समाचार एजेंसी एएनआई ने जिन लोगों का संबंध तब्लीगी जमात से बताया उनके तार असल में नोएडा की सीजफायर कंपनी से जुड़े हैं जिसकी नोएडा में कोरोना फैलाने में बड़ी भूमिका रही है.
देश के अलग-अलग जिलों से तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों को लेकर कई बेसिर-पैर की ख़बरें लगातार आ रही हैं.
तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों को लेकर हिंदी मीडिया संस्थानों में प्रकाशित कुछ खबरों का शीर्षक बेहद हैरान करने वाला है. मसलन, ‘क्वारंटीन किए गए तब्लीगी जमाती खाने में मांग रहे कबाब, नहीं खा रहे दाल-रोटी’, ‘अस्पताल के खाने में 25-25 रोटियां खा रहे जमाती, बड़े गिलास में मांग रहे चाय’, ‘नहीं सुधर रहे जमाती, अब क्वारंटाइन सेंटर में सफाईकर्मी के मुंह पर फेंकी बेडशीट’, ‘क्वारंटाइन किये गए जमातियों ने खाने में नॉनवेज न मिलने पर किया जमकर हंगामा, जमातियों ने खुले में ही कर डाली शौच.’ आदि.
सोशल मीडिया और मुख्यधारा के मीडिया में तब्लीगी जमात से जुड़ी इसी तरह की भ्रामक जानकारियां फैलाई जा रही हैं.
जमातियों को लेकर भ्रामक ख़बरें फ़ैलाने में समाचार एजेंसी एएनआई भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है, जिसे फेक न्यूज़ फैलाने के कारण बीते दिनों एक बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा.
एएनआई ने फैलाया फेंक न्यूज़
बीते मंगलावर को नोएडा सेक्टर आठ में मौजूद झुग्गियों से लगभग 300 लोगों को नोएडा प्रशासन द्वारा कोरोना की जांच के लिए ले जाया गया. इसके बाद एनएनआई ने ट्वीट करके जानकारी दी कि इनका संबंध तब्लीगी जमात के लोगों से है.
एएनआई के यूपी ट्विटर हैंडल ने नोएडा के डीसीपी संकल्प शर्मा के हवाले से लिखा, ‘‘नोएडा सेक्टर 5 , हरौला में रहने वाले जिन लोगों को क्वारंटाइन किया गया है उनका संपर्क तब्लीगी जमात से था.’’
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Contributeसबसे पहली गलती एएनआई अपने ट्वीट में यह की कि मंगलवार रात जिन लोगों को नोएडा प्रशासन ने क्वारंटाइन किया वे सेक्टर पांच के नहीं सेक्टर आठ की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले हैं. दोनों झुग्गियां आमने-सामने ही हैं.
दूसरी गलती जिसको लेकर एएनआई को शर्मिंदगी उठानी पड़ी वो यह थी कि एक पुलिस अधिकारी के हवाले से झूठी ख़बर फैलाई गई. दरअसल जिन लोगों को मंगलवार को उठाया गया और जांच के लिए ग्रेटर नोएडा ले जाया गया. उनका कोई भी संबंध तब्लीगी जमात से नहीं है.
एएनआई के ट्वीट करने के बाद उसे एएनआई की एडिटर इन चीफ स्मिता प्रकाश ने रीट्वीट किया और लिखा ‘Be safe Noida’ यहीं नहीं जमात को लेकर अभियान छेड़ने वाले न्यूज़ 18 इंडिया के एंकर अमीश देवगन ने भी रीट्वीट करते हुए लिखा- ‘जमात ने कुछ भी नहीं छोड़ा. ‘आरपार’ इसे समझने में आपकी मदद करेगा.’’ आरपार अमीश देवगन के टीवी शो का नाम है. दो शब्दों में कहें तो अमीश देवगन मुसलमान और इस्लाम के एक्सपर्ट हैं.
इन तमाम लोगों का ट्वीट सामने आते ही नोएडा डीसीपी दफ्तर सक्रिय हो गया. उसने एएनआई के ट्वीट के जवाब में ट्वीट करके बताया,‘जो लोग पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हैं उन्हें क्वारंटाइन किया गया है. इनका तब्लीगी जमात से संबंध नहीं है. आप भ्रम पैदा करके फेक न्यूज़ फैला रहे हैं.’’
यूपी पुलिस ने इससे पहले कई मीडिया संस्थानों को फेक न्यूज़ फ़ैलाने के लिए टोका है और अपना ट्वीट डिलीट करने के लिए कहा है. इसमें ज़ी न्यूज़ और अमर उजाला शामिल है. दोनों ने जमात को लेकर फेक न्यूज़ प्रकाशित किया था.ज़ी ने अपनी खबर में बताया था कि फिरोजाबाद में 4 तबलीगी जमात कोरोना पॉजिटिव, इन्हें लेने पहुंची मेडिकल टीम पर हुआ पत्थराव. इसे फिरोजाबाद पुलिस ने असत्य और भ्रामक खबर बताते हुए हटाने के लिए कहा था.
