एसआईआर की प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू होगी और 7 फरवरी 2026 तक चलेगी. इस दौरान मतदाता सूची में नए नाम जोड़े जाएंगे, पुराने या गलत नामों को हटाया या सुधारा जाएगा.
बिहार के बाद अब देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. चुनाव आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू होगी और 7 फरवरी 2026 तक चलेगी. इस दौरान मतदाता सूची में नए नाम जोड़े जाएंगे, पुराने या गलत नामों को हटाया या सुधारा जाएगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि सोमवार रात से ही इन सभी 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की वोटर लिस्ट ‘फ्रीज’ कर दी जाएगी. इसका मतलब यह है कि अब से मतदाता सूची में किसी भी तरह के बदलाव आधिकारिक रिवीजन प्रक्रिया के तहत ही होंगे. आयोग ने संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस अभियान को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए.
चुनाव आयोग के अनुसार, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानि एसआईआर की अवधि कुल 103 दिनों की होगी. इस दौरान नागरिक अपने मतदाता अधिकारों से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर सकेंगे. जिसमें फॉर्म-6 के जरिए नए वोटर नाम जोड़ सकेंगे.
फॉर्म-7 के माध्यम से गलत या दोहराए गए नाम हटाए जा सकेंगे. वहीं, फॉर्म-8 से नाम, पता या अन्य विवरणों में सुधार किया जा सकेगा.
बंगाल में होगा रिवीजन, असम में नहीं
चुनाव आयोग के इस फैसले की एक खास बात यह है कि अगले साल विधानसभा चुनाव वाले पश्चिम बंगाल में यह रिवीजन किया जाएगा, लेकिन असम को इससे बाहर रखा गया है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि असम में नागरिकता और मतदाता सूची से जुड़े नियम अलग हैं, इसलिए वहां यह प्रक्रिया एक अलग प्रारूप में संचालित की जाएगी. दरअसल, असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता से जुड़ी प्रक्रियाएं अभी भी कई स्तरों पर अधूरी हैं, इसलिए आयोग ने वहां फिलहाल एसआईआर न कराने का फैसला लिया है.
पारदर्शिता और सटीकता पर जोर
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह विशेष रिवीजन मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है. आयोग चाहता है कि आगामी चुनावों से पहले सभी राज्यों की मतदाता सूची अपडेट हो. इसके लिए स्थानीय अधिकारियों को घर-घर जाकर सत्यापन करने और नागरिकों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जानकारी अपडेट करने की सुविधा देने के निर्देश दिए गए हैं.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि जो लोग इस दौरान छुट्टी पर या बाहर होंगे, वे वोटर्स पोर्टल के जरिए या वोटर हेल्पलाइन के जरिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आयोग का लक्ष्य है कि डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल से प्रक्रिया और तेज़ तथा पारदर्शी बने.
एक बार फिर सवाल उठने शुरू
ऐलान के साथ ही चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि पहले जो तुगलकी फ़रमान था, वह अब शातिर तिकड़म में बदल चुका है.
योगेंद्र यादव ने चुनाव आयोग से 14 सवाल किए हैं. उन्होंने कहा कि आयोग को यह साफ-साफ बताना चाहिए कि बिहार में एसआईआर कराने से उन्हें क्या सीख मिली और इन सीखों को ध्यान में रखते हुए अब क्या संशोधन किए गए.
साथ ही उन्होंने सवाल किया कि अगर एसआईआर का उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों को हटाना है तो चुनाव आयोग को पहले यह जानकारी देनी चाहिए कि बिहार में कितने विदेशी पाए गए और कितने मतदाता सूची से हटाए गए. योगेंद्र यादव ने भी सवाल उठाया कि चुनाव आयोग किस आधार पर 2002/2003 को कटऑफ़ वर्ष मानता है?
कांग्रेस ने कहा- वोट चोरी का खेल शुरू
वहीं, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस ऐलान को लेकर एक्स पर प्रतिक्रिया दी. पार्टी ने लिखा, “चुनाव आयोग अब 12 राज्यों में 'वोट चोरी' का खेल खेलने जा रहा है. एसआईआर के नाम पर बिहार में 69 लाख वोट काटे गए. अब 12 राज्यों में करोड़ों वोट काटे जाएंगे. यह खुले तौर पर 'वोट चोरी' है, जो नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग साथ मिलकर कर रहे हैं.”
कांग्रेस ने कहा कि 12 राज्यों में होने वाली एसआईआर की प्रक्रिया लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश है. यह जनता के अधिकारों को छीनने का षड्यंत्र है.
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