कर्तव्य पथ थाने में में दर्ज एफआईआर के मुताबिक अक्षय ने ही पुलिस पर पेपर स्प्रे के जरिए हमला किया.
रविवार शाम इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर माओवाद के समर्थन में नारे लगाने, पुलिस के खिलाफ मिर्ची स्प्रे को इस्तेमाल करने, सरकारी काम में बाधा डालने और रोड ब्लॉक करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 23 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया. सोमवार को इन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने 17 लोगों को तीन दिन और 5 लोगों को 2 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
प्रदर्शन के वक्त पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के दौरान एक तस्वीर ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा. इस तस्वीर में पुलिस एक प्रदर्शनकारी के सर को जमीन पर दबाए हुए है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े होने लगे. इस रिपोर्ट में हम इसी तस्वीर में शामिल प्रदर्शनकारी के बारे में बात कर रहे हैं.
तस्वीर में कौन है?
इस तस्वीर में जिस प्रदर्शनकारी को पुलिस ने जमीन पर पटक कर दबाया हुआ है उनका नाम अक्षय ईआर है. अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाले 24 वर्षीय अक्षय दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी तृतीय वर्ष के छात्र हैं. वह मूल रूप से केरल के त्रिसूर के रहने वाले हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में अक्षय के दोस्तों ने बताया कि उनके पिता रवि दिहाड़ी मजदूर हैं और मां एक गृहिणी हैं.
अक्षय दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई करने के साथ-साथ छात्र हितों के मुद्दे पर सक्रिय रहते हैं. करीब 3 महीने पहले ही अक्षय भगत सिंह छात्र एकता मंच (बीएससीईएम) से जुड़े हैं. यह दिल्ली विश्वविद्यालय का एक छात्र संगठन है.
अक्षय फिलहाल दिल्ली के विजयनगर में चार अन्य दोस्तों के साथ एक किराये के फ्लैट में रहते हैं. उनके रूममेट शाजू बताते हैं कि रविवार को जब अक्षय इस प्रदर्शन में जाने के लिए निकल रहे थे तो उन्होंने शाजू को भी चलने को कहा. हालांकि, शाजू ने मना कर दिया क्योंकि उन्हें कुछ और काम था.
शाजू बताते हैं, “मैंने अक्षय को भी प्रोटेस्ट में नहीं जाने को कहा था क्योंकि इसके पहले भी इंडिया गेट पर प्रोटेस्ट के दौरान प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. लेकिन अक्षय ने उनकी बात नहीं सुनी और कहा कि साफ हवा हम सब का हक है और अगर सरकार हवा में प्रदूषण कम नहीं कर पा रही है तो प्रदर्शन करना हमारी जिम्मेदारी है.”
शाजू बताते हैं कि इसके बाद शाम को करीब 8:00 बजे उन्हें दोस्तों और मीडिया के जरिए पता चला कि अक्षय को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. इतना ही नहीं हिरासत में लिए गए छात्रों को माओवादी समर्थक भी बताया जा रहा है.
शाजू कहते हैं कि यह सब देखकर मुझे दुख हुआ क्योंकि अक्षय दिल्ली का नहीं केरल का रहने वाला है और 1 साल में अपनी पढ़ाई पूरी करके वह केरल लौट जाएगा. वह दिल्ली की साफ हवा के लिए प्रदर्शन करने गया था. वह कोई माओवादी नहीं है, एक आम छात्र है, जो राजनीतिक रूप से थोड़ा जागरूक है और अपने अधिकार जानता है. चूंकि वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से आता है, इसलिए पर्यावरण की लड़ाई को बहुत ही गंभीरता से लेता है.
अक्षय की बैचमेट शुमाइला बताती हैं, “प्रदर्शन के दिन शाम के करीब 6:00 बजे हमने प्रदर्शनकारियों एक वीडियो स्टेटमेंट देखा. वह बता रहे थे कि अक्षय को पुलिस गिरफ्तार करके किसी अनजान जगह पर ले गई है. हमने तुरंत अक्षय को फोन लगाया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था. फिर रात में करीब 11:00 बजे मेरा फोन बजा. मैं यह देखकर काफी खुश हो गई कि यह कॉल अक्षय के फोन से आया. लेकिन उसकी आवाज साफ नहीं थी. जब मैंने पूछा कि क्या पुलिस ने उसे मारा है तो उसने जवाब दिया- बहुत मारा है."
