मेरठ के दौराला में मुस्लिमों ने लगाए ‘ये घर बिकाऊ है' के पोस्टर

गांव वालों ने पुलिस पर पक्षपात करने, कार्रवाई न करने और मामले को रफा-दफा करने को बताया पलायन की वजह.

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दूसरा पक्ष

जिन लोगों पर मारपीट और फायरिंग करने का आरोप है वह गांव के दूसरे मोहल्ले में रहते हैं. उनसे मिलने के लिए हम वहां पहुंचे तो ज्यादातर लोग गांव में मौजूद नहीं थे. एक-दो लोग जो वहां मौजूद थे उनसे बातचीत हुई तो उन्होंने पलायन करने की बात को नाटक बताया. कुछ देर बाद जब हम वहां से निकलने लगे तभी जिस लड़के सुंदर से ये विवाद हुआ था उसके पिता वीरसिंह वहां आ गए. उन्होंने इस घटना में आरोप-प्रत्यारोप के बारे में बातचीत की.

वीरसिंह बताते हैं, “3-4 लड़के मोदीपुरम में मकान से आ रहे थे, कुछ खाए-पिए भी थे. नौशीन की दुकान पर आकर इन्होंने सिगरेट मांगी और पैसे दिए. तो उसने कहा कि एक दिन के 20 रुपए और हैं. इस बात पर इनमें कुछ गाली-गलौज हो गई. और इसने उसमें थप्पड़ मार दिया. इसके बाद उन्होंने पथराव कर दिया. अब यहां से कुछ लोग गए, मैं तो था नहीं, अगर मैं होता तो कुछ होने न देता. रात को बात भी हो गई कि बच्चों का झगड़ा है दोनों की कुछ क्षति हो गई, हमारी भी गाड़ी टूटी है, लड़का भी पिटा है लेकिन कोई रिपोर्ट वगैरह नहीं होगी. उसी बात को बढ़ा दिया है. कोई मकान पर पलायन के पोस्टर चिपका रहा है. कुछ नहीं, बस राजनीति दिखा रहे हैं.”

गुर्जर मोहल्ला

पहले झगड़े के सवाल पर वीर सिंह कहते हैं, “झगड़ा हुआ था पहले भी, लेकिन इनमें से किसी का नाम नहीं था उस झगड़े में. हम तो अब भी हाथ जोड़ रहे हैं कि इससे गांव का माहौल खराब होता है. इन बैनरों को उतरवाओ. मैंने तो कहा है कि अगर हमारी गलती है तो हम तो अपनी गलती पंचों में खड़े होकर मान रहे हैं. वैसे भी ये दिखावटी ही है, ये तो है नहीं कि वे सच में जा ही रहे हैं.”

गोली चलने के सवाल पर वीर सिंह कहते हैं, “ये तो गोली नहीं चला रहे थे, लेकिन इनका नाम लगा दिया. हालांकि फायर तो हुए हैं. उन्होंने ईंट भी बरसाई. बाकि आज भी हम वहां कह कर आए हैं कि बड़े बूढ़े रहते आए हैं, आगे कोई गलती नहीं करेंगे, आगे हम कुछ नहीं होने देंगे. अगर उस दिन भी मैं होता तो कुछ होने नहीं देता. बाकि उम्मीद है कि मामला निबट जाएगा. वो भी आदमी भले हैं, ये तो और लोग बलवा करा रहे हैं.”

imageby :

ग्राम प्रधान

मामले में मुस्लिम समुदाय के लोग गांव के प्रधान की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं. हम प्रधान सुशील कुमार से भी मिले और इस घटना के बारे में बात की. उन्होंने हमसे कैमरे पर बोलने से तो इंकार कर दिया. लेकिन वैसे हमसे बात की.

घटना के बारे में प्रधान सुशील ने कहा कि सिर्फ 20 रुपए की बात थी. जिस पर ये विवाद हुआ. क्योंकि इस लड़के ने औकात जैसे शब्द का प्रयोग कर दिया था, तो उसने थप्पड़ मार दिया. हालांकि फिर कुछ लड़ाई हुई पर बाद में मामला समझा-बुझा कर शांत कर दिया था. लेकिन अब कुछ लोग हैं जो इन्हें उकसा कर अपनी राजनीति कर रहे हैं. ये कहीं जा थोड़ी रहे हैं. बाकि पूरे गांव में भाईचारा है और ये मामला भी एक-दो दिन में शांत हो जाएगा.

बांए बैठे ग्राम प्रधान सुशील कुमार

पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप

इस मामले में गांव वालों ने पुलिस पर कार्यवाही न करने और मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगाया है. गांव वालों के पलायन की वजह पुलिस द्वारा मौके दर मौके एकतरफा रवैया अपनाने को माना जा रहा है.

