कर्मचारी नौकरी की असुरक्षा, कम मूलभूत वेतन, ईंधन की बढ़ती कीमतों और प्रोत्साहन भुगतान में असंगति से जूझ रहे हैं.
एकरूपता का अभाव
DeliveryBhoy नामक ट्विटर अकाउंट को चलाने वाले डिलीवरी ब्वॉय, जिनके फॉलोवर्स एक हफ्ते में 20 से बढ़कर 2,000 हो गए हैं, अपने बारे में बहुत अधिक खुलासा न करने के लिए सतर्क हैं. उनका कहना है कि यदि कम्पनियां उनकी पहचान जान जाएंगी तो इसके परिणाम भयंकर होंगे.
"स्विगी और ज़ोमैटो द्वारा पार्टनर्स को दिए जाने वाले भुगतान में एकरूपता के अभाव का मतलब है कि सोशल मीडिया पर उनकी प्रतिक्रियाएं असत्य नहीं हैं," उन्होंने कहा. "प्रत्येक वर्कर को अलग भुगतान किया जाता है, और उसका अलग तरह से शोषण होता है. यह लगभग हास्यास्पद है कि कैसे वह हमारे साथ खुल्लम-खुल्ला बेईमानी करते हैं और हमारे पास कोई सबूत नहीं होता न कभी होगा."
DeliverBhoy ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "धोखाधड़ी तय की गई दूरी और प्रतीक्षा समय जैसे कारकों के माध्यम से होती है. वह आपको 'फर्स्ट माइल' पर धोखा देते हैं. वह आपको 'रेड ज़ोन' (कई रेस्तरां के नज़दीक निर्दिष्ट स्थानों) में जाने के लिए कहते हैं, ताकि आप अपनी जेब से चार से पांच किमी के लिए ईंधन पर खर्च करें," उन्होंने बताया. "शुरुआत के तौर पर वर्कर्स को 'फर्स्ट माइल' के लिए भुगतान किया जाना चाहिए और मूलभूत वेतन दिया जाना चाहिए. मैंने पहले सप्ताह में ही यह जान लिया कि इन लोगों के पास धोखा देने के कई तरीके हैं. यह एक बहुत ही शोषणकारी काम है."
कावेरी के अनुसार, दरों में एकरूपता की कमी कर्मचारियों में फूट डालती है. जब वर्कर्स देखते हैं कि उनकी दरें और प्रोत्साहन वेतन उनके सहयोगियों की तरह नहीं हैं तो उनके बीच समानता की भावना समाप्त हो जाती है.
"वह उन्हें 'पार्टनर्स' का नाम देकर उनसे सभी प्रकार के श्रमिक अधिकार और निश्चित आय छीन लेते हैं; वह वर्कर्स को सम्मान नहीं देते," कावेरी ने कहा. "वह श्रमिकों की आय तय करने में निर्णायक नियंत्रण और शक्ति का प्रयोग करते हैं. वह अपनी इच्छानुसार दरों में कटौती करने और प्रोत्साहन वेतन को कम करने या पूरी तरह से वापस लेने का निर्णय करते हैं."
वर्कर्स के अनुसार, जब वह बहुत अधिक प्रश्न पूछते हैं तो उनकी आईडी सिस्टम पर ब्लॉक हो जाती है, जिसका अर्थ है कि वह अब ज़ोमैटो और स्विगी के लिए काम नहीं कर सकते हैं.
उदाहरण के लिए, जमशेद ने बताया कि उनके दो खाते ब्लॉक हो चुके हैं. उन्होंने अपने इलाके के हब मैनेजर के सामने कई मुद्दों उठाए थे जिसके कारण उनके खाते बंद हो गए. हब मैनेजर डिलीवरी वर्कर्स के लिए कंपनी से संपर्क की कड़ी है. जमशेद को अलग नाम से नई आईडी बनानी पड़ी.
जमशेद ने कहा, "वह हमें फुटबॉल की तरह ग्राहक सहायता टीम से लेकर हब मैनेजर तक इधर-उधर नचाते रहते हैं."
वहीं SwiggyDE_Mumbai नामक ट्विटर अकाउंट को चलाने वाले व्यक्ति तीन साल से मुंबई में डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं. वह दिन में 12 घंटे काम करते हैं और प्रति डिलीवरी औसतन 35 रुपए कमाते हैं. प्रतिदिन 20 डिलीवरी के लगभग 600 रुपए की इस कमाई में से रोजाना कम से कम 300 रुपए ईंधन पर खर्च हो जाते हैं.
"हम इस काम के लिए व्यर्थ ही इतनी मेहनत करते हैं," उन्होंने कहा. "इस आय से घर चलाना मुश्किल है लेकिन हम मजबूर हैं."
कावेरी के अनुसार, दरों को नियंत्रित करना आवश्यक है ताकि आय एक निश्चित बिंदु से नीचे न गिरे. इसके साथ ही काम के समय को भी नियंत्रित किया जाना चाहिए और वर्कर्स को एक निश्चित आय की गारंटी दी जानी चाहिए, जो ग्राहकों की मांगों से परे हो.
"वर्कर्स को सशक्त करना बेहद ज़रूरी है ताकि वह उन निर्णयों में समान भागीदार हों जो सीधे उनकी आजीविका को प्रभावित करते हैं," उन्होंने कहा. "प्लेटफॉर्म्स सब कुछ नियंत्रित करते हैं और उनकी शक्तियों की कोई सीमा नहीं है. यही समस्या की जड़ है."
पहचान छुपाने के लिए कुछ डिलीवरी कर्मचारियों के नाम बदल दिए गए हैं.
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