नफरत, सांप्रदायिकता और पुलिसिया पक्षपात का शिकार एक चूड़ीवाला

इंदौर में चूड़ीवाले तस्लीम की हुई निर्मम पिटाई और बाद में पुलिस द्वारा उसे ही गिरफ्तार करने की पूरी कहानी.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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इस घटना को लेकर एक तरफ सोशल मीडिया पर अफवाहें उड़ाई जा रही थीं तो दूसरी तरफ भाजपा सरकार के नुमाइंदे भी इन अफवाहों को हवा दे रहे थे कि तस्लीम हिन्दु नाम रख चूड़ियां बेच रहा था. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले में तथ्यहीन बयानबाज़ी की. मिश्रा ने बयान दिया कि तस्लीम चूड़ी बेचने का काम अपना नाम, जाति, धर्म छुपाकर कर रहा था. मिश्रा ने यह भी कहा कि संबंधित व्यक्ति के पास दो आधार कार्ड मिले हैं. मिश्रा मामले को बिलकुल भी साम्प्रदायिक ना बताते हुए कह रहे थे कि चूड़ी बेचने वाला अपनी पहचान छुपा कर गलत कर रहा था.

तस्लीम का चूड़ियों वाला बैग लूटने के बाद उसके हमलावरों को कथित तौर पर उसके बैग में से दो आधार कार्ड मिले थे और एक अन्य पहचान पत्र मिला था. जिसको लेकर इस तरह के बयान दिए जा रहे थे.

इस बारे में तस्लीम के छोटे भाई जमाल हमें बताते हैं, "जो दो आधार कार्ड हैं वह कोई अलग-अलग नंबर के नहीं हैं बल्कि एक ही है. उन पर जिले का नाम, पता सब एक ही है. दरअसल एक आधार में मेरे भाई का नाम तस्लीम लिखा है और एक में असलीम लिखा है. दूसरा आधार कार्ट करेक्शन करके बनवाया गया था क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत राशि में नाम गलत छप गया था. इसके अलावा मेरे भाई का जो पहले का पहचान पत्र है उस पर उसका नाम भूरा लिखा है क्योंकि भूरा उसके घर का नाम है. गांव में अधिकतर लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं इसलिए इन सब बातों पर ध्यान नहीं जाता.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बात को समझने के लिए बिराइचमऊ गांव के प्रधान होरीलाल से बात की. वो बताते हैं, "यह बात सच है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की जो राशि तस्लीम के लिए आयी थी उसमें नाम असलीम छपा था. और उसमें पिता का नाम भी मोहर अली की जगह मोहर सिंह था. इसलिए तस्लीम के आधार कार्ड को सही करना पड़ा. उसने कुछ गलत नहीं किया है. गांव देहात में आधार कार्ड, पहचान पत्र में नामों की गलतियां होना आम बात है. बनाने वाले नाम, पिता का नाम, जन्म तारीख जैसी चीज़ों में गलतियां कर देते हैं."

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद तस्लीम के घर के फोटो में भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसका नाम असलीम और पिता का नाम मोहर सिंह लिखा हुआ है.

गौरतलब है कि 23 तारीख की शाम के चार बजे कुछ पुलिस वाले तस्लीम के पास रानीपुरा स्थित मुसाफिर खाने में आये थे. उन्होंने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुयी शिकायत पर कार्रवाई के मद्देनज़र उसकी मेडिकल जांच कराई जायेगी और कुछ सवाल जवाब किये जाएंगे. इसके बाद पुलिस तस्लीम को अपने साथ हीरा नगर पुलिस थाने ले गयी.

तस्लीम को तकरीबन चार बजे पुलिस अपने साथ ले गयी. तकरीबन पौने छह बजे बाणगंगा थाने में तस्लीम के ऊपर हमला करने वाले एक आरोपी के ही एक परिजन ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. उसके बाद तस्लीम को गिरफ्तारी कर लिया गया.

तस्लीम के साथ हीरा नगर थाने गए उसके दोस्त मखतू खान कहते हैं, "वो तस्लीम को यह बोल कर ले गए थे कि मेडिकल जांच और कुछ सवाल करने के बाद छोड़ देंगे. उसकी सलामती को ध्यान में रखते हुए हम दो लोग और उसके साथ गए थे. उसकी मेडिकल जांच कराई और फिर बाद में उसे थाने के लॉकअप में डाल दिया. हमें भी रातभर थाने में बिठा कर रखा. हम जब भी कुछ पूछते तो वहां मौजूद पुलिस वाले बोलते कि साहब के आने तक बैठे रहो. तस्लीम बहुत रो रहा था. उसे उल्टा फंसा दिया.”