लोगों से बातचीत के दौरान हमें पता चला कि स्थानीय थाना दौराला से दरोगा राजकुमार गांव में ही आए हुए हैं और दोनों पक्षों के लोगों से बात कर रहे हैं. हम उनसे मिलने पहुंचे और परिचय देकर कई बार उनसे बात करने की कोशिश की तो पहले तो वे फोन पर बिजी हो गए. फिर वे तेजी से गाड़ी में बैठकर वहां से चले गए. बैठक में शामिल एक आदमी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि ये इस मामले में फैसला करने और इन पोस्टरों को उतरवाने के लिए कह रहे थे.

इसके बाद हम दौराला थाने पहुंचे तो पता चला कि एसएचओ किरनपाल सिंह ग्राउंड पर गए हुए हैं. फोन पर हुई बातचीत उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्यवाही चल रही है. फैसले के दबाव पर वे सवालिया अंदाज में बोले, “हम क्यूं फैसला कराएंगे, हमारा क्या मतलब है! बाकि वे (घरों पर) झूठे पोस्टर लगाकर गांव का माहौल बिगाड़ रहे हैं. इससे ये पूरे शासन प्रशासन को बुरा बनवा रहे हैं, क्या ये करना उचित है! या आज तक किसी ने पलायन किया है तो बताओ!”

कुछ लोगों के जाने की बात हमने उन्हें बताई तो एसएचओ थोड़ी नाराजगी में बोले, “आप उनकी बात मान लो. मैं थाने का इंचार्ज हूं, मुझे सब जानकारी है, कोई कहीं नहीं गया. ये खुद ही झगड़ा कराएंगे, रोज अखबार में निकाल रहे हैं, फेसबुक पर डाल रहे हैं. जो इन्हें करना है करने दीजिए.”

एफआईआर के सवाल पर एसएचओ किरनपाल कहते हैं, “कोई एफआईआर तो नहीं हुई है. बताओ क्या किसी के चोट लगी है, हाथ-पैर टूटा है! किसी के भी चोट नहीं लगी है, केवल माहौल खराब करने वाली बात है और कुछ नहीं है.”

फायर और शीशे टूटने की बात पर वे बोले, “जब पत्थरबाजी करेंगे तो शीशे टूटेंगे ही. बाकि हमारी पुलिस चारों तरफ घूम रही है. शांति व्यवस्था बनी हुई है, जो शांति व्यवस्था भंग करेगा उसके खिलाफ मैं कार्रवाई करूंगा. दोनों पक्षों को समझा दिया है कि जो बात हो गई वो हो गई, अब अगर आगे कोई बात होती है तो सख्त कार्रवाई होगी.”

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दूसरा पक्ष

जिन लोगों पर मारपीट और फायरिंग करने का आरोप है वह गांव के दूसरे मोहल्ले में रहते हैं. उनसे मिलने के लिए हम वहां पहुंचे तो ज्यादातर लोग गांव में मौजूद नहीं थे. एक-दो लोग जो वहां मौजूद थे उनसे बातचीत हुई तो उन्होंने पलायन करने की बात को नाटक बताया. कुछ देर बाद जब हम वहां से निकलने लगे तभी जिस लड़के सुंदर से ये विवाद हुआ था उसके पिता वीरसिंह वहां आ गए. उन्होंने इस घटना में आरोप-प्रत्यारोप के बारे में बातचीत की.

वीरसिंह बताते हैं, “3-4 लड़के मोदीपुरम में मकान से आ रहे थे, कुछ खाए-पिए भी थे. नौशीन की दुकान पर आकर इन्होंने सिगरेट मांगी और पैसे दिए. तो उसने कहा कि एक दिन के 20 रुपए और हैं. इस बात पर इनमें कुछ गाली-गलौज हो गई. और इसने उसमें थप्पड़ मार दिया. इसके बाद उन्होंने पथराव कर दिया. अब यहां से कुछ लोग गए, मैं तो था नहीं, अगर मैं होता तो कुछ होने न देता. रात को बात भी हो गई कि बच्चों का झगड़ा है दोनों की कुछ क्षति हो गई, हमारी भी गाड़ी टूटी है, लड़का भी पिटा है लेकिन कोई रिपोर्ट वगैरह नहीं होगी. उसी बात को बढ़ा दिया है. कोई मकान पर पलायन के पोस्टर चिपका रहा है. कुछ नहीं, बस राजनीति दिखा रहे हैं.”

गुर्जर मोहल्ला

पहले झगड़े के सवाल पर वीर सिंह कहते हैं, “झगड़ा हुआ था पहले भी, लेकिन इनमें से किसी का नाम नहीं था उस झगड़े में. हम तो अब भी हाथ जोड़ रहे हैं कि इससे गांव का माहौल खराब होता है. इन बैनरों को उतरवाओ. मैंने तो कहा है कि अगर हमारी गलती है तो हम तो अपनी गलती पंचों में खड़े होकर मान रहे हैं. वैसे भी ये दिखावटी ही है, ये तो है नहीं कि वे सच में जा ही रहे हैं.”

