बिहार में नीतीश कुमार का समाजवाद और रामनाथ गोयनका की याद में मोदीजी का लेक्चर

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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नीतीश कुमार ने परिवारवादी समाजवाद से अपने परिवार को तो बचा लिया लेकिन बाकियों के परिवार से न उनकी पार्टी बच पाई ना ही उनकी सरकार. उनके नए मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले 26 मंत्रियों में से 10 नेता भाई-भतीजावाद की उपज हैं.

इन तमाम बेटे-बेटियों, भाई-भौजाइयों में से राज्यसभा सांसद और आरएलएम के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश का नाम उल्लेखनीय है. वही जिन्होंने जींस पैंट और शर्ट में शपथ लेकर हंगामा बरपा दिया था. दीपक बाबू ने न तो चुनाव लड़ा, ना ही वो अभी किसी सदन के सदस्य हैं. फिर भी उन्हें मंत्री बनाया गया है. जबकि इनकी माता स्नेहलता कुशवाहा हाल ही में विधायक बन कर आई हैं, लेकिन उन्हें मंत्री बनाने लायक नहीं समझा गया. इस तरह समाजवाद कुशवाहाजी के घर में भी दबे पांव आ ही गया. पिताजी राज्यसभा में, माताजी विधायक, बेटा बिना किसी सदन का सदस्य हुए मंत्री. 

साथ में मोदीजी का लेक्चर जो उन्होंने रामनाथ गोयनका मेमोरियल लेक्चर में दिया. यह लेक्चर उनके चुनावी भाषणों का एक्सटेंशन नज़र आया. मोदीजी उस इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम में बोल रहे थे जिसे 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने एक अदद इंटरव्यू देने लायक भी नहीं समझा था. जबकि दरबारी चैनलों को उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भर-भर कर इंटरव्यू दिया था. कार्यक्रम के दौरान एक चीज और खटकी. पूरे कार्यक्रम से जर्नलिज्म ऑफ करेज वाले अखबार के संपादक राजकमल झा मंच के आस पास नहीं दिखे. बाकी सब ठीक रहा.

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