रुबेन का कहना है कि चैनल हटाने की वजह उनसे साझा नहीं की गई है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल मुं रूबेन कहूछि (मतलब- मैं रूबेन बोल रहा हूं) को अचानक हटाए जाने की कड़ी निंदा की है. ईजीआई ने अपने बयान में कहा कि यह “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्लेटफॉर्म की शक्ति और डिजिटल गवर्नेंस में स्पष्टता की कमी जैसे गंभीर सवाल खड़े करता है.”
बुधवार को जारी एक बयान में गिल्ड ने कहा कि बनर्जी का चैनल बिना किसी पूर्व चेतावनी, स्ट्राइक या कारण बताओ नोटिस के हटा दिया गया. मालूम हो कि बनर्जी गिल्ड के महासचिव भी हैं.
सितंबर 2024 में रुबेन ने इस ओड़िया भाषा के चैनल की शुरुआत की थी. चैनल के जरिए वह स्कूल शिक्षकों की समस्याओं, महिला स्व-सहायता समूहों और ओडिशा की राज्य राजनीति आदि जैसे मुद्दों पर कवरेज करते हैं. लॉन्च होने के बाद से चैनल ने 33,000 से अधिक ऑर्गेनिक सब्सक्राइबर हासिल किए हैं.
गिल्ड के अनुसार, बनर्जी को 4 अगस्त की देर रात यूट्यूब से एक ई-मेल मिला जिसमें उसकी “सर्कमवेंशन पॉलिसी” के उल्लंघन का हवाला दिया गया है. बनर्जी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि यूट्यूब ने उल्लंघन की सटीक प्रकृति के बारे में जानकारी नहीं दी. इसके अलावा यूट्यूब ने उनकी अपीलें, जिनमें एक वकील के माध्यम से दाखिल की गई अपील भी शामिल थी, बिना कोई कारण बताए खारिज कर दी गईं. गिल्ड ने कहा, “जानकारी न देने से उन्हें सुने जाने का अवसर नहीं मिला, जो प्राकृतिक न्याय से वंचित करने के बराबर है.”
गिल्ड ने ऐसे ही दूसरे मामलों की ओर भी ध्यान दिलाया, जिनमें खोजी पत्रकार पूनम अग्रवाल के चैनल को हटाना और 4PM न्यूज़ नेटवर्क को ब्लॉक करना शामिल है. जिसे बाद में केवल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही बहाल किया गया. बयान में कहा गया, “ऐसी मनमानी कार्रवाइयां अपारदर्शी प्रवर्तन तंत्र के खतरों को उजागर करती हैं, जो प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं.”
ईजीआई के अध्यक्ष आनंद नाथ ने यूट्यूब से बनर्जी के चैनल को तुरंत बहाल करने और उसके हटाने का स्पष्ट कारण बताने की अपील की.
गिल्ड ने जोर देकर कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को “पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही” के साथ काम करना चाहिए और पत्रकारिता संबंधी कंटेंट के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई में पूर्व सूचना, कारणों का खुलासा और जवाब देने का उचित अवसर शामिल होना चाहिए.
नाथ ने कहा, “ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उतनी ही जरूरी है जितनी ऑफलाइन. लोकतंत्र को फलने-फूलने के लिए यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिम्मेदार पत्रकारिता को सुरक्षा मिले, सजा नहीं.”
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