इस आयोग की शुरुआत बेहद धूमधाम से हुई. सरकार ने आयोग के गठन को किसानों की वर्षों पुरानी मांग बताते हुए इसे पूरा करने का श्रेय लिया.
कुछ सदस्यों से एक-दो बार सुझाव लिए गए, कुछ से वो भी नहीं
संदेश पत्रिका में आयोग के कामों के लेकर भी जिक्र किया गया है. बताया गया है कि आयोग इन बिंदुओं पर विचार करेगा.
1. कम लागत में ज़्यादा उत्पादन के तरीकों पर विचार
2. फसलों के बेहतर स्टोरेज डिस्ट्रीब्यूशन के बारे में सुझाव देगा.
3. खेती में आय कम होने वाले कारणों पर मंथन. इसके साथ ही इसे बढ़ाने पर सुझाव दिए जाएंगे.
4. एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी, पशुधन, मछली पालन, मुर्गी पालन, रेशम उत्पादन, कृषि वन और दुग्ध विकास के लिए भी आयोग सुझाव देगा.
5. अलग-अलग जलवायु को इवैल्युट कर प्रदेश में बराबर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट को लेकर नीतियां बनाई जाएगी.
दरअसल सरकार आयोग में शामिल कृषि वैज्ञानिकों, अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों से साल 2022 तक किसानों की आमदनी कैसे दोगुनी की जाए इसके लिए सुझाव लेकर उसपर एक्शन लेती. ऐसा ही संदेश पत्रिका में लिखा गया है, लेकिन आयोग में शामिल ज़्यादातर लोगों की माने तो कोई बैठक ही नहीं हुई तो सुझाव लेने देने का सवाल ही नहीं उठता. वहीं कुछ सदस्यों से सरकार ने लिखित में एक-दो बार इस संबंध में सुझाव ज़रूर लिए हैं.
किसानों की आमदनी दोगुनी करने को लेकर सरकार ने कभी कोई सुझाव लिया. इस सवाल पर डॉक्टर मंगल राय कहते हैं, ‘‘कोई मीटिंग ही नहीं हुई. आयोग है, कोई मीटिंग होगी तभी न सुझाव लेंगे. मेरे ख्याल से 10 नवंबर को इस कमेटी को बने तीन साल हो गया. आयोग उन्होंने बनाया. मैं स्पेशलिस्ट हूं तो मेरी अपेक्षा यही थी कि थोड़ा बहुत जो ज्ञान मेरे पास है उसका ये सदुपयोग करेंगे. हम तो सुझाव देने के लिए तैयार बैठे हुए हैं. अब अगर आपकी मर्जी नहीं है तो मैं क्या ही बोलूं. मैंने तो कहा नहीं था कि मुझे सदस्य बनाओ.’’
पद्मभूषण डॉक्टर आरबी सिंह भी किसी तरह का सुझाव लेने से इंकार करते हुए कहते हैं, ‘‘आयोग के कामों का ठीक से फॉलोअप नहीं हुआ तो सुझाव का तो सवाल नहीं उठता. इसमें जुटकर काम करने की ज़रूरत है. बात करने से तो काम नहीं चलेगा. इसको मॉनीटर करने की जरूरत है.’’
सिंह आगे कहते हैं, ‘‘हम स्कीम तो बना लेते हैं. मैं ये नहीं कहूंगा कि ये लापरवाही है. हो सकता है कि उनकी ज़िम्मेदारी कहीं और बढ़ गई हो, लेकिन किसान की आय को दोगुना करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए. क्योंकि किसान अगर त्रस्त रहेगा तो देश त्रस्त रहेगा. किसानों की आमदनी बढ़ाने पर ध्यान देना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. मैं चाहूंगा कि इसका विशेष ध्यान देना चाहिए. सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा. एक्शन प्लान बनाकर काम करना होगा कि साल भर में, छह महीने में, तीन महीने में ये करेंगे. ये ग्रोथ होगी. इसपर नजर रखनी होगी. मुझे लगता है कि यह काम फोकस तरीके से नहीं हो रहा है. हमें जिम्मेदारी के साथ फोकस होकर इसपर काम करने की ज़रूरत है.’’
