दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
सोनम वांगचुक जैसे सामाजिक कार्यकर्ता को रासुका यानी एनएसए के तहत गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है क्योंकि लद्दाख को पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची में रखने को लेकर चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया. इसमें चार लोगों की मौत हो गई.
सरकार ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए वांगचुक की संस्था का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया और पूरा तंत्र "कॉन्स्पिरेसी थियरी" फैलाने लग गया. यह मोदी सरकार का सबसे यूज़फुल हथियार बन चुका है. भोंपू पत्रकारों के कंधे पर प्रोपेगैंडा की बमबारी करना.
इस हफ्ते एक और खबर इंटरनेट पर सनसनी बनकर छाई रही. न्यूज़लॉन्ड्री पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का इंटरव्यू हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने लिया. इस बातचीत के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीश दो मौकों पर अपने फैसलों का औचित्य इस तरह से साबित करते नज़र आए जो या तो उनके असली फैसले में मौजूद ही नहीं है या फिर वो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है.