कैसे हिंदुत्व के रक्षक मध्य प्रदेश में "लव जिहाद" से लड़ रहे हैं

पीछा करना और शादियां रुकवाने से लेकर "ऑनर किलिंग" का समर्थन, संघ परिवार के लोग अलग-अलग धर्म के दंपत्ति को अलग करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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"हम रेस्तरां और सुरक्षा गार्डों के साथ काम कर रहे हैं"

इस अभियान से जुड़ने वाली विहिप अकेली संस्था नहीं है. संघ परिवार से जुड़ी एक और संस्था हिंदू जागरण मंच "अंतर्धार्मिक जोड़ों के श्राप" का बहिष्कार कर उनसे भिड़ने के लिए कटिबद्ध है, खास तौर पर वह जोड़ें जिसमें पुरुष एक मुसलमान और महिला हिंदू है.

हिंदू जागरण मंच के मध्य प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने न्यूज़लॉन्ड्री से अपनी पहचान व्यक्तिगत रखने की शर्त पर विस्तार से बात की. वे दावा करते हैं कि "लव जिहाद" के "अधिकतर मामले" भोपाल, रायसेन और मालवा के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होते हैं.

वह हमें मां और बेटियों के लिए रखे गए कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहते हैं, "हम 'लव जिहाद' के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मां बेटी सम्मेलन करते हैं. हम मांओं और उनकी बेटियों को मुस्लिम लड़कों से बचकर रहने के लिए कहते हैं और उन्हें बताते हैं कि वह कैसे हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, कैसे कलावा और तिलक लगाकर उन्हें मूर्ख बनाने के लिए हिंदू पहचान रख लेते हैं. 80 प्रतिशत मामलों में वे लोग हिंदू लड़कियों से संपर्क झूठी पहचान के सहारे ही करते हैं."

मंच के यह नेता हमें तुरंत यह बताने से नहीं भूले कि मंच "प्रेम के विरुद्ध" नहीं है, बल्कि "फरेबी इरादों से करी गई फरेबी शादियों" के विरुद्ध है.

मंच को अंतर्धार्मिक शादियों के बारे में अदालत और शादियों का पंजीकरण करने वाले नोटरियों से पता चलता है. वे संघ परिवार के प्रमुख संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, "आरएसएस के कार्यकर्ता भी सहयोग कर देते हैं. हम पार्कों के सुरक्षा गार्डों से भी मित्रता करते हैं और उन्हें जोड़ों पर नजर रखने के लिए कहते हैं, खास तौर पर मुस्लिम लड़के जो हिंदू लड़कियों के साथ घूम रहे हैं."

अगर गार्ड "जोड़े को किसी आपत्तिजनक अवस्था में" देखता है, तो वह मंच से संपर्क करता है. मंच के नेता शान से बताते हैं- "हमारे कार्यकर्ता उन्हें पकड़ते हैं, उनकी पहचान पता करते हैं और फिर लड़के को पुलिस के हवाले कर देते हैं. बड़े शहरों में हम हिंदुओं के स्वामित्व वाले रेस्तरां और कॉफी शॉप्स, जिनके मालिक हमारे अभियान का समर्थन करते हैं, से भी संपर्क रखते हैं. ताकि वह हमें हिंदू लड़कियों को शिकार बनाने वाले मुस्लिम लड़कों के बारे में इत्तला कर सकें."

मंच यह कैसे पहचान करता है कि लड़का मुस्लिम ही है?

"यह मुश्किल काम नहीं है. हिंदू लड़कों पर पढ़ाई का दबाव रहता है और वह अपने भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं. इसलिए वो इन चक्करों में कम ही पड़ते हैं."

विहिप के नेता यह दावे बिना किसी सबूत के करते हैं. "अगर उनमें से कोई एक प्रतिशत का अफेयर होता भी है तो वह शादी से पहले शारीरिक संबंध नहीं बनाते हैं. लेकिन एक मुस्लिम आदमी का पहला कदम शारीरिक संबंध बनाना होता है. वह कामुक दरिंदे हैं."

भारत का कानून इन "हिंदुत्व के दूतों" के लिए जोड़ों को प्रताड़ित करना बहुत आसान बना देता है. विशेष विवाह अधिनियम में यह ज़रूरी है कि दंपति शादी के पंजीकरण से 30 दिन पहले अदालत में सूचना दाखिल करे. फिर यह सूचना रजिस्ट्रार के दफ्तर में सार्वजनिक तौर पर लग जाती है क्योंकि कानून कहता है कि वह "सुस्पष्ट" होनी चाहिए.

हिंदू जागरण मंच के नेता बताते हैं, "हमारे कार्यकर्ता ऐसी सूचना पर नजर रखते हैं. हमारे सूत्र भी इनकी जानकारी हमें देते हैं. फिर हमारे कार्यकर्ता परिवार से जाकर मिलते हैं. हम पूछते हैं कि क्या शादी उनकी रज़ामंदी से हो रही है, अधिकतर लोग मना कर देते हैं. फिर हम उन्हें धारा 376 के अंतर्गत एफआईआर लिखवाने के लिए राज़ी करते हैं."