इसके अलावा अमर उजाला ने खबर प्रकाशित किया था कि नॉनवेज न मिलने पर जमातियों ने फेंका खाना. जिसे सहारनपुर पुलिस ने गलत बताया था.
यह पहला मौका था जब एक समाचार एजेंसी की ख़बर को पुलिस ने फेक न्यूज़ बताया. इसके बाद एएनआई को वह ट्वीट डिलीट करना पड़ा.
तब्लीगी जमात नहीं सीजफायर कंपनी से है इस मामले का संबंध
बुधवार दोपहर नोएडा सेक्टर आठ झुग्गी के आसपास आठ से दस की संख्या में नोएडा पुलिस के कर्मचारी बैठे हुए सुरक्षा दे रहे थे. सड़क पर बेवजह आने वाले लोगों को पुलिस डंडे भी मारती नज़र आई.
इस इलाके में लकड़ी के सामान का कारोबार होता है. सामान्य दिनों में यहां हर वक़्त जाम की स्थिति रहती है लेकिन अब इतनी शांति है कि चिड़ियों की आवाज़ आसानी से सुनी जा सकती है
पुलिस की सख्ती के बावजूद यहां रहने वाले रियासुद्दीन अपने दोस्तों के साथ गली में बैठे हुए मिले. उन्होंने हमें बताया, ‘‘हमारीझुग्गी में कोई अभी तक पॉजिटिव नहीं आया है. प्रशासन के लोग एहतियातन लेकर गए हैं. जब से लोगों को ले जाया गया है तब से डर पैदा हो गया है. यहां किसी का पॉजिटिव आ गया तो कम से दस लोगों तक वो फ़ैल चुका होगा. आप देखिए ना दो घरों के बीच दूरी कितनी है. गली भी पतली-पतली है. यहां साफ़-सफाई भी नहीं है.’’
रियासुद्दीन के साथ ही खड़े सुमित हरोला बाजार में सब्जी बेंचने का काम करते हैं. बहराइच के रहने वाले सुमित कहते हैं, ‘‘डर तो पहले से था लेकिन अब और बढ़ गया है. एक-दो दिन के लिए भी अगर ट्रेन और बसें चलेंगी तो मैं घर भाग जाऊंगा. गांव में घर और उसके आसपास तो कम से कम साफ़-सफाई है. यहां बीमार पड़ भी गए तो ख्याल कौन रखेगा.’’
यहां हमारी मुलाकात बेहद कम लोगों से ही हो पाई क्योंकि पुलिस की सख्ती से लोग बाहर नहीं निकल रहे थे. हमने यहां के लोगों से तब्लीगी जमात को लेकर सवाल पूछा तो उनका कहना था यहां तो हमारी जानकारी में तब्लीगी जमात का कोई नहीं आया. बाकी अल्लाह मालिक है.
बुधवार शाम होते-होते योगी सरकार ने प्रदेश के 15 जिलों के कुछ विशेष इलाकों को 15 अप्रैल तक पूरी तरह से सील करने का फैसला कर लिया. इसमें नोएडा भी शामिल है.
सरकार के आदेश के बाद नोएडा प्रशासन ने सेक्टर पांच और आठ समेत जिले के 22 इलाकों को हॉटस्पॉट घोषित कर दिया है. इस इलाके में कोई भी व्यक्ति अब आ-जा नहीं सकता. यहां रहने वाले लोगों के घर राशन भी सरकार ही पहुंचाएगी.
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने नोएडा को पहले से हॉटस्पॉट घोषित किया हुआ है. नोएडा में अब तक 58 मामले कोरोना वायरस के आ चुके हैं. भाषा की रिपोर्ट के अनुसार नोएडा स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि 58 में से 10 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 48 अभी तक संक्रमित हैं.
न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए नोएडा स्थित कोविड रेस्पॉन्स टीम के नोडल अफ़सर नरेंद्र भूषण कहते हैं, ‘‘नोएडा सेक्टर आठ के जेजे कॉलोनी से जिन लोगों को जांच के लिए ले जाया गया है उनका अब तक कोई भी संबंध जमात के लोगों से सामने नहीं आया है. आगे का नहीं कह सकते हैं.’’