इसी दौरान अक्षय ने ये भी बताया कि वह फिलहाल कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में है. उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है. पुलिस ने पहले उसका फोन फ्रीज कर लिया था लेकिन अभी उसे वापस दिया है ताकि वह अपने परिवारजनों को सूचित कर सके.
भगत सिंह छात्र एकता मंच से जुड़े एक और छात्र वरुण के मुताबिक, “अक्षय एक बेहद होनहार स्टूडेंट है. वह पिछले 1 सालों से दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित तमाम छात्र हित के मुद्दों पर प्रदर्शन में शामिल होता रहा है. वह एक जागरूक छात्र है, जो लोगों के मुद्दों पर प्रदर्शन में शामिल होता है और अपनी पढ़ाई करता है. वह ना तो किसी मार्क्सवादी ग्रुप से ताल्लुक रखता है और ना ही किसी माओवादी ग्रुप का समर्थक है.
प्रदर्शन के दौरान क्या हुआ?
प्रदर्शन में शामिल दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा दिव्या के मुताबिक, “शाम के करीब 4:00 प्रदर्शनकारी दिल्ली कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर क्लीन एयर के बैनर तले इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने पहुंचे. जिसमें कई छात्र संगठन जैसे हिमखंड, भगत सिंह छात्र एकता मंच, दिशा छात्र संगठन, साइंटिस्ट फॉर सोसायटी, एसएफआई सहित आम छात्र और आम लोग भी मौजूद थे. प्रदर्शन इंडिया गेट से शुरू होकर सी हेक्सागॉन की तरफ बढ़ने लगा. करीब 20-25 मिनट में कुछ लोग इंडिया गेट और सी हैक्सागॉन के बीच लगे फेंस को पार करके रोड पर आ गए और नारेबाजी करने लगे. इसी दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कुछ लोगों ने हिडमा और नक्सलवाद के समर्थन में नारेबाजी की. जहां पर पुलिस ने लोगों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया. इस दौरान पुलिस ने 6 छात्रों को हिरासत में लिया. फिर करीब सात बजे दिव्या अपने 20 और साथियों के साथ पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन पहुंची. जंहा पर हिरासत मे लिए गए छात्रों को लाया गया था. हिरासत मे लिए गए छात्रो की रिहाई की मांग को लेकर दिव्या सहित बाकी छात्र थाने पर धरने पर बैठ गए. यह धरना करीब बीस मिनट चला ही था कि पुलिस ने धरना दे रहे छात्रों को भी हिरासत में लेना शुरू कर दिया. दिव्या के मुताबिक, इस दौरान 17 और छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. जिसमें 11 लड़कियां भी शामिल थीं.
वहीं, प्रदर्शन में शामिल साइंटिस्ट फॉर सोसायटी के सदस्य आदित्य बताते हैं कि जब प्रदर्शन शुरू हुआ, उसके कुछ देर बाद से ही लोग सी हेक्सागॉन के पास लगे फेंस को पार करके सड़क पर नारेबाजी करने लगे. यह प्रदर्शन का एजेंडा नहीं था और ना ही यह डिसाइड हुआ था कि इस तरह कि नारेबाजी की जाएगी. यह प्रदर्शन हिडमा के लिए नहीं बल्कि साफ हवा के लिए था. जब हमने देखा कि कुछ लोग नक्सलवाद और हिडमा के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं तो हम प्रदर्शन से अलग हो गए.


क्या कहती है एफआईआर?
इस पूरे मामले में पुलिस ने दो फिर दर्ज की हैं. पहली कर्तव्य पथ थाने में दर्ज की गई है जबकि दूसरी पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में दर्ज की गई है. कर्तव्य पथ थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, शाम करीब 4:15 बजे प्रदर्शनकारी इंडिया गेट स्मारक के पास पंपलेट और बैनर लेकर इकट्ठा हुए और नारेबाजी करने लगे. 15 से 20 मिनट बाद सारे प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड फांदकर नारेबाजी करने लगे. इस दौरान दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘हिडमा अमर रहे’, ‘कितने हिडमा मारोगे’, ‘हर घर से हिडमा निकलेगा’, ‘हिडमा जी को लाल सलाम’ आदि नारे लगाए. एफआईआर के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को बार-बार यह बताया गया कि इंडिया गेट पर धारा 163 लागू है. जिसके अनुसार, यहां पर धरना प्रदर्शन करना कानूनी तौर पर अपराध है. उसके बावजूद भी उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा. जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने की कोशिश की तो वह उग्र हो गए और पुलिस पर पेपर स्प्रे इस्तेमाल करने सहित पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की. इस एफआईआर में कुल आठ लोगों को नामजद किया गया है, जिन पर बीएनएस की धारा 74, 79, 115 (2), 132, 221, 223 (ए) और 61 (2) लगाई गई है.
