बिहार चुनावों को लेकर एग्जिट पोल कितने सही, कितने गलत निकले? 

ज़्यादातर एग्जिट पोल ने एनडीए की जीत को कम करके आंका था लेकिन एक अनुमान सबका सही था कि सीटों के लिहाज़ से जनसुराज का प्रदर्शन अप्रासंगिक ही होगा.

एक व्यक्ति का चित्रण, जो एग्ज़िट पोल के आंकड़ों की तुलना वास्तविक चुनाव परिणामों से कर रहा है.

रुझान अब साफ होकर नतीजों में बदल गए हैं और बिहार में लगभग हर एग्ज़िट पोल की भविष्यवाणी से काफी आगे निकाल गए हैं. एनडीए ने बिहार में इतिहास रचते हुए आसानी से बहुमत हासिल कर लिया है और 202 सीटों पर अपनी जीत दर्ज की है. वहीं, महागठबंधन केवल 35 सीटों पर सिमट गया है. लगभग सभी एग्ज़िट पोल्स में मोटे तौर पर एनडीए की जीत का अनुमान लगाया था. हालांकि, उन्होंने जीत के पैमाने को कम करके बताया. और कुछ एग्ज़िट पोल, खासकर इस क्षेत्र का सबसे भरोसेमंद नाम एक्सिस माई इंडिया तो काफी गलत साबित हुआ है. 

एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक, एनडीए को अधिकतम 141 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान था तो और महागठबंधन के लिए यही अनुमान 118 सीटों पर जीत का था. यह अनुमान नतीजों से काफी दूर है, सिवाय इसके की एनडीए सरकार की वापसी हुई है. वहीं, पार्टीवार भी सीटों को लेकर इसका अनुमान कुछ खास ठीक नहीं रहा. भाजपा के लिए अधिकतम 56 सीटें जीतने का अनुमान था, जबकि भाजपा ने करीब 90 सीटों पर जीत हासिल की है. वोट-शेयर की बात की जाए तो इसका लगभग करीबी रहा है. 

असल नतीजों में भाजपा को 20.08 फीसदी वोटर शेयर के साथ 89 सीटों पर जीत मिली है. वहीं, 19.25 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जदयू को 85 सीटों पर, 23 फीसदी वोटर शेयर के साथ राजद को 25 सीटों पर, करीब 5 फीसदी वोटर शेयर में लोजपा (रामविलास) को 19 सीटों पर, 1.85 फीसदी वोटर शेयर में एआईएमआईएम को 5 सीटों पर और 8.71 फीसदी वोटर शेयर में कांग्रेस 6 सीटों पर जीत मिली है. 

एक्सिस का अनुमान ता कि भाजपा 18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 50-56 सीटें, जदयू को 18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 56-62 सीटें, राजद को 24 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 67-76 सीटें और कांग्रेस को 10 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 17-21 सीटें मिल सकती हैं. इसने लोजपा (रामविलास) की बढ़त को भी पकड़ लिया था और 5 फीसदी वोट शेयर के साथ उसे 11-16 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. लेकिन एनडीए के 200 के पार जाने के साथ ही ये आंकड़े अब पूरी तरह मेल नहीं खाते.  

बिहार चुनावों को लेकर एग्जिट पोल्स का अनुमान

पोल डायरी का करीबी अनुमान

थोड़ी कम चर्चित मगर पोल डायरी ही एकमात्र ऐसी पोलिंग एजेंसी बनकर उभरी है, जो एनडीए की भारी जीत का सही अनुमान लगाते हुए ज़मीनी स्तर पर कुल आंकड़ों के करीब पहुंच पाई है. इसने एनडीए के लिए 184-209 सीटों तक का अनुमान जताया था. वहीं, महागठबंधन के लिए 32-49 और अन्य के लिए 1-5 सीटे जीतने का अनुमान था. यह एजेंसी वोट शेयर के सही अनुमान के भी काफी करीब पहुंच गई है. इसने भाजपा के लिए 19.83 प्रतिशत, जदयू के लिए 20.37 प्रतिशत, राजद के लिए 21.87 प्रतिशत, कांग्रेस के लिए 6.42 प्रतिशत और जन सुराज के लिए 8.68 प्रतिशत वोट शेयर का अनुमान लगाया था.