नरेंद्र भूषण बताते हैं, ‘‘दरअसल सेक्टर पांच के जेजे कॉलोनी में रहने वाले पांच लोग बीते दिनों कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इसमें से कुछ लोग सीजफायर कंपनी के कर्मचारियों के यहां मेड का काम करते थे. कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोगों में से एक शख्स सेक्टर आठ के जेजे कॉलोनी में गया था. जेजे कॉलोनियों में सोशल डिसटेंसिंग, साफ-सफाई कम होती है इसलिए संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. जिसको ध्यान में रखते हुए हम मंगलावर को 315 और बुधवार को दोबारा 50 लोगों को जांच के लिए ले गए थे.जांच के बाद उनमें से जो हमें संदिग्ध लगे, उन्हें रोक लिया है और बाकियों को छोड़ दिया गया है. लगभग 90 के करीब लोगों को हमने अपने यहां रखा हुआ है.’’
नरेंद्र भूषण आगे बताते हैं कि जेजे कॉलोनी में सोशल डिस्टेंसिंग की संभवना कम होती है जिस वजह से हम नोएडा के अलग-अलग इलाकों में लोगों की जांच कर रहे हैं. जेजे कॉलोनी में सफाई अभियान चल रहा है. उनमें जागरूकता फैला रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा हाई रिस्क कॉलोनी सेक्टर पांच और आठ है. जमात या कोई और लिंक देखना ठीक नहीं है.’’
गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि जिन इलाकों को सीज किया गया है उन इलाकों में फल और सब्जी बेचने के लिए कौन-कौन लोग सुबह 10 बजे से मौजूद रहेंगे
प्रशासन की पूरी कोशिश है कि लोगों को इधर से उधर आने जाने से रोका जाय.
नोएडा के हॉटस्पॉट बनने के पीछे सीजफायर
नोएडा में करोना मरीजों की संख्या बढ़ने के पीछे यहां सेक्टर-135 में स्थितएक सीजफायर कंपनी का हाथ माना जा रहा है. यूपी में अब तक 361 मामले कोरोना के सामने आए हैं जिसमें से सबसे ज्यादा आगरा में 64 हैं और उसके बाद नोएडा में 58 मामले हैं, इनमें से 38 मामलों का संबंध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सीजफायर कंपनी से जुड़ा हुआ है. सेक्टर पांच में जो मामले सामने आए उसमें से एक महिला सीजफायर कंपनी के एक कर्मचारी के यहां घरेलू नौकर थी.
इस कंपनी की गतिविधियों पर कार्रवाई नहीं करने के साथ और अन्य कई लापरवाही की वजह से बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गुस्सा तत्कालीन जिलाधिकारीबीएन सिंह पर फूट पड़ा था. योगी आदित्यनाथ ने कड़े शब्दों में उनसे कई सवाल किए थे जिसके बाद बीएन सिंह ने तीन महीने के अवकाश की मांग की थी. बाद में उनका ट्रांसफर लखनऊ के राजस्व विभाग में कर दिया गया.
योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद सीजफायर को सील कर दिया गया और स्वास्थ्य विभाग ने कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर लिया था.
ख़बरों के अनुसार कंपनी पर यह कार्रवाई उसके द्वारा सच छुपाये जाने के कारण की गई है. दरअसल कंपनी मेंमार्च महीने में लंदन से एक ऑडिटर आया था. वह यहां के एक फाइव स्टार होटल में भी ठहरा था. कंपनी के सीनियर अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की थी लेकिन यह जानकारी कंपनी ने प्रशासन को नहीं दी. नोएडा में कोरोना के फैलने के पीछे लंदन से आए इस ऑडिटर को माना जा रहा है.
एएनआई ने पहली बार ऐसा नहीं किया
जब टीवी चैनल ‘कोरोना आया, मौलाना लाया’ स्लग चलाने लगे तो कुछ लोग ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए बताया कि वैष्णो देवी मंदिर में भी 400 लोग लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए थे.
लोगों तक यह सूचना 28 मार्च को एएनआई के जरिए ही पहुंची थी. एएनआई ने बकायदा कुछ तस्वीरों के साथ ट्वीट किया और बताया था कि बिहार से दर्शन के लिए वैष्णो देवी आए 400 लोग वहां फंसे हुए हैं. उन्हें रहने की सुविधा तो दी गई है लेकिन उसे खाली करने के लिए बोला जा रहा है.
इसके ठीक तीन दिन बाद एएनआई ने माता वैष्णो देवी बोर्ड के सीईओ आरके जांगिड़ के हवाले से लिखा कि “वैष्णो देवी में 400 लोग नहीं फंसे हैं लेकिन ऐसी ख़बरें चल रही है. यहां लॉकडाउन से पहले ही 18 मार्च को दर्शन बंद कर दिया गया.’’
यहां सवाल उठता है कि एएनआई ने वैष्णो देवी में फंसे दर्शन करने गए लोगों को लेकर गलत सूचना दी थी?
दोनों ही खबरों के बाद एएनआई की तरफ से कोई भी सफाई सामने नहीं आई है. हमने भी बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई.
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