गोली चलने के सवाल पर वीर सिंह कहते हैं, “ये तो गोली नहीं चला रहे थे, लेकिन इनका नाम लगा दिया. हालांकि फायर तो हुए हैं. उन्होंने ईंट भी बरसाई. बाकि आज भी हम वहां कह कर आए हैं कि बड़े बूढ़े रहते आए हैं, आगे कोई गलती नहीं करेंगे, आगे हम कुछ नहीं होने देंगे. अगर उस दिन भी मैं होता तो कुछ होने नहीं देता. बाकि उम्मीद है कि मामला निबट जाएगा. वो भी आदमी भले हैं, ये तो और लोग बलवा करा रहे हैं.”

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ग्राम प्रधान

मामले में मुस्लिम समुदाय के लोग गांव के प्रधान की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं. हम प्रधान सुशील कुमार से भी मिले और इस घटना के बारे में बात की. उन्होंने हमसे कैमरे पर बोलने से तो इंकार कर दिया. लेकिन वैसे हमसे बात की.

घटना के बारे में प्रधान सुशील ने कहा कि सिर्फ 20 रुपए की बात थी. जिस पर ये विवाद हुआ. क्योंकि इस लड़के ने औकात जैसे शब्द का प्रयोग कर दिया था, तो उसने थप्पड़ मार दिया. हालांकि फिर कुछ लड़ाई हुई पर बाद में मामला समझा-बुझा कर शांत कर दिया था. लेकिन अब कुछ लोग हैं जो इन्हें उकसा कर अपनी राजनीति कर रहे हैं. ये कहीं जा थोड़ी रहे हैं. बाकि पूरे गांव में भाईचारा है और ये मामला भी एक-दो दिन में शांत हो जाएगा.

बांए बैठे ग्राम प्रधान सुशील कुमार

पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप

इस मामले में गांव वालों ने पुलिस पर कार्यवाही न करने और मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगाया है. गांव वालों के पलायन की वजह पुलिस द्वारा मौके दर मौके एकतरफा रवैया अपनाने को माना जा रहा है.

लोगों से बातचीत के दौरान हमें पता चला कि स्थानीय थाना दौराला से दरोगा राजकुमार गांव में ही आए हुए हैं और दोनों पक्षों के लोगों से बात कर रहे हैं. हम उनसे मिलने पहुंचे और परिचय देकर कई बार उनसे बात करने की कोशिश की तो पहले तो वे फोन पर बिजी हो गए. फिर वे तेजी से गाड़ी में बैठकर वहां से चले गए. बैठक में शामिल एक आदमी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि ये इस मामले में फैसला करने और इन पोस्टरों को उतरवाने के लिए कह रहे थे.

इसके बाद हम दौराला थाने पहुंचे तो पता चला कि एसएचओ किरनपाल सिंह ग्राउंड पर गए हुए हैं. फोन पर हुई बातचीत उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्यवाही चल रही है. फैसले के दबाव पर वे सवालिया अंदाज में बोले, “हम क्यूं फैसला कराएंगे, हमारा क्या मतलब है! बाकि वे (घरों पर) झूठे पोस्टर लगाकर गांव का माहौल बिगाड़ रहे हैं. इससे ये पूरे शासन प्रशासन को बुरा बनवा रहे हैं, क्या ये करना उचित है! या आज तक किसी ने पलायन किया है तो बताओ!”

कुछ लोगों के जाने की बात हमने उन्हें बताई तो एसएचओ थोड़ी नाराजगी में बोले, “आप उनकी बात मान लो. मैं थाने का इंचार्ज हूं, मुझे सब जानकारी है, कोई कहीं नहीं गया. ये खुद ही झगड़ा कराएंगे, रोज अखबार में निकाल रहे हैं, फेसबुक पर डाल रहे हैं. जो इन्हें करना है करने दीजिए.”

एफआईआर के सवाल पर एसएचओ किरनपाल कहते हैं, “कोई एफआईआर तो नहीं हुई है. बताओ क्या किसी के चोट लगी है, हाथ-पैर टूटा है! किसी के भी चोट नहीं लगी है, केवल माहौल खराब करने वाली बात है और कुछ नहीं है.”

फायर और शीशे टूटने की बात पर वे बोले, “जब पत्थरबाजी करेंगे तो शीशे टूटेंगे ही. बाकि हमारी पुलिस चारों तरफ घूम रही है. शांति व्यवस्था बनी हुई है, जो शांति व्यवस्था भंग करेगा उसके खिलाफ मैं कार्रवाई करूंगा. दोनों पक्षों को समझा दिया है कि जो बात हो गई वो हो गई, अब अगर आगे कोई बात होती है तो सख्त कार्रवाई होगी.”

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