हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पत्रकारों को पुलिस ने बीच रास्ते में ही छोड़ दिया.
रामलीला मैदान में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की भर्ती प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों को लेकर हो रहे विरोध-प्रदर्शन की कवरेज के दौरान द लल्लनटॉप के दो पत्रकारों को पुलिस ने रविवार को कुछ समय के लिए हिरासत में ले लिया.
रिपोर्टर रजत पांडे और कैमरापर्सन राशिद अली काज़मी को पहले प्रदर्शन की शूटिंग से रोका गया और फिर पुलिस ने उन्हें बस में बैठाकर प्रदर्शनकारियों के साथ हिरासत में लिया. इस दौरान पुलिस ने उनका प्रेस कार्ड, कैमरा, माइक और मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिया.
द लल्लनटॉप के मुताबिक, जब सहयोगियों ने पांडे से संपर्क करने की कोशिश की, तो फोन उठाने वाले एक व्यक्ति, जिसने खुद को पुलिसकर्मी बताया, ने पुष्टि की कि दोनों हिरासत में हैं. हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पत्रकारों को बीच रास्ते ही छोड़ दिया गया. प्रदर्शनकारियों को ले जा रही बस पुलिस थाने की ओर बढ़ती रही.
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए डीसीपी सेंट्रल निधिन वालसन ने कहा कि पत्रकारों को “गलती से” छात्रों के साथ पकड़ लिया गया था और यह सिर्फ एक गलतफ़हमी थी. लेकिन द लल्लनटॉप ने इस बयान को खारिज करते हुए कहा, “हकीकत यह है कि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेते समय प्रेस कार्ड, माइक और कैमरा ज़ब्त किया.”
काज़मी ने बताया कि पहचान पत्र दिखाने के बावजूद उन्हें जबरन बस में धकेला गया. वहीं, पांडे ने कहा कि वे लगातार पुलिस से कहते रहे कि “हम पत्रकार हैं.” पांडे के अनुसार, “पुलिस को यह अच्छी तरह मालूम था. वरना हमारे प्रेस कार्ड, माइक और कैमरा क्यों ज़ब्त किए जाते?”
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