गिरी संस्थान के पूर्व प्रमुख सुरेंद्र कुमार सुझाव के सवाल पर कहते हैं, ‘‘मुझे एक बार उन्होंने एजेंडा भेजा और वो चाहते थे कि मैं उसपर अपना सुझाव दूं. मैंने उन्हें दिया भी लेकिन उसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता.’’
प्रेम सिंह ने हमसे एक पत्र साझा किया जो उन्हें कृषि निदेशक सरोज सिंह द्वारा भेजा गया था. 28 जून 2019 को भेजे गए इस पत्र का विषय था, कृषक समृद्धि आयोग की बैठक के संबंध में.
आयोग के निर्माण को करीब दो साल बाद लिखे इस पत्र में बताया गया है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषक समृद्धि आयोग का गठन किया गया है. आयोग वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने हेतु समय-समय पर बैठक करते हुए सुझाव देगा. इस संबंध में 10 जुलाई 2019 से पूर्व एक विभागीय बैठक का आयोजन किया जाना है. अतः आपसे अनुरोध है कि निकट भविष्य में शासन स्तर पर कृषक समृद्धि आयोग की आगामी बैठक हेतु अपना अभिमत और सुझाव एक दो पन्नों में उपलब्ध कराने का कष्ट करें ताकि विभागीय सदस्यों के साथ आगामी बैठक में विचार विमर्श में आपके सुझाव सम्मलित करते हुए चर्चा किए जाए.
सुरेंद्र कुमार की तरफ किसान प्रतिनिधि प्रेम सिंह से भी एक बार सुझाव मांगे गए थे. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह कहते हैं, ‘‘केवल एक बार हमसे सुझाव मांगे गए तो मैंने उसका जवाब दिया लेकिन उस पर क्या हुआ मुझे नहीं पता है. सुझाव पर कोई काम हुआ नहीं तो थक हार कर मैं अपना सुझाव छपवा दिया.’’
भारतीय किसान यूनियन के धर्मेंद्र मलिक से तो सुझाव तक नहीं मांगा गया था. वहीं बाराबंकी के मोइनुद्दीन बताते हैं, ‘‘मुझे जहां तक याद है दो बार शासन की तरफ से लिखित में मुझसे सुझाव मांगा गया था. हमने अपना सुझाव उन्हें दे दिया था.’’
आयोग के एक सदस्य भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ में एग्री बिजनेस के प्रोफेसर सुशील कुमार को भी शामिल किया गया था. न्यूजलॉन्ड्री ने कुमार से बात की. वे कहते हैं, ‘‘आयोग की बैठक में मैं कभी शामिल नहीं हुआ. जहां तक रही बात सुझाव की तो जब यूपी सरकार कॉन्ट्रेक्टर फार्मिंग को लेकर कानून बना रही थी तब मुझसे सुझाव ज़रूर मांगे गए थे.’’
‘2022 तक किसानों की आमदनी डबल होने का सवाल ही नहीं उठता’
केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का मकसद रखा है. इसी मकसद को पूरा करने के लिए योगी सरकार ने भी इस आयोग का गठन किया था.
आयोग की बैठक तक नहीं हुई ऐसे में क्या किसानों की आमदनी दोगुनी हो पाएगी. इस सवाल के जवाब में मंगल राय कहते हैं, ‘‘आमदनी दोगुनी होने का सवाल ही नहीं पैदा होता. 2022 में तो अब जो एक-दो साल रह गया. जब बात हुई थी तब से कृषि में करीब 14-15 प्रतिशत कम्पाउंड ग्रोथ होता तब जाकर आमदनी दोगुनी होती, लेकिन आपकी ग्रोथ रेट तीन से साढ़े तीन प्रतिशत पर अटकी हुई है. दूसरी तरफ डीजल- पेट्रोल का दाम बढ़ रहा है, मज़दूरी बढ़ रही है, खाद की कीमत बढ़ रही है. यातायात की कीमत बढ़ रही है. हर चीज का दाम बढ़ रहा है तो कैसे डबल हो जाएगा.’’
डॉक्टर आरबी सिंह का भी कुछ ऐसा ही मानना है. वे कहते हैं, ‘‘खेती के अलावा हमें इससे जुड़ी बाकी चीजों पर भी ध्यान देना होगा. फोकस होकर काम करना होगा.’’
