दोनों पत्रकारों के खिलाफ असम के मोरेगांव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. दोनों पर देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकारों सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर को असम पुलिस द्वारा तलब किए जाने पर कड़ी चिंता जताई है. जानकारी के मुताबिक, दोनों पत्रकारों के खिलाफ असम के मोरेगांव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें दोनों पर देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है.
गिल्ड ने अपने बयान में कहा है कि वरदराजन और थापर को 22 अगस्त को गुवाहाटी स्थित क्राइम ब्रांच ऑफिस में पेश होने के लिए बुलाया गया है. यह समन उस समय आया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वरदराजन और अन्य को असम पुलिस की “कठोर कार्रवाई” से सुरक्षा प्रदान की थी. यह मामला द वायर में प्रकाशित एक लेख से जुड़ा था.
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मौजूदा एफआईआर भी उसी लेख के संबंध में है या नहीं. मालूम हो कि इस लेख में केंद्र सरकार की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर आलोचना की गई थी.
गौरतलब है कि ताजा एफआईआर में भी भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 का इस्तेमाल किया गया है, जो संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने से संबंधित है. इसके साथ ही कई अन्य धाराओं का भी जिक्र है, जिनमें धारा 196 (साम्प्रदायिक वैमनस्य), 197(1)(d)/3(6) (फर्जी प्रचार), 353 (लोक उपद्रव), 45 (उकसावा) और 61 (आपराधिक साजिश) शामिल हैं.
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में पुलिस द्वारा पत्रकारों पर इस तरह की धाराओं का प्रयोग स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने की कोशिश है. गिल्ड ने खास तौर पर धारा 152 पर चिंता जताई, जिसे पुराने देशद्रोह कानून (IPC की धारा 124A) का बदला हुआ रूप बताया गया है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में इस धारा को स्थगित रखने का आदेश दिया था.
गिल्ड ने असम पुलिस से अपील की है कि वह पत्रकारिता को दबाने वाले कदम न उठाए और कहा कि “ईमानदार पत्रकारिता कभी अपराध नहीं हो सकती.”
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