नियमों के अनुसार, चुनाव ड्यूटी के किसी भी गाड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है. हमसे बातचीत में कुछ ड्राइवर्स ने दावा किया कि पुलिस द्वारा जबरन उनकी गाड़ी को चुनावी ड्यूटी में इस्तेमाल किया जा रहा है.
चुनाव सिर्फ वोटिंग प्रक्रिया तक सीमित नहीं होते बल्कि ये एक प्रशासनिक अभियान भी होता है. इसी का अहम हिस्सा होती हैं, वे हजारों गाड़ियां जो चुनावी ड्यूटी में लगती हैं. फिर चाहे वो ट्रक हों या बस या कोई निजी वाहन.
बिहार के विधानसभा चुनावों के दौरान पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान अब आम जनता के लिए बंद है, क्योंकि यहां उन गाड़ियों को अस्थायी तौर पर पार्क किया गया है, जो चुनावी कामकाज में इस्तेमाल होंगी.
गांधी मैदान में इन दिनों सैकड़ों बस और ट्रक खड़े हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कुछ ड्राइवरों ने दावा किया उन्हें जबरन यहां लाया गया और उनकी गाड़ी भी एक तरह ‘जब्त’ कर ली गई है. ड्राइवर संजीत कुमार बताते हैं कि वो छपरा से पटना आए थे और उनकी गाड़ी पकड़ ली गई. संजीत कहते हैं, “हम किसी को स्टेशन पर छोड़ने आए थे, तभी पुलिस ने गाड़ी पकड़ ली. बोले कि बस थोड़ा स्टाफ छोड़ना है, लेकिन अब गाड़ी को सीधा चुनाव ड्यूटी में भेज दिया गया. अब मुझे ना गाड़ी का पता है, ना पैसा मिला है, ना रहने का इंतज़ाम का पता है.”
कुछ और ड्राइवर्स ने भी हमें ऐसे ही कहानी बताई. चुनावी नियमों के अनुसार, किसी भी तरह के पंजीकृत वाहन का चुनावी कार्य में इस्तेमाल हो सकता है.
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
बिहार चुनाव से जुड़े हमारे इस सेना प्रोजेक्ट में योगदान देकर बिहार के लिए नई इबारत लिखने वाले इन चुनावों की कहानियां आप तक लाने में हमारी मदद करें.
एनडीए का मेनिफेस्टो: 60 सेकंड की प्रेस कॉन्फ्रेंस में 60 वादे और नड्डा की रैली
पलायन और बेरोज़गारी के बीच नीतीश की 10 हजार की हलचल, लोग बोले- वोट खरीदने की कोशिश