हवा का हक: ‘आप’ सरकार को कोसने से हॉट एयर बैलून उड़ाने तक एलजी का सफर

बीते साल इन्हीं दिनों दिल्ली के एलजी विजय कुमार सक्सेना राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के लिए प्रदेश की आम आदमी पार्टी सरकार को कोस रहे थे. और अब, वो गुब्बारे उड़ा रहे हैं. 

हॉट एयर बैलून में दिल्ली के L-G वीके सक्सेना का कट-आउट, साथ में एक और हॉट एयर बैलून का कट-आउट.

आज जब दिल्ली एक ‘गैस चैंबर’ बनी हुई है और यमुना नदी में जहरीली झाग उफान मार रही है तो उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना प्रदूषित नदी के किनारे पर हॉट एयर बैलून की सवारी की शुरुआत के लिए इसे सही समय मान रहे हैं.

सक्सेना ने मंगलवार को डीडीए के बांसेरा पार्क में एक नई "मनोरंजक और साहसिक गतिविधि" का उद्घाटन किया और इसे "विश्वस्तरीय ढांचे” से दिल्ली को बढ़िया बनाने की दिशा में एक कदम बताते हुए ट्वीट किया. 

ये कहना सही ही होगा कि कई लोगों को एलजी का यूं गुब्बारा उड़ाना पसंद नहीं आया.  

सक्सेना की खराब टाइमिंग ही केवल एकमात्र समस्या नहीं है, बल्कि इससे उनका दोहरा मापदंड भी साफ झलकता है.

दो साल, दो पैमाने

इस साल जब नवंबर में, दिल्ली शहर साफ हवा में सांस लेने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, तब उनका वायु प्रदूषण के बारे में सोशल मीडिया पर एक भी पोस्ट नहीं दिखा.

लेकिन पिछले साल इसी समय जब दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी थी तो वो सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर रहे थे और बकायदा आम आदमी पार्टी की सरकार को पत्र भी लिख रहे थे. ऐसे ही 23 अक्टूबर, 2024 को लिखे अपने पत्र में सक्सेना ने कहा था, "मुझे ये बात मालूम है कि पड़ोसी राज्यों और खासकर हमारे उत्तर में स्थित राज्यों से आने वाला धुआं, दिल्ली की स्थिति को और खराब कर रहा है, और ज़रूरत आने पर मैं उनसे फिर से मदद मांगूंगा. लेकिन सही यही होगा कि हम दूसरों को दोषी ठहराने या उनसे मदद मांगने से पहले अपने घर को सही करें.”

वहीं, इस साल 23 अक्टूबर को जब प्रदूषण पिछले साल के मुकाबले भी खराब था तो उन्होंने दिल्ली सरकार को लेकर न कोई चिट्ठी लिखी और न ही वह कुछ कहते नजर आए. 

बीते 17 नवंबर को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित उत्तरी जोनल काउंसिल की बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पराली जलाने को लेकर पंजाब सरकार पर तीखा हमला बोला था. लेकिन सक्सेना ने इस बार मुख्यमंत्री को ऐसी कोई 'रचनात्मक सलाह' नहीं दी. 

इस साल के 24 नवंबर को, दिल्ली सरकार ने एक निर्देश जारी किया और सरकारी और निजी क्षेत्र के कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ ही काम करने को कहा क्योंकि उपराज्यपाल सक्सेना ने हाल ही में "जीएनसीटीडी और दिल्ली नगर निगम के कार्यालयों के लिए अलग समय पर काम करने" की मंजूरी दी थी. यूं तो, उन्होंने बीते साल भी इसी तरह के उपायों को मंजूरी दी थी. लेकिन इस साल का तरीका पिछले साल प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के साथ हुए टकराव से बिल्कुल अलग है.

20 मार्च, 2024 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे एक पत्र में, सक्सेना ने कहा था कि कैसे दिल्ली को "दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर" के रूप में दर्जा मिलना उनके प्रशासन के "रिपोर्ट कार्ड" पर एक काला धब्बा है और कैसे उनका ये "दिल्ली मॉडल धुएं की धुंध में डूबा हुआ है." 

इसी तरह ही, दिसंबर 2024 में यमुना में प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर के लिए उन्होंने केजरीवाल को "व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार" ठहराया था. इसके अलावा एक और अजीबोगरीब दावे में उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी से यहां तक कहा कि वे "यमुना मां के श्राप" के कारण फरवरी 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव हार गए.

