बेगमबाग मॉडल की तरह ही चांदनखेड़ी में भी पहले रैली, फिर हिंसा और बाद में प्रशासन का बुलडोजर

हिंसा करने वाले लोग यह सब पुलिस की मौजूदगी में ही कर रहे थे, इस पूरी रैली में पुलिस उनके साथ-साथ चल रही थी.

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गलत मीडिया रिपोर्टिंग

इस घटनाक्रम में मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग की गई. पहले कुछ मीडिया द्वारा दिखाया गया कि मस्जिद के पास हिंदू संगठनों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और फिर उसके बाद यह घटना हुई. फिर खबर चली की मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही थी उसी दौरान रैली में शामिल लोगो ने नारे लगाए.

इस तरह की सभी खबरों पर न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए गांव वालों ने इंकार किया. उनका कहना हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था. गांव में घुसने पर सबसे पहला घर मांगू पटेल का पड़ता है. खेती करने वाले मांगू पटेल के घर पर प्रशासन का बुलडोजर सबसे पहले चला था.

मांगू पटेल

53 साल के मांगू हमसे बात करते हुए कहते हैं, “गांव में मस्जिद अंदर की रोड पर है, जबकि घटना गांव के मेनरोड पर हुई थी.”

घटना की जानकारी देते हुए कहते हैं, “जब पहली बार रैली निकली उसके बाद हम लोग खेत चले गए थे बटला (मटर) तोड़ने के लिए. इसके बाद क्या हुआ हमें नहीं पता. कुछ देर बाद गांव के एक व्यक्ति ने फोन लगाया कि प्रशासन घर तोड़ने आया है, तब हम लोग घर आए.”

मांगू पटेल का घर, जिसे प्रशासन ने तोड़ दिया

वह आगे कहते हैं, “प्रशासन ने बिना बताए हमारा घर तोड़ना शुरू कर दिया था, हमें न पहले बताया गया और न ही कोई नोटिस दिया गया था. घटना हो जाने के कुछ देर बाद ही बुलडोजर ने घर तोड़ना शुरू कर दिया था.”

मांगू पटेल के घर के पड़ोस में रहने वाले 70 साल के रहमान और 65 साल की सेराजबाई ने घर तोड़े जाने पर कहा, “हमने तो कुछ नहीं किया था, फिर भी प्रशासन सड़क के चौड़ीकरण के नाम पर घर तोड़ दिया तो हमने उनसे कुछ ज्यादा पूछा भी नहीं और रोका भी नहीं.”

70 साल के रहमान और 65 साल की सेराजबाई

दोनों बुजुर्ग दंपति ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात बार-बार कह रहे थे. हमसे बातचीत में उन्होंने प्रशासन या किसी अन्य का नाम भी नहीं लिया.

सेराजबाई कहती है, “मेरा एक बेटा है जो मजदूरी करता है और हम लोग खेती करते हैं. घटना वाले दिन बेटा ससुराल गया था, इनकी (रहमान) तबीयत खराब थी इसलिए हम लोग अंदर ही थे. हमारे घर पर रैली में शामिल लोगों ने कोई नुकसान नहीं किया है.”

घर तोड़े जाने पर गांव के लोगों ने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी. उन लोगों का कहना था कि प्रशासन आया और उसने घर तोड़ना शुरू कर दिया.

सरपंच अशोक के मुताबिक, “काफी समय से गांव में सड़क की समस्या थी, क्योंकि यहां कच्ची और बेहद संकरी रोड थी जिससे की कई बार जाम लग जाता था. जो भी घर तोड़े गए हैं वह ज्यादा बाहर निकालकर बनाए गए थे. वैसे किसी के घर में ज्यादा तोड़फोड़ नहीं की गई थी क्योंकि लोगों ने पशुओं को रखने के लिए अस्थाई निर्माण किया था सिर्फ उसे ही तोड़ा गया है.”

गांव की निर्माणाधीन सड़क

समाज सेविका मेधा पाटकर ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, “मैं यहां पर गांव वालों से मिलने आई हूं और उनसे घटना की जानकारी ले रही हूं. लेकिन प्रशासन के रवैये से गांव में थोड़ा डर का माहौल है, लोग दबाव महसूस कर रहे हैं.”

पाटकर ने करीब एक घंटे गांव में रहकर पीड़ित परिवार के लोगों से बात की और उनके नुकसान के बारे में जाना.

ग्रामीणों से बात करती मेधा पाटकर

एकतरफा कार्रवाई पर पुलिस का पक्ष

ग्रामीणों के आरोपों पर हमने पुलिस से बात की. देपालपुर के तत्कालीन टीआई (थानाध्यक्ष) रमेशचंद भास्करे और सांवेर एसडीओपी पंकज दीक्षित को लापरवाही बरतने को लेकर घटना के बाद ही निलंबित कर दिया गया था. हमने देपालपुर के नए थाना प्रभारी इन्द्रेश त्रिपाठी से इस मामले पर बात करने की कोशिश की तो उन्होने कहा कि मैं इस मामले पर बयान नहीं दे सकता क्योंकि मैं अधिकृत नहीं हूं.