किसानों की साल 2022 तक आमदनी बढ़ने के सवाल पर सुरेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘इसको लेकर सरकार की तैयारी है कहां? मुझे तो नहीं लगता कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है. जो कुछ है कागज पर ही है. जब कोई मीटिंग ही नहीं हुई. कोई मूल्यांकन ही नहीं हुआ तो ऐसे में कैसे कहा जाए कि आमदनी डबल हो जाएगी. मैं लखनऊ में रहता नहीं अब लेकिन मेरी जो जानकरी है उसके मुताबिक कोई कंक्रीट स्टेप किसानों की आमदनी डबल करने के लिए नहीं लिया गया. कम से कम मेरे संज्ञान में नहीं आया.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने आयोग में शामिल बाकी और दूसरे सदस्यों से भी इस संबंध में बात की. ज़्यादातर किसानों की आमदनी 2022 तक डबल हो जाएगी इसको लेकर सहमत नजर नहीं आते हैं. इसके लिए सरकार की तैयारी को नाकाफी बताते हैं.
न्यूजलॉन्ड्री ने बीते साल पद्मश्री से सम्मानित मध्य प्रदेश के किसान बाबूलाल दाहिया का इंटरव्यू किया था. किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के सवाल पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि ‘किसी हाल में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी नहीं होगी’.
सरकार का क्या कहना है?
28 जून 2019 को कृषि निदेशक सरोज सिंह द्वारा लिखे गए पत्र से ऐसा लगता है कि शासन स्तर पर कृषक समृद्धि आयोग की बैठक हुई थी.
न्यूजलॉन्ड्री ने इसको लेकर कृषि मंत्री सूर्य प्रकाश शाही से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें लिखित में सवाल भेज दिए हैं. अगर कोई जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
इसके अलावा हमने प्रदेश के सूचना प्रमुख नवनीत सहगल को भी इस संबंध में सवाल भेजे हैं. उनका भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
कृषक समृद्धि आयोग के अहम सदस्यों में से एक और गिरी संस्थान के पूर्व प्रमुख सुरेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘मेरा बाकी कई प्रदेशों में ऐसा ही अनुभव रहा है. कहने को आयोग का गठन कर देते हैं, लेकिन कोई बैठक होती नहीं. सारा कुछ ब्यूरोक्रेटस के हाथ में ही होता है.’’
कुछ सदस्यों से एक-दो बार सुझाव लिए गए, कुछ से वो भी नहीं
संदेश पत्रिका में आयोग के कामों के लेकर भी जिक्र किया गया है. बताया गया है कि आयोग इन बिंदुओं पर विचार करेगा.
1. कम लागत में ज़्यादा उत्पादन के तरीकों पर विचार
2. फसलों के बेहतर स्टोरेज डिस्ट्रीब्यूशन के बारे में सुझाव देगा.
3. खेती में आय कम होने वाले कारणों पर मंथन. इसके साथ ही इसे बढ़ाने पर सुझाव दिए जाएंगे.
4. एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी, पशुधन, मछली पालन, मुर्गी पालन, रेशम उत्पादन, कृषि वन और दुग्ध विकास के लिए भी आयोग सुझाव देगा.
5. अलग-अलग जलवायु को इवैल्युट कर प्रदेश में बराबर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट को लेकर नीतियां बनाई जाएगी.
दरअसल सरकार आयोग में शामिल कृषि वैज्ञानिकों, अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों से साल 2022 तक किसानों की आमदनी कैसे दोगुनी की जाए इसके लिए सुझाव लेकर उसपर एक्शन लेती. ऐसा ही संदेश पत्रिका में लिखा गया है, लेकिन आयोग में शामिल ज़्यादातर लोगों की माने तो कोई बैठक ही नहीं हुई तो सुझाव लेने देने का सवाल ही नहीं उठता. वहीं कुछ सदस्यों से सरकार ने लिखित में एक-दो बार इस संबंध में सुझाव ज़रूर लिए हैं.