20 फरवरी, 2025 को भाजपा सरकार की रेखा गुप्ता के दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद से, दिल्ली की हवा या यमुना नदी की हालत में कोई खास बदलाव नहीं आया है. सरकार के अपने रिकॉर्ड में यमुना में प्रदूषण के खतरनाक स्तर के और छठ पूजा से पहले उसके यमुना सफाई के असफल पीआर के बावजूद भी एलजी ने दिल्ली सरकार से जरूरी कार्रवाई की कमी के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है.

20 फ़रवरी, 2025 को दिल्ली में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से एक्स पर उनकी पोस्ट पर एक हल्की नज़र डालने भर से ही द्वारका में "ऑटोमैटिक एंटी-स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम" के शुभारंभ और यमुना का "पुनरुद्धार" करने के सरकार के काम की केवल भूरी-भूरी तारीफ ही दिखाई देती है.

14 नवंबर, 2024 को एक्स पर हिंदी में एक लंबी सी पोस्ट लिखते हुए सक्सेना ने केजरीवाल पर यमुना की सफाई के उनकी कोशिशों में रुकावट डालने का आरोप लगाया था. सक्सेना के अनुसार, यमुना की सफाई और पुनरुद्धार के लिए उनकी अध्यक्षता में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा एक उच्च-स्तरीय समिति के गठन से "काफी अच्छे परिणाम" मिलने लगे थे. लेकिन सक्सेना ने दावा किया कि केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके और इस उच्च-स्तरीय समिति के गठन के एनजीटी के आदेश पर स्टे ऑर्डर लाकर उन्हें रोक दिया.

सक्सेना ने दावा करते हुए कहा, "हालांकि केजरीवाल यमुना की सफाई की मेरी कोशिशों को रोकने में कामयाब रहे, लेकिन उन्होंने पिछले 16 महीनों में नदी की सफाई के लिए एक भी काम नहीं किया..." यमुना के प्रदूषण पर अखबारों की तस्वीरें को साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि इसकी डरावनी स्थिति अब खुद स्पष्ट है. उन्होंने आगे दावा किया कि "यह स्पष्ट है कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने कि मेरी कोशिशों में रुकावट डालने वालों की सोच और इरादे खुद कितने दूषित थे." 

अगले महीने, उन्होंने केजरीवाल को एक तीखा पत्र लिखा. जिसमें कहा, "यमुना इस साल प्रदूषण के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. मैं इसके लिए व्यक्तिगत रूप से आपको ही ज़िम्मेदार ठहराऊंगा, क्योंकि आपने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करके यमुना में चल रहे सफाई के काम को रुकवा दिया था. मैंने लगातार आपसे अनुरोध किया है कि आप खुद शहर में जाएं और स्थिति का आकलन करें.”

पिछले साल अक्टूबर में उनके कार्यालय ने यमुना पर कोई प्रेस रिलीज जारी नहीं की थी. लेकिन एक्स पर उन्होंने झाग से ढकी नदी की तस्वीरें पोस्ट की और पूछा, "इस खराब स्थिति के लिए कौन ज़िम्मेदार है? किसने यमुना की सफाई का दावा किया और उसमें डुबकी लगाने की योजना की घोषणा की?", जोकि आप सरकार पर एक सीधा और स्पष्ट निशाना था. 

अगले ही दिन, उन्होंने एक बार फिर यमुना की तस्वीरें पोस्ट की. "मीडिया/सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने और बहानेबाजी के बजाय, ये बेहतर होगा कि दिल्ली के लोगों, खासकर छठ व्रतियों को इस बिगड़ती हुई स्थिति से राहत दी जाए. मुझे इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है.”

हालांकि, यमुना को लेकर कुछ सकारात्मक घोषणाएं भी हुईं. पिछले साल नवंबर में, उन्होंने यमुना के किनारे बंजर भूमि को हरित क्षेत्रों में बदलने का ज़िक्र किया था. राजघाट में "यमुना वाटिका" और बांसेरा में "बांस के बाग" की घोषणा की. 

इस साल नवंबर में, उन्होंने गुब्बारे की सवारी का ऐलान किया. जबकि यमुना और शहर की हवा में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन ऐसा लगता है कि उपराज्यपाल की प्राथमिकताएं बदल गई हैं. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने उपराज्यपाल कार्यालय को सवालों की एक लिस्ट भेजी है. जिसका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

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