पुलिस द्वारा तय प्रक्रियाओं की अनदेखी, जेल भेजने की जल्दबाजी, मीडिया के सांप्रदायिक बर्ताव और राजनीतिक दबाव ने चोटिल तबरेज़ की मौत को अनिवार्य बना दिया.
जिस घर के बाहर 1:30 बजे दोपहर में खाली कुर्सियों और सन्नाटे के बीच मातम पसरा था, वहां 1:45 बजते-बजते एक मजमा लग चुका था. 15 मिनट के भीतर तस्वीर बदल गई थी. दिल्ली से आए आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ये बदलाव किया था. दोनों बारंबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोस रहे थे. वहां मौजूद लोगों में इन दोनों के साथ सेल्फी लेने की होड़ थी. ठसाठस भीड़ में जो लोग उन तक नहीं पहुंच पा रहे थे, वे छतों और दीवारों पर चढ़कर उन्हें कैमरे में क़ैद कर रहे थे. यह भीड़ की हिंसा की शिकार हुए मृतक तबरेज़ अंसारी के सरायेकला-खरसावां जिले के कदमडीहा गांव स्थित घर का नज़ारा था, 28 जून को. लेकिन घर के भीतर बेसुध पड़ी तबरेज़ की पत्नी शाइस्ता परवीन बदहवास थीं, पर भीड़ शायद उन्हें भूल गई थी.
मृतक तबरेज़ अंसारी के घर के बाहर यह सब करीबन एक घंटे तक चलता रहा. 25 वर्षीय तबरेज़ अंसारी की मौत मॉब लिचिंग से हुई है या नहीं, इसको लेकर कई तरह की अटकलें हैं.
सराकेला-खरसांवा के धातकीडीह गांव में 17 जून को तबरेज़ अंसारी को चोरी करते हुए गांव के लोगों ने पकड़ लिया था. घटना का एक वीडियो सामने आया है जिसके मुताबिक उसकी बेरहमी से पिटाई हुई, साथ ही उससे जय श्रीराम के नारे लगवाए गए. अगले ही दिन यानि 18 जून को पुलिस ने तबरेज़ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस दौरान तबरेज़ की तबियत बिगड़ गई और 22 जून को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
मृतक तबरेज़ के मां-बाप की मौत कई साल पहले चुकी है. इनके गुजरने के बाद एक बहन और तबरेज़ की देखभाल उसके चाचा मसरूर आलम और मकसूद आलम ने की. बहन का ब्याह साल भर पहले हुआ है, मगर तबरेज़ की शादी सिर्फ दो माह पहले हुई थी.
पत्नी की पति से आखिरी बात
धातकीहीड गांव से तबरेज़ के गांव की दूरी करीबन छह किलोमीटर है. घटना को एक हफ्ता बीत चुका है. तबरेज़ की मौत को कभी मॉब लिचिंग तो कभी ‘मॉब लिचिंग का मामला नहीं है’ बताया जाने लगा है. वहीं घटना को लेकर पुलिस के अलग-अलग बयानों में मौत की सही वजह उलझती मालूम पड़ती है.
(फाइल फोटो: तबरेज़ अंसारी)
शुक्रवार को तबरेज़ के घर नेताओं के मिलने-जुलने का शोर अचानक हंगामे में तब्दील हो जाता है. दरसअल, अमानतुल्लाह खान ने मदद के तौर पर शाइस्ता को पांच लाख रुपया और दिल्ली वक्फ बोर्ड में नौकरी देने की घोषणा की. इधर पता चला कि शइस्ता के बैंक खाते से 05.07 लाख रुपया उसके चाचा ससुर मसरूर के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया है. पैसे को लेकर पूछताछ होने लगी तो चाचा मसरूर भड़क उठे और घर से बाहर निकल गए. चाची कहने लगीं, “जिसको ले जाना है, इसे (शाइस्ता) ले जाओ. हम लोग कोई केस नहीं लड़ेंगे. अपना पैसा भी ले जाइए.”
