानते हैं.
देश के संविधान के प्रति सरस्वती में कोई सम्मान या आस्था नहीं है. वो संविधान को मानने से ही इंकार करते हैं, "देश को बचाना है तो सबसे पहले इस संविधान को कूड़े में डालना होगा. हमें संविधान ने बर्बाद किया है."
क्या है यति नरसिंहानंद के लिए इस्लाम और जिहाद का मतलब?
यति नरसिंहानंद अपने भाषणों में बार-बार मुसलामानों और जिहाद को खत्म करने की बात करते हैं. लेकिन इस बात से उनका मतलब क्या है? वो कहते हैं, "अगर आप किसी मुसलमान से जिहाद का मतलब पूछते हैं तो वो संघर्ष की बातें बोलता है. लेकिन असल में जिहाद दुनिया से सभी काफिरों को खत्म करने की प्रक्रिया को कहते हैं. मोहम्मद एक बात कहकर गए हैं. जिहाद अगर ज़मीन पर नहीं चल रहा है तो भी जिहाद मोमिन के दिमाग में होना चाहिए. अगर उसे लड़ने का मौका नहीं भी मिल रहा है तो उसके दिमाग में लड़ाई होनी ही चाहिए."
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:
यह गीता का वो छंद है जिसे यति नरसिंहानंद मुसलमानों का "काउंटर" बताते हैं. "जो अधर्मी आपके परिवार और धर्म के खिलाफ हो उसे मार दो. यदि तुम मारे गए तुम्हे स्वर्ग मिलेगा, जीते तो सारी धरती तुम्हारी है ही. इसलिए खड़े हो जाओ और युद्ध की तैयारी करो. गीता में यह सब लिखा है. वह धर्मयुद्ध का आदेश देती है. जब कुरान पढ़ेंगे तब पता चलेगा कुरान गीता की ही भद्दी नक़ल है. उसमें शब्दों का फेरबदल कर के अर्थ का अनर्थ कर दिया गया है," सरस्वती ने कहा.
यति नरसिंहानंद का मीडिया कनेक्शन
न्यूज़ नेशन के नियमित पैनलिस्ट रहे यति नरसिंहानंद सरस्वती पर ज़ी हिन्दुस्तान एक पूरा शो कर देता है.
चार अप्रैल, 2021 को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक कार्यक्रम आयोजित कराया गया. इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस कार्यक्रम के लिए बुकिंग पत्रकार विजय कुमार के नाम से हुई थी. न्यूज़लॉन्ड्री ने 55 वर्षीय विजय कुमार से बात की. वह कहते हैं कि वो एक धार्मिक आदमी हैं और गाज़ियाबाद जाने के दौरान मंदिर जाया करते हैं. जहां उनकी मुलाकात यति नरसिंहानंद से हुई.
विजय कुमार बताते हैं, "बुकिंग के लिए मुझे दीपक सिंह हिन्दू का कॉल आया था. उन्होंने मुझसे कहा था कि वो एक कार्यक्रम कराना चाहते हैं जिसके लिए उन्हें कॉन्स्टिट्यूशन क्लब से इजाज़त नहीं मिली. इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के लोग मौजूद रहेंगे. मैं यति नरसिंहानंद को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता. मैं बस साधू मानकर उनका आशीर्वाद लेता हूं."
जंतर मंतर पर भड़काऊ भाषण के पीछे थे यति नरसिंहानंद?
आठ अगस्त को जंतर मंतर पर मुस्लिम विरोधी नारेबाजी हुई. यह नारे लगाने वाले तमाम लोगों ने हमें बताया कि वो यति नरसिंहानंद से प्रेरित हैं. इस पर यति नरसिंहानंद न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, "अगर उसने यह कहा कि वो मुझसे प्रेरित है तो मुझे उस पर गर्व है. मैं ऐसे दिलेर शेर पर गर्व करूंगा. मेरे विचार भी बिलकुल वहीं हैं जो उत्तम ने कहा."
यति नरसिंहानंद सरस्वती पर कई मुक़दमे दर्ज हैं लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई?
आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान ने अप्रैल में यति नरसिंहानंद द्वारा मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर 53A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295A (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के उद्देश्य से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी.
न्यूज़लॉन्ड्री मसूरी पुलिस स्टेशन पहुंचा. यहां यति नरसिंहानंद के खिलाफ दायर मुकदमों की लम्बी लिस्ट है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 500, 505, 509, 504, 506, 509 और 66 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है.
हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने बीजेपी की महिला नेताओं को लेकर घटिया बातें कही थीं. इस पर सात अगस्त को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी.
इस केस के आईओ अशोक पाल सिंह कहते हैं, "एफआईआर दर्ज कराने के बाद रेखा शर्मा एक भी बार पुलिस स्टेशन नहीं आई. वीडियो में यति नरसिंहानंद ने रेखा शर्मा को क्या कहा है? उन्होंने बीजेपी की महिलाओं को कहा लेकिन बीजेपी की किसी नेता ने उन पर मुकदमा दर्ज नहीं किया."
इस तरह से पुलिस यति नरसिंहानंद सरस्वती को किसी कार्रवाई के लिए उपयुक्त नहीं पाती. सरस्वती फिलहाल कानून और संविधान से ऊपर खड़े दिखाई देते हैं.