एजेंसी ने सोशल मीडिया के एक्स हैंडल पर दोनों चरणों के मतदान के बाद सीट-दर-सीट भी नतीजों का अनुमान भी पोस्ट किया था. ऐसा लगता है कि इस एजेंसी की कोई वेबसाइट उपलब्ध नहीं है और साथ ही  इसके बारे में सार्वजनिक रूप से भी काफी कम जानकारी ही उपलब्ध है.

टुडेज़ चाणक्य का अनुमान एक्सिस माई इंडिया से थोड़ा अलग था. उसने एनडीए के लिए एक आरामदायक बहुमत का अनुमान लगाया था. जिसमें एनडीए को 160 ± 12 सीटें, महागठबंधन को 77 ± 12 सीटें और अन्य को 6 ± 3 सीटें मिलने का अनुमान था.

वोट शेयर के के हिसाब से भी इसने एनडीए के लिए 44 प्रतिशत ± 3 प्रतिशत, महागठबंधन के लिए 38 प्रतिशत ± 3 प्रतिशत और अन्य के लिए 18 प्रतिशत ± 3 प्रतिशत का अनुमान लगाया था. चाणक्य ने अपने अनुमानों में 3 प्रतिशत की सीमा रखी थी. इस बीच, मैट्रिज़, दैनिक भास्कर और टीआईएफ रिसर्च जैसे प्रकाशनों ने एनडीए को बहुमत का अनुमान जरूर लगाया लेकिन सीटों के मामले में वह चूक गए. 

एक अंदाजा लगभग सभी एग्जिट पोल्स का सटीक रहा है. जो कि जनसुराज को लेकर था, सभी ने जनसुराज को किसी भी निर्णायक भूमिका में नहीं देखा था और साथ ही इसकी सीटें भी दहाई के आंकड़े को नहीं छू रही थी. 

वोट शेयर मायने रखता है, सीटों की संख्या नहीं

इन चुनावों में अंतिम नतीजों और एग्ज़िट पोल के आंकड़ों को मिलते समय एक बड़ी समस्या सामने आती है. हालांकि, एक्सिस जैसी एजेंसियों ने वोट शेयर के मामले में सही अनुमान लगाया, लेकिन उनका वोट शेयर सीटों के अनुमानों में तब्दील नहीं हुआ.

इसी तरह, चाणक्य, मैट्राइज़ और बाकी एजेंसी भी सीटों के मामले में सही अनुमान नहीं लगा पाए. लेकिन मैट्रिज़ ने अलग-अलग पार्टियों के वोट शेयर का अनुमान लगाते हुए सही अनुमान लगाया.

असल में सीटों की तुलना में वोट शेयर के अनुमानों की सटीकता को तवज्जो देना ज़्यादा सही रहेगा. अगर कोई एग्जिट पोल एजेंसी वोट शेयर का सही अनुमान लगाती है, तो उसने कम से कम एक ज़रूरी काम पूरा कर लिया है, फिर भले ही फिर उसका सीटों का अनुमान गलत हो. क्योंकि गलत वोट शेयर पर आधारित सीटों का अनुमान अविश्वसनीय होता है. यह सटीक जानकारी की बजाय कमज़ोर सैंपलिंग को दर्शाता है.

इस तरह देखें तो एक्सिस, पोल डायरी और मैट्रिज़ ने वोट शेयर के सही अनुमान लगाए थे. साथ ही मालूम हो कि चाणक्य ने सीटों और वोट शेयर के लिए पार्टी-वार अनुमान नहीं जारी किए थे.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद एक्सिस माई इंडिया के एमडी प्रदीप गुप्ता इंडिया टुडे के एक लाइव शो में तीखे सवालों के बाद रो पड़े थे. यह घटना एक्सिस माई इंडिया के ट्रैक रिकॉर्ड का बखान करने के एक दिन बाद हुई थी. उनकी एजेंसी एक दशक में 69 चुनावों के लिए किए गए सर्वेक्षणों में से सिर्फ़ चार में ही ग़लत साबित हुई थी और अब यह संख्या और भी ज़्यादा हो गई है.  

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