असम ट्रिब्यून समूह के 380 कर्मचारियों को अप्रैल से नहीं मिला वेतन, प्रदर्शन जारी

कर्मचारियों का कहना है कि वे 13 मई से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है.

WrittenBy:प्रत्युष दीप
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यूनियन ने गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

असम ट्रिब्यून समूह के चार प्रकाशनों से जुड़े कम से कम 380 कर्मचारियों को अप्रैल महीने से वेतन नहीं मिला है. मंगलवार को कर्मचारी यूनियन ने यह आरोप लगाया. यूनियन के मुताबिक, मार्च महीने का 75 प्रतिशत वेतन भी अब तक लंबित है.

1939 में राधा गोविंदा बरुआ द्वारा स्थापित असम ट्रिब्यून समूह द असम ट्रिब्यून (अंग्रेज़ी दैनिक) और दैनिक असम (असमिया दैनिक) प्रकाशित करता है. इसके अलावा असम बानी नामक एक साप्ताहिक और गरियोशी नामक एक मासिक पत्रिका भी इसकी प्रमुख प्रकाशन हैं.

कर्मचारियों का कहना है कि वे 13 मई से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. कर्मचारी यूनियन ने बताया, “सहायक श्रम आयुक्त ने वेतन भुगतान को लेकर दो त्रिपक्षीय बैठकें बुलाई थीं. प्रबंधन ने दोनों बार वादे किए, लेकिन उन्हें निभाया नहीं.” 

यूनियन के सूत्रों के अनुसार, कुल बकाया वेतन करीब 5 करोड़ रुपये का है.

2023 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, द असम ट्रिब्यून की प्रतिदिन लगभग 52,000 प्रतियां वितरित होती हैं, जबकि दैनिक असम की प्रसार संख्या 16,000 है. समूह का दावा है कि वह भारत का पहला मीडिया संस्थान है जिसने 2010 में मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू की थीं.

यूनियन ने यह भी कहा कि पूर्व प्रबंध निदेशक प्रफुल्ल चंद्र बरुआ के कार्यकाल में कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलता था, लेकिन नई प्रबंधन टीम ने वेतन संकट के लिए सरकारी विज्ञापन के बकाया को जिम्मेदार ठहराया है. उनके अनुसार, सरकार से अब तक 6 करोड़ रुपये से अधिक की विज्ञापन राशि मिलनी बाकी है.

यूनियन ने कहा, “हमारा सवाल सरकार से है कि कर्मचारियों को क्यों सरकारी बकाया के कारण भुगतना पड़ रहा है?... साथ ही हम प्रबंधन से आग्रह करते हैं कि वे राजस्व के अन्य तरीकों की खोज करें और केवल सरकारी विज्ञापनों पर निर्भर न रहें.”

न्यूजलॉन्ड्री ने इस विषय पर समूह के प्रबंधन से प्रतिक्रिया मांगी है. अगर प्रबंधन का कोई जवाब आता है तो उसे रिपोर्ट में जरूर शामिल किया जाएगा. 

इस बीच, सूचना और जनसंपर्क विभाग के निदेशक मनबेंद्र देव राय ने कहा है कि जनवरी तक का सभी बकाया चुकता कर दिया गया है और मंगलवार को फरवरी और मार्च के भुगतान की स्वीकृति भी दे दी गई है.

वित्तीय दस्तावेजों (बैलेंस शीट) के विश्लेषण से पता चलता है कि असम ट्रिब्यून प्राइवेट लिमिटेड पिछले दो सालों से लाभ कम रही है. 2023-24 में कंपनी ने 56.38 करोड़ रुपये की आय और 55.83 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 55.38 लाख रुपये का लाभ दर्ज किया. वहीं 2022-23 में 62.01 करोड़ की आय और 61.61 करोड़ खर्च के साथ 39.96 लाख का मुनाफा हुआ था.

दोनों वर्षों में सबसे अधिक खर्च ‘कर्मचारियों को लाभ’ देने पर किया गया. 2023-24 में 32.13 करोड़ और 2022-23 में 31.63 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

जहां एक ओर समूह ने अब तक कर्मचारियों के आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है, वहीं मंगलवार को एक बयान जारी कर यह स्पष्ट किया गया कि मीडिया समूह की बिक्री को लेकर जो अफवाहें चल रही हैं, वे पूरी तरह गलत और निराधार हैं. बयान में कहा गया, “असम ट्रिब्यून प्रबंधन ने प्रकाशन की कथित बिक्री से जुड़ी अफवाहों पर ध्यान दिया है. हम इन दावों का पूर्णतः खंडन करते हैं और स्पष्ट करते हैं कि वे पूरी तरह झूठे हैं.”

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