इसके बाद हमने देपालपुर के एसडीओपी आशुतोष मिश्र से बात की. एकपक्षीय कार्रवाई के आरोपों पर उन्होनें कहा, “देखिए पुलिस अपना काम सही से कर रही है. हम किसी का पक्ष लेकर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. हिंदू पक्ष के तीन लोग ईदगाह की मीनार को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, जिनमें से पुलिस ने दो को गिरफ्तार किया है, एक ने अपने मुंह पर कपड़ा लपेटा हुआ था इसलिए उसकी पहचान नहीं हो पाई है.”

वह आगे कहते हैं, “रैली अपने निर्धारित मार्ग पर चल रही थी, जैसा अमूमन होता है कि रैली में नारे लगते हैं, वहीं सब इस रैली में भी हो रहा था. इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत रैली पर पथराव से हुई जिसमें कुछ लोग घायल हुए. पथराव की प्रतिक्रिया में यह सब हुआ है.”

पुलिस के सामने रैली में शामिल लोगों द्वारा तोड़फोड़ करने के सवाल पर वह कहते हैं, “पुलिस जितना कर सकती थी उसने उस समय किया. अगर पुलिस मुस्तैद नहीं होती तो यहां तीन-चार लोगों की मौत हो चुकी होती और आप यहां आज आ भी नहीं पाते. हमने पथराव करने के आरोप में कुल 27 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर बलवा, धारा 307 और 153अ के तहत कार्रवाई की गई है. अब पूरे गांव में शांति है, पुलिस की एक टीम गांव में भी तैनात है.”

वहीं मकान तोड़े जाने पर देपालपुर तहसील के डिविज़नल मजिस्ट्रेट प्रतुल सिन्हा ने कहा, “घटना के बाद महसूस किया गया कि सड़क फायर ब्रिगेड के गुजरने के लिए पर्याप्त चौड़ी नहीं थी, इसलिए सड़क चौड़ीकरण के तहत यह मकान तोड़े गए हैं.”

बता दें कि न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए ग्रामीण भी कह रहे थे कि सड़क निर्माण की बात चल रही थी लेकिन घटना के अगले दिन सड़क के लिए अतिक्रमण तोड़ना जरूर सवाल खड़ा करता हैं लेकिन पथराव के लिए किसी का घर नहीं तोड़ा गया.

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इस घटनाक्रम में मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग की गई. पहले कुछ मीडिया द्वारा दिखाया गया कि मस्जिद के पास हिंदू संगठनों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और फिर उसके बाद यह घटना हुई. फिर खबर चली की मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही थी उसी दौरान रैली में शामिल लोगो ने नारे लगाए.

इस तरह की सभी खबरों पर न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए गांव वालों ने इंकार किया. उनका कहना हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था. गांव में घुसने पर सबसे पहला घर मांगू पटेल का पड़ता है. खेती करने वाले मांगू पटेल के घर पर प्रशासन का बुलडोजर सबसे पहले चला था.

मांगू पटेल

53 साल के मांगू हमसे बात करते हुए कहते हैं, “गांव में मस्जिद अंदर की रोड पर है, जबकि घटना गांव के मेनरोड पर हुई थी.”

घटना की जानकारी देते हुए कहते हैं, “जब पहली बार रैली निकली उसके बाद हम लोग खेत चले गए थे बटला (मटर) तोड़ने के लिए. इसके बाद क्या हुआ हमें नहीं पता. कुछ देर बाद गांव के एक व्यक्ति ने फोन लगाया कि प्रशासन घर तोड़ने आया है, तब हम लोग घर आए.”

मांगू पटेल का घर, जिसे प्रशासन ने तोड़ दिया

वह आगे कहते हैं, “प्रशासन ने बिना बताए हमारा घर तोड़ना शुरू कर दिया था, हमें न पहले बताया गया और न ही कोई नोटिस दिया गया था. घटना हो जाने के कुछ देर बाद ही बुलडोजर ने घर तोड़ना शुरू कर दिया था.”

मांगू पटेल के घर के पड़ोस में रहने वाले 70 साल के रहमान और 65 साल की सेराजबाई ने घर तोड़े जाने पर कहा, “हमने तो कुछ नहीं किया था, फिर भी प्रशासन सड़क के चौड़ीकरण के नाम पर घर तोड़ दिया तो हमने उनसे कुछ ज्यादा पूछा भी नहीं और रोका भी नहीं.”

