एफआईआर दर्ज कराने पहुंची वकील से पुलिस की बदतमीजी, सुप्रीम कोर्ट का कमिश्नर को नोटिस 

महिला वकील का आरोप है कि वह अपने मुवक्किल के साथ एफआईआर दर्ज कराने पहुंची थी. लेकिन पुलिस ने उन्हें ही बंधक बना लिया और रातभर उनके साथ बदसलूकी की.

WrittenBy:अवधेश कुमार
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नोएडा के संबंधित थाने की फोटो और साथ में पार्किंग में झगड़ते लोगों की वीडियो का स्क्रीनशॉट

19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए गौतम बुद्ध नगर, नोएडा के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता वकील के मुताबिक, पुलिस ने नोएडा के थाना सेक्टर- 126 में रातभर लगभग 14 घंटे तक उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा. इस दौरान उनके साथ यौन उत्पीड़न, यातना और जबरदस्ती की गई. 

वकील का आरोप है कि 3 दिसंबर की रात वे अपने मुवक्किल की ओर से नोएडा के सेक्टर- 126 थाना पहुंची थीं. उनके पीड़ित मुवक्किल की एमएलसी होने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था.  

इस मामले की शुरुआत 3 दिंसबर की शाम करीब 6 बजे पार्किंग के विवाद को लेकर हुई. नोएडा के सेक्टर-125 में एबीपी न्यूज़ और ‘स्टेज’ का दफ्तर एक ही इमारत में है. ‘स्टेज’ मूल रूप से हरियाणवी और राजस्थानी भाषा पर आधारित कंटेंट उपलब्ध कराने वाला ओटीटी एप है. 

पार्किंग विवाद से शुरू हुआ मामला 

‘स्टेज’ के एक कर्मचारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि ‘स्टेज’ के को-फाउंडर विनय सिंघल को कहीं जाना था. जैसे ही वह रिजर्व पार्किंग में खड़ी अपनी गाड़ी लेने पहुंचे तो रास्ते में एबीपी न्यूज़ के प्रोडक्शन हेड विशाल शर्मा की गाड़ी खड़ी थी. उन्होंने वहां मौजूद गार्ड को गाड़ी हटवाने के लिए कहा. गार्ड ने विशाल शर्मा को कॉल किया. वह काफी देरी से आए तो उनके साथ चैनल के कुछ और लोग भी थे. इस बीच दोनों में कहासुनी हो गई. इसके बाद विनय सिंघल के साथ मारपीट हुई. मारपीट के दौरान सिंघल के सिर में चोट आई. इसके बाद यह मामला नोएडा के थाना सेक्टर- 126 थाने तक पहुंचा.

बता दें कि न्यूज़लॉन्ड्री के पास पार्किंग में हुए झगड़े के सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं, जिसमें कुछ युवक एक शख्स को बेरहमी से पीटते हुए नजर आ रहे हैं. 

थाना सेक्टर-126 में क्या हुआ?
वकील कोमल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उनके क्लाइंट विनय सिंघल आगे की कार्रवाई के लिए नोएडा के थाना सेक्टर-126 पहुंचे थे. जहां कई घंटे बैठाने के बाद भी पुलिस कार्रवाई करने को तैयार नहीं थी. इसके बाद सिंघल ने मुझे कॉल करके गुजारिश की. पहले मैंने आने को मना कर दिया लेकिन बाद में उन्होंने अपनी चोटों की तस्वीर और सारी घटना के बारे में बताया. साथ ही ये भी कैसे पुलिस एफआईआर दर्ज करने की बजाय शिकायत वापस लेने का दबाव बना रही है. फिर मैंने निर्णय लिया और करीब 11 बजे थाने में पहुंची. मैंने एफआईआर की बात की तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मना कर दिया कि इस मामले को एसएचओ साहब देख रहे हैं. 

फिर मैंने कहा कि ठीक है, आप हमारी शिकायत ले लीजिए और इस पर रिसीविंग दे दीजिए बाकी हम कोर्ट में देख लेंगे, इस पर उन्होंने रिसीविंग देने से भी मना कर दिया. 

अस्पताल में उपचाराधीन विनय सिंघल

समझौते का दबाव और रिहाई?
कोमल बताती हैं कि एसएचओ भूपेंद्र के आने के बाद उन्होंने रिसीविंग की बात दोहराई. इसके बाद मौजूदा स्टाफ ने उनके साथ बदतमीजी शुरू कर दी. साथ ही केस करने की धमकी देने लगे. हद से ज्यादा बदतमीजी और अपने को असुरक्षित महसूस करते हुए वकील ने थाने से ही पीसीआर को तीन बार कॉल की. 

कोमल बताती हैं कि पुलिस को जब पीसीआर के बारे में पता लगा तो उन्होंने और ज्यादा बदतमीजी शुरू कर दी. साथ ही सिंघल को बेरहमी से पीटने लगे. उनसे बातचीत के बाद पीसीआर वहां से चली गई. कोमल कहती हैं कि इसके बाद पुलिसवालों ने उन्हें थाने में ही रख लिया और दबाव बनाने लगे कि वो तब ही छोड़ेंगे जब समझौता पत्र लिखकर दिया जाएगा. फिर पुलिसवालों ने उन्हें रातभर टॉर्चर किया. 

