अब हर अस्पताल में एक जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त होगा. मीडिया को किसी भी तरह की जानकारी सिर्फ इसी अधिकारी से मिलेगी.
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसने राज्य के शासकीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में मीडिया की आवाजाही और रिपोर्टिंग को लेकर नई सीमाएं तय कर दी हैं. इन आदेशों में अस्पताल परिसर के भीतर कवरेज और यहां तक कि रिपोर्टर्स की उपस्थिति को लेकर भी नियंत्रण के सख्त नियम बनाए गए हैं. आदेशों के बाद अब मीडिया को अस्पताल परिसर में जाने और खबरें कवर करने के लिए पहले अनुमति लेनी होगी.
सरकार ने कहा है कि अस्पतालों में मरीजों की गोपनीयता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है. इसके लिए हर अस्पताल में एक जनसंपर्क अधिकारी या मीडिया लायजन अधिकारी नियुक्त किया जाएगा. मीडिया को किसी भी तरह की जानकारी सिर्फ इसी अधिकारी से मिलेगी.
बीते 13 जून को चिकित्सा विभाग के सचिव के नाम से जारी तीन पन्नों के एक पत्र में ये आदेश जारी किए गए हैं. इन आदेशों में 10 बिंदुओं के जरिए मीडिया मैनेजमेंट से संबंधित एक विस्तृत प्रोटोकॉल जारी किया गया है.
गौरतलब है कि इस प्रोटोकॉल के बाद अब मीडिया सीधे अस्पताल में नहीं जा सकेगा. उसके लिए पहले संबंधित अधिकारी से अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा मरीजों की तस्वीरें या निजी जानकारी बिना इजाजत के प्रकाशित नहीं की जा सकेंगी. वहीं, गंभीर घटनाओं के समय एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ही जानकारी दी जाएगी.
इसके अलावा अस्पताल के संवेदनशील इलाकों जैसे ICU या वार्ड में मीडिया का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. साथ ही सोशल मीडिया पर भी अस्पतालों से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए तय नियमों का पालन करना होगा.
सरकार ने यह भी कहा है कि अस्पताल के कर्मचारियों को इस प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि मीडिया से सही ढंग से संवाद किया जा सके. वहीं, आदेस में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी इस प्रोटोकॉल का उल्लंघन करता है तो उसके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है.
इस प्रोटोकॉल के प्रमुख बिंदु विस्तार से इस प्रकार हैं-
मीडिया संपर्क का एकल बिंदु
मीडिया से संबंधित मामलों में केवल नामित अधिकारी यानि पीआरओ के माध्य्म से ही संवाद किया जाएगा. कर्मचारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे मीडिया को सीधे जानकारी न दें बल्कि जानकारी संबंधित अधिकारी के पास ही भेजें.
गोपनीयता का सम्मान
मरीजों की जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा. मीडिया को किसी भी मरीज की स्थिति, पहचान या फोटो को बिना अनुमति के प्रसारित करने की इजाजत नहीं होगी.
मीडिया की पहुंच और कवरेज
मीडिया को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने से पहले अनुमति लेनी होगी. कवरेज केवल उन्हीं स्थानों पर की जा सकेगी, जहां रोगियों या अन्य गतिविधियों में व्यवधान न हो.
सूचना का आदान-प्रदान
किसी भी घटना या मुद्दे पर मीडिया को दी जाने वाली जानकारी सत्यापित एवं अधिकृत होगी. साथ ही किसी भी महत्वपूर्ण घटना या सार्वजनिक हित के मामले में, अस्पताल को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी होगी या एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करनी होगी.
आपातकालीन स्थिति में प्रबंधन
किसी बड़ी दुर्घटना या आपदा की स्थिति में, एक स्पष्ट प्रोटोकॉल होना निर्धारित किया जाये कि मीडिया को कैसे और कब जानकारी प्रदान किया जाये. सूचनाओं को सावधानीपूर्वक और संवेदनशील तरीके से जारी किया जाना आवश्यक होगा.
सोशल मीडिया प्रबंधन
अस्पतालों के सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से भी सूचनाएं साझा की जाएंगी, परंतु उनकी प्रमाणिकता और संवेदनशीलता बनाए रखना अनिवार्य होगा. साथ ही मरीज की गोपनीयता का भी ख्याल रखना होगा.
प्रशिक्षण और जागरूकता
चिकित्सालयों के कर्मचारियों को मीडिया प्रबंधन प्रोटोकॉल के बारे में प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे मीडिया से संबंधित स्थितियों का ठीक से सामना सके. कर्मचारियों को यह भी पता होना चाहिए कि किसी भी मीडिया कर्मी को अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी के पास कैसे भेजना है.
प्रतिबंधन और उल्लंघन
चिकित्सालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर क्या कार्यवाही की जा सकती है. यदि कोई मीडिया कर्मी नियमों का उल्लंघन करता है, तो इस संबंध में संबंधित समाचार पत्र एवं न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक को अस्पताल प्रबंधन द्वारा अवगत कराया जाना चाहिए.
इसके अलावा पत्र में मीडिया में प्रकाशित समाचारों की जानकारी चिकित्सा विभाग को देने के बारे में भी कहा गया है. पत्र में कहा गया है कि इस प्रोटोकॉल को जल्द से जल्द लागू करवाया जाए. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम अगर सही तरीके से लागू नहीं हुआ, तो यह मीडिया की आज़ादी और जनहित से जुड़ी पत्रकारिता के लिए बाधा बन सकता है.
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