किसानों की आमदनी दोगुनी करने को लेकर सरकार ने कभी कोई सुझाव लिया. इस सवाल पर डॉक्टर मंगल राय कहते हैं, ‘‘कोई मीटिंग ही नहीं हुई. आयोग है, कोई मीटिंग होगी तभी न सुझाव लेंगे. मेरे ख्याल से 10 नवंबर को इस कमेटी को बने तीन साल हो गया. आयोग उन्होंने बनाया. मैं स्पेशलिस्ट हूं तो मेरी अपेक्षा यही थी कि थोड़ा बहुत जो ज्ञान मेरे पास है उसका ये सदुपयोग करेंगे. हम तो सुझाव देने के लिए तैयार बैठे हुए हैं. अब अगर आपकी मर्जी नहीं है तो मैं क्या ही बोलूं. मैंने तो कहा नहीं था कि मुझे सदस्य बनाओ.’’
पद्मभूषण डॉक्टर आरबी सिंह भी किसी तरह का सुझाव लेने से इंकार करते हुए कहते हैं, ‘‘आयोग के कामों का ठीक से फॉलोअप नहीं हुआ तो सुझाव का तो सवाल नहीं उठता. इसमें जुटकर काम करने की ज़रूरत है. बात करने से तो काम नहीं चलेगा. इसको मॉनीटर करने की जरूरत है.’’
सिंह आगे कहते हैं, ‘‘हम स्कीम तो बना लेते हैं. मैं ये नहीं कहूंगा कि ये लापरवाही है. हो सकता है कि उनकी ज़िम्मेदारी कहीं और बढ़ गई हो, लेकिन किसान की आय को दोगुना करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए. क्योंकि किसान अगर त्रस्त रहेगा तो देश त्रस्त रहेगा. किसानों की आमदनी बढ़ाने पर ध्यान देना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. मैं चाहूंगा कि इसका विशेष ध्यान देना चाहिए. सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा. एक्शन प्लान बनाकर काम करना होगा कि साल भर में, छह महीने में, तीन महीने में ये करेंगे. ये ग्रोथ होगी. इसपर नजर रखनी होगी. मुझे लगता है कि यह काम फोकस तरीके से नहीं हो रहा है. हमें जिम्मेदारी के साथ फोकस होकर इसपर काम करने की ज़रूरत है.’’
गिरी संस्थान के पूर्व प्रमुख सुरेंद्र कुमार सुझाव के सवाल पर कहते हैं, ‘‘मुझे एक बार उन्होंने एजेंडा भेजा और वो चाहते थे कि मैं उसपर अपना सुझाव दूं. मैंने उन्हें दिया भी लेकिन उसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता.’’
प्रेम सिंह ने हमसे एक पत्र साझा किया जो उन्हें कृषि निदेशक सरोज सिंह द्वारा भेजा गया था. 28 जून 2019 को भेजे गए इस पत्र का विषय था, कृषक समृद्धि आयोग की बैठक के संबंध में.
आयोग के निर्माण को करीब दो साल बाद लिखे इस पत्र में बताया गया है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषक समृद्धि आयोग का गठन किया गया है. आयोग वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने हेतु समय-समय पर बैठक करते हुए सुझाव देगा. इस संबंध में 10 जुलाई 2019 से पूर्व एक विभागीय बैठक का आयोजन किया जाना है. अतः आपसे अनुरोध है कि निकट भविष्य में शासन स्तर पर कृषक समृद्धि आयोग की आगामी बैठक हेतु अपना अभिमत और सुझाव एक दो पन्नों में उपलब्ध कराने का कष्ट करें ताकि विभागीय सदस्यों के साथ आगामी बैठक में विचार विमर्श में आपके सुझाव सम्मलित करते हुए चर्चा किए जाए.
सुरेंद्र कुमार की तरफ किसान प्रतिनिधि प्रेम सिंह से भी एक बार सुझाव मांगे गए थे. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह कहते हैं, ‘‘केवल एक बार हमसे सुझाव मांगे गए तो मैंने उसका जवाब दिया लेकिन उस पर क्या हुआ मुझे नहीं पता है. सुझाव पर कोई काम हुआ नहीं तो थक हार कर मैं अपना सुझाव छपवा दिया.’’
भारतीय किसान यूनियन के धर्मेंद्र मलिक से तो सुझाव तक नहीं मांगा गया था. वहीं बाराबंकी के मोइनुद्दीन बताते हैं, ‘‘मुझे जहां तक याद है दो बार शासन की तरफ से लिखित में मुझसे सुझाव मांगा गया था. हमने अपना सुझाव उन्हें दे दिया था.’’