तस्लीम के खिलाफ दर्ज पुलिस एफआईआर में लिखा है- जब तस्लीम चूड़ी बेचने पहुंचा था तब शिकायतकर्ता और उसकी मां ने पहले उसका नाम पूछा. नाम पूछने पर तस्लीम ने उन्हें अपना नाम गोलू बताया और कहा कि उसके पिता का नाम मोहन सिंह है. फिर उसने शिकायकर्ता और उसकी मां को एक अधजला वोटर आईडी कार्ड भी दिखाया. यह सब जानकारी लेने के बाद उनको लगा कि वो अच्छा आदमी है और उसके बाद वो उससे चूड़ियां खरीदने लगीं. फिर जब शिकयतकर्ता की मां अंदर पैसे लेने गयीं तो तस्लीम चूड़ी पहनाने के बहाने शिकयतकर्ता का हाथ सहलाने लगा और उसके गालों पर हाथ लगाते हुए बोला की वो कितनी सुन्दर है. जब शिकायकर्ता चिल्लाई तो उसकी मां बाहर आकर तस्लीम से बोली कि वो क्या कर रहा है. इसके बाद तस्लीम ने उन दोनों को जान से मारने की धमकी दी और वो वहां से भागने लगा. लेकिन आसपास के 'भैय्या' लोगों ने उसे पकड़ लिया.

एफआईआर में आगे शिकायतकर्ता का बयान लिखा है, "उस व्यक्ति ने जिस पन्नी की थैली में से हमें वोटर कार्ड निकालकर दिखाया था, जल्दबाज़ी में वो थैली वहीं भूल गया, जिसे हमने देखा तो उस व्यक्ति के हमें दो आधारकार्ड मिले. एक में उसका नाम असलीम पिता मोहर सिंह लिखा था, दूसरे में तस्लीम पिता मोहर अली लिखा था. एक अधजले वोटर आईडी कार्ड में उसके पिता का नाम मोहन सिंह लिखा था. एफआईआर में यह भी लिखा है कि तस्लीम के दस्तावेजों की थैली शिकायकर्ता ने पुलिस के हवाले की थी.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब बिराइचमऊ में तस्लीम के पिता मोहर अली से बात की तो वह रोते हुए कहने लगे, "मेरा बेटा सीधा इंसान है. उसे हिन्दू मुसलमान का फर्क कर पीटा गया. उसने कुछ गलत नहीं किया था. हम कई सालों से चूड़ियां बेचने का काम करते आ रहे हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ. मेरा बच्चा गलत आदमी नहीं है साहब."

24 तारीख की रात को एक बजे सांडी और बिलग्राम पुलिस थानों की पुलिस मोहर अली के घर तफ्तीश करने आयी थी. वह कहते हैं, "पुलिस आयी थी और हमारे परिवार के सभी बड़े और बच्चो का नाम लिख कर ले गयी. तकरीबन 20 मिनट तक पुलिस ने घर में पूछताछ की और फिर चली गयी. हमने उनको बता दिया कि हमारे बच्चे के साथ इंदौर में क्या हुआ था.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से जब आधार कार्ड का नंबर एक होने और उनके मीडिया को दिए गए बयान के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, "नाम किसी का अलग-अलग हो सकता है, लेकिन पिता का नाम तो एक होना चाहिए. पिता एक होता है व्यक्ति के नाम भले ही दो हों. उस व्यक्ति के तीन दस्तावेज और तीनों में नाम अलग हैं."

क्या सरकारी दस्तावेजों में नामों की गलती नहीं होती है? तो वह कहते हैं, "आप कोई भी सम्भावना निकाल सकते हैं. आपको अधिकार है. कभी-कभी व्यक्ति भी गलत हो जाता है. होने को तो कुछ भी हो जाता है."

जब मिश्रा से पूछा गया कि क्या वे तस्लीम पर हुए हमले को जायज़ ठहरा रहे हैं, तब वो कहते हैं, "वह गलत था और उसलिए उन लोगों की गिरफ्तारी की गयी.”

सोशल मीडिया पर ऐसी भी अफवाहे उड़ रही थी कि तस्लीम ने अपनी पहचान छुपाने के लिए अपना नाम भोला बताया था. इसके अलावा उस पर गोलू नाम का इस्तेमाल करने संबंधित अफवाहें भी चल रही थीं.

पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में नाम गोलू लिखा हुआ है.

बाणगंगा थाने के थाना प्रभारी राजेंद्र सोनी एफआईआर के बारे में कहते हैं, "एफआईआर दाखिल इसलिए की गयी क्योंकि उसने नाबालिग बच्ची के साथ छेड़खानी की थी. नाबालिग बच्ची ने बोला है तो मानना ही पड़ेगा.”

एफआईआर से जुड़े अन्य सवालों के बारे में सोनी ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वो हमारे सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है.

सेंट्रल कोतवाली के थाना प्रभारी बीडी त्रिपाठी ने शिकायत करने आए लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के संदर्भ में कहा, "अगर किसी को बात करना है तो वो आदमी की तरह आकर कहे, दो-चार लोग आकर अपनी बात रख सकते थे. लेकिन इतने सारे लोग आकर प्रदर्शन करेंगे, कानून व्यवस्था को भंग करेंगे तो उनके खिलाफ एफआईआर करना पड़ता है."

तस्लीम को स्थानीय अदालत ने तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

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