भारतीय कानून संहिता की धारा 376 बलात्कार की सजा देती है. अगर मामले में हिंदू लड़की नाबालिक है, तो मुस्लिम पुरुष को धारा 373 में जो "वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिक की खरीद-फरोख्त" और पास्को (लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के अंतर्गत भी नामजद किया जाता है. वे दुखी होकर बताते हैं, "फिर हम इन लड़कियों का पुनर्विवाह हिंदू लड़कों से कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि समाज में लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते."

वे परिवार को भी बढ़ावा देते हैं कि वह महिला को अपने मुस्लिम साथी के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर करें. वे कहते हैं, "नाबालिक लड़कियों के मामले में यह बहुत आसान होता है. क्योंकि वे वही करती हैं जो उनके परिवार वाले या हम बताते हैं."

विहिप के एक नेता जिन्होंने अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया, दावा करते हैं कि आमतौर पर यह पुलिस की मदद से होता है, "आमतौर पर पुलिस हमारा सहयोग करती है, लेकिन कभी-कभी नहीं भी करती. एक लड़की, जिस लड़के के साथ भागी थी उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए राजी ही नहीं थी. वह बिल्कुल अड़ गई थी. पुलिस ने उसे नम्रता से मनाने की कोशिश की पर जब वह नहीं मानी तो उन्होंने उससे जबरदस्ती शिकायत लिखवा ली. फिर पुलिस ने उसे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया जिसने 15 ही दिन में उसकी शादी एक हिंदू लड़के से कर दी. लड़की का परिवार बहुत खुश था."

"ऐसी मिसालें बनाना आवश्यक है"

आरएसएस के एक नेता ने भी इसी प्रकार की कट्टर और हठधर्मिता से भरी बातें, हिंदू जागरण मंच के नेता की तरह ही, अपनी पहचान छुपाकर की. उनका दावा था, “टीना डाबी भी, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, को भी "लव जिहाद" के जरिए ही फंसाया गया था. टीना डाबी और उनके पूर्व पति ने इसी साल आपसी रजामंदी से तलाक ले लिया. उनकी आपबीती हिंदुत्व के गलियारों में एक बड़ा बातचीत का मुद्दा बन गई है क्योंकि उनके पूर्व पति मुसलमान हैं.”

सहमा देने वाली बात यह है कि आरएसएस के यह नेता "लव जिहाद" से लड़ने के लिए "ऑनर किलिंग" का भी समर्थन करते हैं. वह एक केस, जिसमें एक भाई ने अपनी बहन को एक मुस्लिम आदमी के साथ भागने की वजह से मार दिया था, का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "कभी-कभी ऐसी मिसालें देना जरूरी होता है. अब उस परिवार में कोई भी लड़की फिर से मुसलमान आदमी से शादी करने के बारे में नहीं सोचेगी."

'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की स्टोरी है.

इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 109 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.

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हिंदू जागरण मंच के मध्य प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने न्यूज़लॉन्ड्री से अपनी पहचान व्यक्तिगत रखने की शर्त पर विस्तार से बात की. वे दावा करते हैं कि "लव जिहाद" के "अधिकतर मामले" भोपाल, रायसेन और मालवा के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होते हैं.

वह हमें मां और बेटियों के लिए रखे गए कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहते हैं, "हम 'लव जिहाद' के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मां बेटी सम्मेलन करते हैं. हम मांओं और उनकी बेटियों को मुस्लिम लड़कों से बचकर रहने के लिए कहते हैं और उन्हें बताते हैं कि वह कैसे हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, कैसे कलावा और तिलक लगाकर उन्हें मूर्ख बनाने के लिए हिंदू पहचान रख लेते हैं. 80 प्रतिशत मामलों में वे लोग हिंदू लड़कियों से संपर्क झूठी पहचान के सहारे ही करते हैं."

मंच के यह नेता हमें तुरंत यह बताने से नहीं भूले कि मंच "प्रेम के विरुद्ध" नहीं है, बल्कि "फरेबी इरादों से करी गई फरेबी शादियों" के विरुद्ध है.

मंच को अंतर्धार्मिक शादियों के बारे में अदालत और शादियों का पंजीकरण करने वाले नोटरियों से पता चलता है. वे संघ परिवार के प्रमुख संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, "आरएसएस के कार्यकर्ता भी सहयोग कर देते हैं. हम पार्कों के सुरक्षा गार्डों से भी मित्रता करते हैं और उन्हें जोड़ों पर नजर रखने के लिए कहते हैं, खास तौर पर मुस्लिम लड़के जो हिंदू लड़कियों के साथ घूम रहे हैं."