यह सब देख बेसुध पड़ी शाइस्ता अपनी मां शहबाज बेगम से लिपट कर रोने लगती है. कुछ देर के बाद इस रिपोर्टर ने जब तबरेज़ के बारे में बात करना चाहा तो मां शहबाज बेगम ने कहा कि फिलहाल शाइस्ता बात नहीं कर पाएगी. कुछ देर बाद एक बार फिर से बातचीत की कोशिश करने पर वो बिलखते हुए बोली, “वो फोन पर बोल रहे थे कि जल्दी आओ हमको बचा लो. लोग हमको मार रहे हैं, जबरदस्ती बोलवा रहे हैं कि बोलो हम चोर हैं.” इतना कहकर शाइस्ता फिर से रोने लगी. तबरेज से शाइस्ता की यह आखिरी बातचीत थी.
(तबरेज़ की सास शहबाज बेगम और पत्नी शाइस्ता परवीन)
जब तबरेज़ के घर हंगामा हो रहा था ठीक उसी वक्त फैक्ट फाइंडिंग के लिए ऐसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव (आली) की टीम भी गांव पहुंची. संस्था की स्टेट को-ऑर्डिनेटर रेशमा कहती हैं, “किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति की पिटाई करना, जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो जाए, ये जायज नहीं है. यह मानवधिकारों का हनन है. 25 साल के लड़के को बेरहमी से पीटा जाता है, जिसके बाद उसकी बाइस साल की पत्नी बेवा हो जाती है, ये किसी भी समाज के लिए शर्मनाक है.” रेशमा इस मामले में अब तक पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई और जांच से संतुष्ट नहीं हैं. झारखंड में 2016 के बाद यानी बीते तीन वर्षों में 18 लोग भीड़ की हिंसा के शिकार हो चुके हैं.
डॉक्टरों और मीडिया की भूमिका
तबरेज़ की मौत के संबंध में पुलिस की जांच और मीडिया की खबरों से कई सवाल खड़े होते हैं. 27 जून को हिंदुस्तान टाइम्स ने सरायकेला-खरसांवा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन एएन देव के हवाले से लिखा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तबरेज़ अंसारी की बॉडी पर कोई इंटर्नल इंजरी नहीं है. जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर में इंटरनल और एक्सटर्नल दोनों ही इंजरी की बात कही गई है. इसके अलावा बदन के कई और हिस्सों पर भी बाहरी चोट का जिक्र है.
पोस्टमार्टम करने वाली तीन सदस्यीय टीम में शामिल रहे डॉक्टर अनिर्बन महतो ने बताया, “सिर के राइट साइड के फ्रंटोपराइटल रीजन में सब-एर्कानॉयड हैमरेज हुआ है. इस रीजन में फ्रैक्चर भी है. हम लोगों को इस हिस्से में ब्लीडिंग भी मिली है.” उन्होंने ये भी जोड़ा कि इस चोट के कारण डेथ हो भी सकता है और नहीं भी. इसी रिपोर्ट का जिक्र 26 जून को इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी रिपोर्ट में किया है.
जब हमने इस बाबत डॉक्टर एएन देव से संपर्क किया तो उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए अपने बयान से अलग बात कही. उन्होंने कहा, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इंटर्नल इंजरी है और ब्रेन हैमरेज भी हुआ है.”
तो क्या चिकित्सकों के द्वारा से इसे डिटेक्ट करने में चूक हुई? इस पर डॉक्टर देव कहते है, “डॉक्टर के द्वारा उस वक्त डिक्टेक्ट करना चाहिए था, या सीटी स्कैन कराना चाहिए था. रुटीन के अनुसार कोई भी चोट में सीटी स्कैन कराया जाता है.”
डॉक्टरों की माने तो सब-एर्कानॉयड हैमरेज की आमतौर पर तीन वजहें होती है. कार-बाईक से दुर्घटना होने पर सिर में चोट लगना या फिर किसी वस्तु से सिर पर मारा गया हो. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन से भी ऐसा होता है. इसे जितना जल्दी डिटेक्ट किया जाएगा, मरीज के लिए उतना बेहतर होगा.