आयोग के एक सदस्य भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ में एग्री बिजनेस के प्रोफेसर सुशील कुमार को भी शामिल किया गया था. न्यूजलॉन्ड्री ने कुमार से बात की. वे कहते हैं, ‘‘आयोग की बैठक में मैं कभी शामिल नहीं हुआ. जहां तक रही बात सुझाव की तो जब यूपी सरकार कॉन्ट्रेक्टर फार्मिंग को लेकर कानून बना रही थी तब मुझसे सुझाव ज़रूर मांगे गए थे.’’
‘2022 तक किसानों की आमदनी डबल होने का सवाल ही नहीं उठता’
केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का मकसद रखा है. इसी मकसद को पूरा करने के लिए योगी सरकार ने भी इस आयोग का गठन किया था.
आयोग की बैठक तक नहीं हुई ऐसे में क्या किसानों की आमदनी दोगुनी हो पाएगी. इस सवाल के जवाब में मंगल राय कहते हैं, ‘‘आमदनी दोगुनी होने का सवाल ही नहीं पैदा होता. 2022 में तो अब जो एक-दो साल रह गया. जब बात हुई थी तब से कृषि में करीब 14-15 प्रतिशत कम्पाउंड ग्रोथ होता तब जाकर आमदनी दोगुनी होती, लेकिन आपकी ग्रोथ रेट तीन से साढ़े तीन प्रतिशत पर अटकी हुई है. दूसरी तरफ डीजल- पेट्रोल का दाम बढ़ रहा है, मज़दूरी बढ़ रही है, खाद की कीमत बढ़ रही है. यातायात की कीमत बढ़ रही है. हर चीज का दाम बढ़ रहा है तो कैसे डबल हो जाएगा.’’
डॉक्टर आरबी सिंह का भी कुछ ऐसा ही मानना है. वे कहते हैं, ‘‘खेती के अलावा हमें इससे जुड़ी बाकी चीजों पर भी ध्यान देना होगा. फोकस होकर काम करना होगा.’’
किसानों की साल 2022 तक आमदनी बढ़ने के सवाल पर सुरेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘इसको लेकर सरकार की तैयारी है कहां? मुझे तो नहीं लगता कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है. जो कुछ है कागज पर ही है. जब कोई मीटिंग ही नहीं हुई. कोई मूल्यांकन ही नहीं हुआ तो ऐसे में कैसे कहा जाए कि आमदनी डबल हो जाएगी. मैं लखनऊ में रहता नहीं अब लेकिन मेरी जो जानकरी है उसके मुताबिक कोई कंक्रीट स्टेप किसानों की आमदनी डबल करने के लिए नहीं लिया गया. कम से कम मेरे संज्ञान में नहीं आया.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने आयोग में शामिल बाकी और दूसरे सदस्यों से भी इस संबंध में बात की. ज़्यादातर किसानों की आमदनी 2022 तक डबल हो जाएगी इसको लेकर सहमत नजर नहीं आते हैं. इसके लिए सरकार की तैयारी को नाकाफी बताते हैं.
न्यूजलॉन्ड्री ने बीते साल पद्मश्री से सम्मानित मध्य प्रदेश के किसान बाबूलाल दाहिया का इंटरव्यू किया था. किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के सवाल पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि ‘किसी हाल में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी नहीं होगी’.
सरकार का क्या कहना है?
28 जून 2019 को कृषि निदेशक सरोज सिंह द्वारा लिखे गए पत्र से ऐसा लगता है कि शासन स्तर पर कृषक समृद्धि आयोग की बैठक हुई थी.
न्यूजलॉन्ड्री ने इसको लेकर कृषि मंत्री सूर्य प्रकाश शाही से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें लिखित में सवाल भेज दिए हैं. अगर कोई जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
इसके अलावा हमने प्रदेश के सूचना प्रमुख नवनीत सहगल को भी इस संबंध में सवाल भेजे हैं. उनका भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
कृषक समृद्धि आयोग के अहम सदस्यों में से एक और गिरी संस्थान के पूर्व प्रमुख सुरेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘मेरा बाकी कई प्रदेशों में ऐसा ही अनुभव रहा है. कहने को आयोग का गठन कर देते हैं, लेकिन कोई बैठक होती नहीं. सारा कुछ ब्यूरोक्रेटस के हाथ में ही होता है.’’