अगर गार्ड "जोड़े को किसी आपत्तिजनक अवस्था में" देखता है, तो वह मंच से संपर्क करता है. मंच के नेता शान से बताते हैं- "हमारे कार्यकर्ता उन्हें पकड़ते हैं, उनकी पहचान पता करते हैं और फिर लड़के को पुलिस के हवाले कर देते हैं. बड़े शहरों में हम हिंदुओं के स्वामित्व वाले रेस्तरां और कॉफी शॉप्स, जिनके मालिक हमारे अभियान का समर्थन करते हैं, से भी संपर्क रखते हैं. ताकि वह हमें हिंदू लड़कियों को शिकार बनाने वाले मुस्लिम लड़कों के बारे में इत्तला कर सकें."

मंच यह कैसे पहचान करता है कि लड़का मुस्लिम ही है?

"यह मुश्किल काम नहीं है. हिंदू लड़कों पर पढ़ाई का दबाव रहता है और वह अपने भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं. इसलिए वो इन चक्करों में कम ही पड़ते हैं."

विहिप के नेता यह दावे बिना किसी सबूत के करते हैं. "अगर उनमें से कोई एक प्रतिशत का अफेयर होता भी है तो वह शादी से पहले शारीरिक संबंध नहीं बनाते हैं. लेकिन एक मुस्लिम आदमी का पहला कदम शारीरिक संबंध बनाना होता है. वह कामुक दरिंदे हैं."

भारत का कानून इन "हिंदुत्व के दूतों" के लिए जोड़ों को प्रताड़ित करना बहुत आसान बना देता है. विशेष विवाह अधिनियम में यह ज़रूरी है कि दंपति शादी के पंजीकरण से 30 दिन पहले अदालत में सूचना दाखिल करे. फिर यह सूचना रजिस्ट्रार के दफ्तर में सार्वजनिक तौर पर लग जाती है क्योंकि कानून कहता है कि वह "सुस्पष्ट" होनी चाहिए.

हिंदू जागरण मंच के नेता बताते हैं, "हमारे कार्यकर्ता ऐसी सूचना पर नजर रखते हैं. हमारे सूत्र भी इनकी जानकारी हमें देते हैं. फिर हमारे कार्यकर्ता परिवार से जाकर मिलते हैं. हम पूछते हैं कि क्या शादी उनकी रज़ामंदी से हो रही है, अधिकतर लोग मना कर देते हैं. फिर हम उन्हें धारा 376 के अंतर्गत एफआईआर लिखवाने के लिए राज़ी करते हैं."

भारतीय कानून संहिता की धारा 376 बलात्कार की सजा देती है. अगर मामले में हिंदू लड़की नाबालिक है, तो मुस्लिम पुरुष को धारा 373 में जो "वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिक की खरीद-फरोख्त" और पास्को (लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के अंतर्गत भी नामजद किया जाता है. वे दुखी होकर बताते हैं, "फिर हम इन लड़कियों का पुनर्विवाह हिंदू लड़कों से कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि समाज में लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते."

वे परिवार को भी बढ़ावा देते हैं कि वह महिला को अपने मुस्लिम साथी के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर करें. वे कहते हैं, "नाबालिक लड़कियों के मामले में यह बहुत आसान होता है. क्योंकि वे वही करती हैं जो उनके परिवार वाले या हम बताते हैं."

विहिप के एक नेता जिन्होंने अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया, दावा करते हैं कि आमतौर पर यह पुलिस की मदद से होता है, "आमतौर पर पुलिस हमारा सहयोग करती है, लेकिन कभी-कभी नहीं भी करती. एक लड़की, जिस लड़के के साथ भागी थी उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए राजी ही नहीं थी. वह बिल्कुल अड़ गई थी. पुलिस ने उसे नम्रता से मनाने की कोशिश की पर जब वह नहीं मानी तो उन्होंने उससे जबरदस्ती शिकायत लिखवा ली. फिर पुलिस ने उसे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया जिसने 15 ही दिन में उसकी शादी एक हिंदू लड़के से कर दी. लड़की का परिवार बहुत खुश था."

"ऐसी मिसालें बनाना आवश्यक है"

आरएसएस के एक नेता ने भी इसी प्रकार की कट्टर और हठधर्मिता से भरी बातें, हिंदू जागरण मंच के नेता की तरह ही, अपनी पहचान छुपाकर की. उनका दावा था, “टीना डाबी भी, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, को भी "लव जिहाद" के जरिए ही फंसाया गया था. टीना डाबी और उनके पूर्व पति ने इसी साल आपसी रजामंदी से तलाक ले लिया. उनकी आपबीती हिंदुत्व के गलियारों में एक बड़ा बातचीत का मुद्दा बन गई है क्योंकि उनके पूर्व पति मुसलमान हैं.”

सहमा देने वाली बात यह है कि आरएसएस के यह नेता "लव जिहाद" से लड़ने के लिए "ऑनर किलिंग" का भी समर्थन करते हैं. वह एक केस, जिसमें एक भाई ने अपनी बहन को एक मुस्लिम आदमी के साथ भागने की वजह से मार दिया था, का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "कभी-कभी ऐसी मिसालें देना जरूरी होता है. अब उस परिवार में कोई भी लड़की फिर से मुसलमान आदमी से शादी करने के बारे में नहीं सोचेगी."

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