गुरुग्राम नगर निगम के पास 350 से 400 करोड़ रुपये का बजट है. बावजूद इसके शहर साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है.
मिलेनियम सिटी गुरुग्राम एक बार फिर कूड़े के संकट से जूझ रहा है. जहां एक तरफ शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के दावे किए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ घर-घर से कूड़ा उठाने का टेंडर पांचवीं बार रद्द हो चुका है. सड़क किनारे, कॉलोनियों और हाउसिंग सोसाइटियों के बाहर कूड़े के ढेर लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे हालात तब हैं जब गुरुग्राम नगर निगम के पास 350 से 400 करोड़ रुपये का बजट है.
बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम लगभग 50 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है. शहर की सफाई व्यवस्था संभालने के लिए 10 से ज्यादा एजेंसियां काम कर रही हैं. लेकिन जहां 400 कचरा उठाने वाले वाहनों की जरूरत है, वहां सिर्फ 200 वाहन ही काम कर रहे हैं. एजेंसियां मनमाने तरीके से काम कर रही हैं. शहर के करीब 5.5 लाख घरों और दुकानों से 100 फीसदी कूड़ा उठान तक नहीं हो रहा.
शहर में 250 से ज्यादा 'गारबेज वल्नरेबल प्वाइंट' यानी ऐसे स्थान हैं जहां हर रोज कूड़ा जमा होता है. गुरुग्राम से रोजाना करीब 1200 टन कचरा निकलता है. इसमें से 900 से 1000 टन कचरा फरीदाबाद के बंधवाड़ी प्लांट भेजा जा रहा है, फिर भी काम अधूरा है. चाहे पुराना शहर हो या नए सेक्टर, हर जगह कूड़ा बिखरा हुआ नजर आता है. यह हालत तब है जब गुरुग्राम, हरियाणा की कुल राजस्व आय में करीब 65% का योगदान देता है.
उधर, नगर निगम के हेल्पलाइन नंबर पर हर दिन 40 से 50 शिकायतें दर्ज हो रही हैं, और कई बार यह संख्या इससे भी ज्यादा हो जाती है. हमने इस रिपोर्ट के लिए गुरुग्राम का दौरा किया और कई पहलुओं को उजागर किया है.
हमारी इस पड़ताल के लिए देखिए पूरा वीडियो-