तबरेज़ के मामले में छपी एक और ख़बर से सवाल उठता है. 28 जून को दैनिक जागरण में सरायकेला-खरसांवा के एसपी कार्तिक एस के हवाले से ख़बर आई कि तबरेज़ अंसारी की मौत मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है. जब इस ख़बर की पुष्टि के लिए हमने एसपी कार्तिक एस से संपर्क किया तो उन्होंने इस तरह का कोई भी बयान देने से इनकार किया. उन्होंने कहा, “मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. इस ख़बर के लिए मैंने उन्हें शो-कॉज़ नोटिस दिया है.” आगे उन्होंने केस से संबंधित पूछे जाने पर कहा, अनुसंधान चल रहा है, इससे पहले कोई जानकारी या बयान नहीं दे सकते हैं.
रिपोर्ट में पिटाई की बात, पुलिस कन्फेशन में जिक्र तक नहीं
इधर मामले में डीसी की रिपोर्ट और तबरेज़ द्वारा पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान पर कई प्रश्न खड़े होते हैं. 24 जून को रांची के डीजीपी कमल नयन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताते हैं कि तबरेज़ अंसारी की अधिक पिटाई होने से मौत हो गई है. फिलहाल मॉब लिंचिंग का जैसा कुछ नहीं है. घटना से संबंधित वीडियो को जांच के लिए भेज दिया गया है. हालांकि शुरुआत में आई ख़बरों के मुताबिक सरायकेला एसडीपीओ अविनाश कुमार तबरेज़अंसारी की मौत को मॉब लिंचिंग का मामला बता चुके हैं.
वहीं, जिला दंडधिकारी-सह उपायुक्त कार्यालय, सरायकेला खरसांवा की जारी रिपोर्ट के अनुसार तबरेज़ अंसारी को 18 जून को 2:30 बजे सुबह धातकीडीह में चोरी करते हुए ग्रामीणों के द्वारा पकड़ा गया और पीटा गया. उसके दो साथी नुमैर अली एवं शेख इरफान वहां से भाग निकले. पुलिस को सूचना पांच बजे मिली और उसने घटना स्थल पर पहुंच कर तबरेज़ का प्रथामिक उपचार कराया. तबरेज़ के पास से चोरी की एक मोटरसाइकल और अन्य समान बरामद किया गया. ग्रामीणों के द्वारा तबरेज़ और उसके साथी पर प्रथामिकी दर्ज कराई गई. तबरेज़ अंसारी को इलाज के उपरांत न्यायिक हिरासत भेजा गया. 22 जून को सुबह तबरेज़ अंसारी अचानक बीमार पड़ गया. जिसके बाद उसे सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसको चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया.
डीजीपी और डीसी की रिपोर्ट के अनुसार तबरेज़ अंसारी की पिटाई हुई. लेकिन ग्रामीणों के द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर और पुलिस के पास मौजूद तबरेज़ के इकबालिया बयान में पिटाई की घटना का कोई जिक्र ही नहीं है.
28 जून को दैनिक भास्कर ने अपनी ख़बर में तबरेज़ अंसारी की मौत और प्रशासन के रवैये पर कई प्रश्न खड़े किए हैं, जो इस प्रकार हैं- सूचना मिलने के बाद भी पुलिस पांच घंटे देरी से क्यों पहुंची, जब तबरेज़ पिटाई के कारण घायल था तो पुलिस अस्पताल क्यों लेकर नहीं गई, घायलवस्था में तबरेज़ को थाने में क्यों रखा गया, और परिजनों को मिलने से क्यों मना कर दिया गया.
परिजनों का आरोप
परिजनों से नहीं मिलने देने वाली बात तबरेज़ अंसारी की सास शहबाज बेगम भी दोहराती हैं. वो कहती हैं, “सूचना मिलते ही हम लोग थाने पर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने हमें मिलने से रोक दिया. कहा कि अभी इधर ही बैठिए बाद में मिलिएगा. मैंने देखा काले रंग का एक मोटा आदमी लॉक अप की तरफ बढ़ा, जहां तबरेज़ बंद था. वो उसे गाली दे रहा था. कहा रहा था कि तुम मरा नहीं, हम तो सोचे अब तक मर गया होगा. जब हमने तबरेज़ से पूछा कि वो कौन था जो तुमको गाली दे रहा था तो उसने कहा कि यही हमको बहुत बेरहमी से मारा है.” शहबाज बेगम का कहना है कि गाली देने वाला आदमी पप्पू मंडल था, जो मार कर जेल में देखने आया था.