वहीं, पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, करीब 6:45 पर थाने के बाहर 18 से 20 लड़के-लड़कियां बैठकर धरना दे रहे थे और दिल्ली पुलिस एवं सरकार के खिलाफ उग्र नारेबाजी कर रहे थे. जब पुलिस ने वहां से प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने उग्र होकर पुलिस पर हमला किया. जिससे प्रदर्शनकारियों को चोटें आई. पुलिस ने इस दौरान बीएस की धारा 223 (ए), 221, 132, 121 (1), 115 (2), 126 (2) और 3 (5) लगाई है.
अक्षय पर क्या आरोप?
नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार मेहला के मुताबिक, पहली बार इस तरह के प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों के खिलाफ पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया गया है. मीडिया से बातचीत में डीसीपी मेहला ने कहा, “कुछ प्रदर्शनकारी सी हेक्सागॉन सर्किल के अंदर इकट्ठा हो गए और बेरिकेडिंग को तोड़ कर सड़क पर आकर बैठ गए. हमने उनसे अनुरोध किया कि वह हट जाएं क्योंकि उनके पीछे कई एंबुलेंस और मेडिकल स्टाफ फंसे हुए थे, जिसे तुरंत आगे बढ़ाने की जरूरत थी. हमने उन्हें ट्रैफिक बाधित करने से बचाने के लिए एक तरफ हटाया. इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई और हमारे कई पुलिसकर्मी घायल हुए.”
वहीं, कर्तव्य पथ थाने में में दर्ज एफआईआर के मुताबिक अक्षय ने ही पुलिस पर पेपर स्प्रे के जरिए हमला किया. बता दें कि अक्षय को पुलिस ने इंडिया गेट से हिरासत में लिया था.
एडवोकेट सुपंथा सिन्हा ने कहा कि अक्षय को जिस तरह से पुलिस ने इंडिया गेट पर दबाया हुआ है, उसमें उसकी जान भी जा सकती थी. क्या पुलिस को प्रदर्शनकारियों को इस तरह से हिरासत में लेने की इजाजत है?
वह आगे कहते हैं, “दिल्ली पुलिस ने छात्रों को गिरफ्तार करने के 24 घंटे बाद तक भी हमें एफआईआर उपलब्ध नहीं कराई जो कि नियमों के बिल्कुल खिलाफ है. यहां तक कि सुनवाई के दौरान जब अक्षय को पुलिस ने पेश किया तो उनके चेहरे पर एसॉल्ट के निशान थे.
सिन्हा ने आगे कहा कि अक्षय ने ना तो माओवाद संबंधित नारे लगाए और ना ही माओवादी विचारों का समर्थक है. वह एक साधारण छात्र है, जो केरल से दिल्ली पढ़ाई करने आया है.
हालांकि, पेशी के दौरान दिल्ली पुलिस छात्रों की कस्टडी मांग कर रही थी ताकि प्रदर्शन में माओवाद के समर्थन में लगे नारों की गहराई से जांच हो सके और इसमें शामिल प्रदर्शनकारियों के माओवादी कनेक्शन पर भी जांच हो सके.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अक्षय सहित चार अन्य छात्रों को छात्रों को 2 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. वहीं, एक छात्रा को सेफ हाउस भेजा गया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि छात्रों पर लगे आरोप गंभीर हैं और उनकी प्रारंभिक जांच जरूरी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने अक्षय के परिवार से संपर्क किया. परिवार ने बताया कि वह इस घटना से आहत है और मीडिया से बातचीत नहीं करना चाहते हैं.
*सुरक्षा की दृष्टि से कुछ छात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.
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