मोदीजी का टेंपल रन, एसआईआर की रेलमपेल और बीएलओ की सस्ती जान

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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अठारह अठारह घंटे बिना रुके, बिना थमे मोदीजी भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में लगे हुए हैं. दूसरी तरफ एक पूरा गिरोह है जो लगातार मोदीजी को सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए विश्वव्यापी साजिशें कर रहा है. लेकिन इन तमाम षडयंत्रों और हमलों से बेखौफ मोदीजी का टेंपल रन जारी है. दिल्ली गैस चेंबर बन गई है, बीएलओ काम के बोझ से मर रहे हैं, मगर मोदीजी ऐसा धार्मिक पर्यटन पर निकले, मानो पूरी धरती ही नाप देंगे.

मोदीजी की सरकार ने बाकायदा एक तंत्र स्थापित कर लिया है जहां बेमतलब के मुद्दों को हवा दी जाती है. खबरिया चैनल वाले उसे बढ़ा चढ़ा कर दिखाते हैं. पिछले हफ्ते एएनआई ने सरकारी चापलूसी की सारी सीमा ही तोड़ दी. उसने अपनी इज्जत दांव पर लगाकर चुनाव आयोग की बची खुची इज्जत को बचाने का प्रयास किया.

12 राज्यों में जारी एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान 7 राज्यों में 25 बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) अपनी जान गंवा चुके हैं. कहीं काम के असहनीय बोझ ने मारा, कहीं सस्पेंशन के डर ने, और कहीं दिल ने दबाव में धड़कना बंद कर दिया. इसकी वजह है चुनाव आयोग का अफ़लातूनी फैसला. उसे जानने के लिए टिप्पणी देखें.

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