तबरेज़ के परिजनों की शिकायत पर पुलिस एफआईआर दर्ज कर अबतक 11 लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है. इसमें पप्पू मंडल भी शामिल है. साथ ही लापरवाही बरते जाने को लेकर दो पुलिसकर्मीयों को भी सस्पेंड कर दिया गया है. पर तबरेज़ के परिवार का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन की तरफ से मामले में अब भी लापरवाही की जा रही है. वे इसमें उच्च स्तरीय जांच चाहते हैं.
हालांकि कोशिश के बावजूद भी गिरफ्तार आरोपी पक्ष के परिजनों से बात या मुलाकात नहीं हो पाई. पर उस गांव वालों के संपर्क रह रहे विश्व हिंदु परिषद के प्रांत प्रवक्ता संजय कुमार कहते हैं, “मीडिया द्वारा एक साजिश के तहत भाजपा और हिंदू समाज को बदनाम किया जा रहा है. चोरी के मामले को मॉब लिंचिंग बताया जा रहा है. इस पर राजनीति हो रही है और नफरत फैलायी जा रही है. हमारी मांग है कि इसकी निष्पक्ष जांच हो.”
इलाज करने वाले डॉक्टर ने क्या कहा?
पुलिस के अनुसार 18 जून की सुबह तबरेज़ को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. तब समय इमरजेंसी का था और उस वक्त डॉक्टर ओपी केसरी ड्यूटी पर थे. इस रिपोर्टर ने डॉक्टर केसरी से पूछा कि जब पुलिस तबरेज़ को लेकर आपके पास आई थी, तो क्या हुआ था. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वो कोई हेल्प नहीं कर पाएंगे, और कुछ भी नहीं बोल पाएंगे.
तबरेज़ को इसी दिन कोर्ट में हाजिर करने के बाद शाम में एक बार फिर सदर अस्पताल लाया गया ताकि उसे ‘फिट फॉर जेल’ का सर्टिफिकेट मिल जाए. ओपीडी का समय खत्म हो चुका था. यह समय भी इमरजेंसी का था और इस बार ड्यूटी पर डॉक्टर शाहिद अनवर थे.
इस बारे में पूछे जाने पर डॉ. शाहिद अनवर कहते हैं, “तबरेज़ अंसारी की स्थिति फिट फॉर जेल की नहीं थी. वो लंगड़ा रहा था. सुबह में ही उसका ‘नी एक्सरे’ लिखा गया था, जो अबतक नहीं कराया गया था. पुलिस ने कहा, सब कुछ ठीक है, हम लोग सुबह भी इसे लेकर आए थे. एक जांच है इसे देख लीजिए. मैंने कहा कि मैं जब तक इसका एक्स-रे नहीं करवा लेता हूं तब तक फिट फॉर जेल का सर्टिफिकेट नहीं दूंगा. हालांकि एक्सरे में कुछ निकला नहीं, लेकिन वो सही से चल नहीं पा रहा था. मैंने जब तबरेज़ से पूछा कि तुम लंगड़ा रहे कोई प्रॉबलम है तो बताओ. उसने कहा, नहीं. तब मैंने उसे फिट फॉर जेल नहीं बल्कि ‘फिट फॉर ट्रैवल’ का सर्टिफिकेट दिया.”
पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति का सच
उपायुक्त की रिपोर्ट और ग्रामीणों के द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक तबरेज़ अंसारी को चोरी करते हुए गांव वालों ने पकड़ा था. लेकिन पुलिस की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपराधियों के विरुद्ध छापेमारी अभियान में धातकीडीह में तबरेज़ अंसारी को गिरफ्तार किया गया. जिसके पास चोरी का मोटरसाइकिल समेत कुछ सामान बरामद किए गए.
इस बारे में सरायकेला थाना प्रभारी अविनाश कुमार कहते हैं, “रुटीन वर्क में जो किया जाता है वो किया गया है. वो (विज्ञप्ति) बहुत पहले का है. उसको झूठ में ही मुद्दा बनाया जा रहा है. कौन जारी किया है उसे, देखना होगा.”
पुलिस, डॉक्टर, मीडिया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब वायरल वीडियो और विसरा की मेडिकल फॉरेंसिक रिपोर्ट के आने का इंतजार है.