बिहार: बंपर वोटिंग के बाद बंपर बहुमत वाली एनडीए सरकार, 35 सीटों पर सिमटा महागठबंधन

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 243 में से 202 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, प्रतिपक्षी खेमा महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया है. 6 सीटें अन्य दलों के खाते में गई हैं.

राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार की तस्वीर.

बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे अब साफ हो चुके हैं. बिहार की नई सरकार को बंपर बहुमत मिला है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 243 में से 202 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, प्रतिपक्षी खेमा महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया है. 6 सीटें इन दोनों गठबंधनों से बाहर अन्य दलों ने जाती है. जिनमें से 5 सीटें एआईएमआईएम और 1 बसपा की शामिल है. 

एनडीए का हिस्सा भारतीय जनता पार्टी ने 89 सीटें और जनता दल यूनाइटेड ने 85 सीटों पर जीत हासिल की है. दोनों ही पार्टियों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 28 में से 19, हिंदुस्तान आवामी मोर्चा (सेक्युलर) ने 6 में से 5, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) ने 6 में 4 सीटें जीती हैं.

एनडीए समर्थित प्रत्याशी तीसरे नंबर पर
मालूम हो कि मढौरा सीट से लोकजनशक्ति पार्टी की सीमा सिंह का नामांकन रद्द हो गया था. जिसके बाद एनडीए ने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी अंकित सिंह को समर्थन दिया. अंकित इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे हैं. राजद के प्रत्याशी जितेंद्र कुमार राय ने यहां 27 हजार से ज्यादा वोट से जीत हासिल की है. वहीं, जनसुराज के नवीन कुमार उर्फ अभय सिंह 58 हजार से ज्यादा वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे हैं.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने किया धन्यवाद

नतीजों के बाद शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सुशासन, विकास, जन-कल्याण की भावना और सामाजिक न्याय की जीत हुई है.

वहीं, नीतीश कुमार ने जनता को धन्यवाद का ट्वीट करते हुए लिखा कि सबके सहयोग से बिहार और आगे बढ़ेगा तथा देश के सबसे ज्यादा विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा.

महागठबंधन का निराशानजक प्रदर्शन

महागठबंधन का हिस्सा और बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 143 में से मात्र 25 सीटें ही जीत पाई है. 61 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस मात्र 6 सीटों पर जीत हासिल कर पाई है. महागठबंधन से उप-मुख्यमंत्री के उम्मीदवार मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) इस चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई है. वीआईपी 12 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. 

महागठबंधन से 3 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी (आईआईपी) मात्र एक सीट जीत पाई है. इसके अलावा 33 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली वामपंथी पार्टियां मात्र 3 सीटों पर ही जीत पाई हैं. ‘फ्रेंडली फाइट’ वाली 12 सीटों में से महागठबंधन की पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली है. 

चुनाव आयोग की तरफ घोषित परिणामों की एक तस्वीर.

बसपा और एआईएमआईएम का प्रदर्शन

पिछले विधानसभा चुनावों में चैनपुर सीट जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी को इस बार वहां से हार मिली है. चैनपुर से जदयू के मोहम्मद ज़मा खान ने 8 हजार से ज्यादा वोटों से राजद के बृजकिशोर बिंद को हराया है. बसपा के धीरज कुमार सिंह यहां तीसरे नंबर पर रहे हैं. 

इस बार बसपा ने रामगढ़ से जीत दर्ज की है. बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार यादव ने भाजपा के अशोक कुमार सिंह को करीबी मुकाबले में 30 वोट से हराया है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार रखा है. उसे 5 सीटों पर जीत मिली है. उसने इस बार 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था. चुनाव परिणामों के बाद पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी ने प्रेस वार्ता कर जनता का धन्यवाद किया.

बीते चुनावों में कुछ ऐसा रहा था प्रदर्शन
बिहार विधानसभा के पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों में इस बार की तरह साफ बहुमत नहीं था. तब मतदाताओं ने किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं दिया था. पिछले चुनाव में महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) थी. जिसने 243 में से 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस ने भी 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. वामपंथी दलों- भाकपा (माले), भाकपा और माकपा ने मिलकर 16 सीटें जीतीं थी. इनमें से अकेले भाकपा (माले) को 12 सीटों पर सफलता मिली थी. 

वहीं, एनडीए में शामिल दलों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 74 सीटों के साथ पिछले विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी थी. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को 43 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, सीटें कम होने के बावजूद जेडीयू की भूमिका सरकार गठन में अहम रही. तब गठबंधन की छोटी पार्टियों में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी को 4- 4 सीटें मिलीं. लोक जनशक्ति पार्टी महज 1 सीट पर सिमट गई, जिसने दल के भीतर खींचतान और नेतृत्व विवाद को और तेज कर दिया था. इसके अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी रहा था. 

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