सूर्पनखा के सोलह अवतार, डंकापति का दरबार और दलित आईपीएस की आत्महत्या

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

धृतराष्ट्र को संजय ने इस हफ्ते रावण की एक काल्पनिक कथा सुनाई. दशहरे में जलने के बाद रावण पूरी फुर्सत में था. उसके पास पूरे एक साल का वक्त था. और मायावी तो वह था ही. एक दिन वह बोरियत से बचने के लिए छात्र का भेस धर कर पाठशाला में बच्चों के बीच बैठ गया. हिंदी की कक्षा चल रही थी. फिर क्या हुआ?

दशहरे के मौके पर होने वाली रामलीलाओं ने इस बार रचनात्मकता के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए. खासकर सूर्पनखा के सोलह अवतारों ने तो हद ही कर दी. इस बार सूर्पनखा के साथ जितने प्रयोग रामलीलाओं में किए गए हैं उस पर इस देश की तमाम फेमिनिस्टों को मोर्चा खोल देना चाहिए.

इसके अलावा पिछले हफ्ते की दो घटनाओं पर इस टिप्पणी में विस्तार से चर्चा. एक तो देश के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर सामान फेंकने की घटना और दूसरी हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या. पूरन कुमार ने छह अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित घर में कथित तौर पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या के सात दिन बाद 13 अक्टूबर को जब हम यह टिप्पणी रिकॉर्ड कर रहे हैं उस समय तक पूरन कुमार का न तो पोस्टमॉर्टम हुआ है, ना ही अंतिम संस्कार. पूरा वाकया टिप्पणी में दर्ज है.

Also see
article imageसोनम वांगचुक, कॉन्सपिरेसी थियरी, ज़हरीला संगीत रागी और डीवाई चंद्रचूड़
article imageजीएसटी की सौग़ात, एच-वन-बी वीज़ा का हमला और मोदीजी का प्रकटोत्सव

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like