कोमल आगे बताती हैं कि अगले दिन सवेरे करीब पौने 11 बजे विशाल शर्मा के साथ कुछ लोग और उनके वकील आए. वे सीधे एसएचओ के कमरे में गए. वहां, विनय सिंघल और उनसे जबरदस्ती समझौता पत्र लिखवाया गया. इसके करीब दो घंटे बाद उन्हें थाने से छोड़ा गया. 

कोमल कहती हैं कि सिंघल को इतना धमकाया गया कि उन्होंने आगे कुछ भी एक्शन लेने से मना कर दिया. 

इस बारे में हमने ‘स्टेज’ के को फाउंडर विनय सिंघल से भी बात की. वे हमसे इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार करते हुए सिर्फ इतना ही कहते हैं कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस पर मुझसे कोई बात न करें. 

संबंधित पक्ष और पुलिस की प्रतिक्रिया?

नोएडा सेक्टर- 126 थाने के एसएचओ सुमनेश कुमार कहते हैं, “मैंने अभी 20 दिसंबर को ही कार्यभार संभाला है. पहले थाना इंचार्ज को 19 दिसंबर के आदेश के बाद हटा दिया गया है.” 

वे आगे कहते हैं, “मामला सिर्फ इतना था कि एबीपी न्यूज़ और ‘स्टेज’ वालों में झगड़ा हुआ था और दोनों में फिर फैसला हो गया था. इस मामले में दोनों ओर से मिली तहरीर पर हमने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 170 के तहत शांतिभंग का चालान भी किया गया था. बाद में ‘स्टेज’ वालों की ओर से आईं एक महिला वकील अपने साथ हुई कथित बदसलूकी पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, इसके बाद तत्कालीन एसएचओ भूपेंद्र कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया और फिलहाल मामले में जांच चल रही है.” 

मारपीट के वीडियो का स्क्रीनशॉट

वहीं, एक अन्य पुलिसकर्मी ने नाम नहीं छापने पर बताया कि ‘स्टेज’ की ओर से आए विनय सिंघल जब आए थे तो उनका सिर फटा था और उन्हें काफी चोटें लगी हुई थीं. उन्हें काफी पीटा गया था. न्यूज़लॉन्ड्री के पास विनय सिंघल की राजकीय जिला संयुक्त चिकित्सालय नोएडा की एमएलसी मौजूद है, जिसमें उनको आई चोटों का जिक्र किया गया है. 

महिला वकील ने अपनी याचिका में एसीपी प्रवीण कुमार सिंह को भी आरोपी बनाया है जिसमें उन्होंने कहा कि एसएचओ और एसीपी ने जानबूझकर दूसरे पक्ष के साथ मिलकर ऐसा कार्य किया. 

वहीं, एसीपी प्रवीण कुमार सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है इसलिए अभी कुछ भी बताना उचित नहीं होगा. हम इस पर कोर्ट में जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं. 

उधर, एबीपी न्यूज़ के पत्रकार विशाल शर्मा कहते हैं, “हमारा और ‘स्टेज’ वालों का दफ्तर एक ही बिल्डिंग में है. इसके चलते हमारी पार्किंग भी एक ही है. गाड़ी की पार्किंग को लेकर हमारा कुछ विवाद हुआ था, जिसे हमने अगले ही दिन सुलझा लिया था. अभी सब कुछ ठीक है. पार्किंग के लिए भी हम एक ही जगह प्रयोग कर रहे हैं. हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं. अब किसी तरह का कोई मामला नहीं है.” 

हालांकि, विशाल हमारे अन्य किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते हैं. 

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को है. 

याचिका में लगाए गए गंभीर आरोप

महिला वकील ने अपनी याचिका में फर्जी एनकाउंटर की धमकी, पुलिस स्टाफ द्वारा थाना परिसर को सील कर सभी सीसीटीवी कैमरे हटाने, एक पुरुष अधिकारी द्वारा उन्हें निर्वस्त्र करने का प्रयास करने, एसएचओ भूपिंदर और स्टाफ द्वारा सरकारी पिस्तौल दिखाने और उन्हें जान से मारकर किसी गुप्त स्थान पर शव फेंकने की धमकी देने समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इनमें वकील और उसके मुवक्किल से शिकायत-वापसी पत्र, माफीनामा और पर्सनल बॉन्ड सहित कई दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर कराने जैसे आरोप भी शामिल हैं. 

याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि उनकी लगभग 60 वर्षीय मां पूरी रात नोएडा के विभिन्न पुलिस थानों में उन्हें खोजती रही, परंतु पुलिस अधिकारियों ने उनके बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया. 

कोमल के इस मामले को वकील अनिलेंद्र पांडेय सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचे हैं. वह कहते हैं, “अगर पुलिस को कार्रवाई नहीं करनी थी तो नहीं करते लेकिन ऐसे एक महिला को रात भर आप हिरासत में नहीं रख सकते हैं. एक महिला के साथ इतनी बदसलूकी करना कहां तक ठीक है? रात करीब 11 बजे से अगले दिन 2 बजे तक महिला को हिरासत में रखा गया. हमारी नजर अब इस मामले की अगली सुनवाई पर है.”

कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए और थाने में सीसीटीवी बंद होने का मामला होने के चलते इस पर सुनवाई के लिए हामी भरी है. साथ ही कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि संबंधित पुलिस स्टेशन की उस दिन की सारी सीसीटीवी फुटेज सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रख ली जाए. 

*पहचान सुरक्षित रखने के लिए महिला वकील का नाम बदल दिया गया है.

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