70 साल के रहमान और 65 साल की सेराजबाई

दोनों बुजुर्ग दंपति ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात बार-बार कह रहे थे. हमसे बातचीत में उन्होंने प्रशासन या किसी अन्य का नाम भी नहीं लिया.

सेराजबाई कहती है, “मेरा एक बेटा है जो मजदूरी करता है और हम लोग खेती करते हैं. घटना वाले दिन बेटा ससुराल गया था, इनकी (रहमान) तबीयत खराब थी इसलिए हम लोग अंदर ही थे. हमारे घर पर रैली में शामिल लोगों ने कोई नुकसान नहीं किया है.”

घर तोड़े जाने पर गांव के लोगों ने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी. उन लोगों का कहना था कि प्रशासन आया और उसने घर तोड़ना शुरू कर दिया.

सरपंच अशोक के मुताबिक, “काफी समय से गांव में सड़क की समस्या थी, क्योंकि यहां कच्ची और बेहद संकरी रोड थी जिससे की कई बार जाम लग जाता था. जो भी घर तोड़े गए हैं वह ज्यादा बाहर निकालकर बनाए गए थे. वैसे किसी के घर में ज्यादा तोड़फोड़ नहीं की गई थी क्योंकि लोगों ने पशुओं को रखने के लिए अस्थाई निर्माण किया था सिर्फ उसे ही तोड़ा गया है.”

गांव की निर्माणाधीन सड़क

समाज सेविका मेधा पाटकर ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, “मैं यहां पर गांव वालों से मिलने आई हूं और उनसे घटना की जानकारी ले रही हूं. लेकिन प्रशासन के रवैये से गांव में थोड़ा डर का माहौल है, लोग दबाव महसूस कर रहे हैं.”

पाटकर ने करीब एक घंटे गांव में रहकर पीड़ित परिवार के लोगों से बात की और उनके नुकसान के बारे में जाना.

ग्रामीणों से बात करती मेधा पाटकर

एकतरफा कार्रवाई पर पुलिस का पक्ष

ग्रामीणों के आरोपों पर हमने पुलिस से बात की. देपालपुर के तत्कालीन टीआई (थानाध्यक्ष) रमेशचंद भास्करे और सांवेर एसडीओपी पंकज दीक्षित को लापरवाही बरतने को लेकर घटना के बाद ही निलंबित कर दिया गया था. हमने देपालपुर के नए थाना प्रभारी इन्द्रेश त्रिपाठी से इस मामले पर बात करने की कोशिश की तो उन्होने कहा कि मैं इस मामले पर बयान नहीं दे सकता क्योंकि मैं अधिकृत नहीं हूं.

इसके बाद हमने देपालपुर के एसडीओपी आशुतोष मिश्र से बात की. एकपक्षीय कार्रवाई के आरोपों पर उन्होनें कहा, “देखिए पुलिस अपना काम सही से कर रही है. हम किसी का पक्ष लेकर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. हिंदू पक्ष के तीन लोग ईदगाह की मीनार को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, जिनमें से पुलिस ने दो को गिरफ्तार किया है, एक ने अपने मुंह पर कपड़ा लपेटा हुआ था इसलिए उसकी पहचान नहीं हो पाई है.”

वह आगे कहते हैं, “रैली अपने निर्धारित मार्ग पर चल रही थी, जैसा अमूमन होता है कि रैली में नारे लगते हैं, वहीं सब इस रैली में भी हो रहा था. इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत रैली पर पथराव से हुई जिसमें कुछ लोग घायल हुए. पथराव की प्रतिक्रिया में यह सब हुआ है.”

पुलिस के सामने रैली में शामिल लोगों द्वारा तोड़फोड़ करने के सवाल पर वह कहते हैं, “पुलिस जितना कर सकती थी उसने उस समय किया. अगर पुलिस मुस्तैद नहीं होती तो यहां तीन-चार लोगों की मौत हो चुकी होती और आप यहां आज आ भी नहीं पाते. हमने पथराव करने के आरोप में कुल 27 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर बलवा, धारा 307 और 153अ के तहत कार्रवाई की गई है. अब पूरे गांव में शांति है, पुलिस की एक टीम गांव में भी तैनात है.”

वहीं मकान तोड़े जाने पर देपालपुर तहसील के डिविज़नल मजिस्ट्रेट प्रतुल सिन्हा ने कहा, “घटना के बाद महसूस किया गया कि सड़क फायर ब्रिगेड के गुजरने के लिए पर्याप्त चौड़ी नहीं थी, इसलिए सड़क चौड़ीकरण के तहत यह मकान तोड़े गए हैं.”

बता दें कि न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए ग्रामीण भी कह रहे थे कि सड़क निर्माण की बात चल रही थी लेकिन घटना के अगले दिन सड़क के लिए अतिक्रमण तोड़ना जरूर सवाल खड़ा करता हैं लेकिन पथराव के लिए किसी का घर नहीं तोड़ा गया.

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