मानहानि के मुकदमे में हिंदुस्तान टाइम्स और पूर्व रिपोर्टर नीलेश मिश्रा पर ₹40 लाख का हर्जाना

न्यायालय ने ₹40 लाख में से 75% राशि हिंदुस्तान टाइम्स से वसूलने का आदेश दिया है जबकि शेष 25% राशि मिश्रा को व्यक्तिगत रूप से अदा करनी होगी.

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दिल्ली की एक अदालत ने समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स और उसके पूर्व पत्रकार नीलेश मिश्रा को 2007 में छपी एक रिपोर्ट को लेकर व्यवसायी अरुण कुमार गुप्ता को ₹40 लाख का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गुप्ता को एक कंपनी से “वित्तीय अनियमितताओं के चलते बर्खास्त” किया गया था.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने अखबार को आदेश दिया है कि वह दो महीने के भीतर एक माफीनामा प्रकाशित करे और भविष्य में गुप्ता के खिलाफ कोई मानहानिकारक रिपोर्ट प्रकाशित न करने का स्थायी निर्देश भी दिया है.

न्यायालय ने ₹40 लाख में से 75% राशि हिंदुस्तान टाइम्स से वसूलने का आदेश दिया है जबकि शेष 25% राशि मिश्रा को व्यक्तिगत रूप से अदा करनी होगी.

ये था मामला

अरुण कुमार गुप्ता साल 2000 में इंटेग्रिक्स (Integrix) नामक कंपनी में निदेशक बने थे. उसके बाद जुलाई 2005 में इस्तीफा देकर उन्होंने खुद की कंपनी शुरू की थी. वह डार्ट्स आईटी नेटवर्क के संस्थापक हैं. 

मार्च और अप्रैल 2006 में, इंटेग्रिक्स ने एक मानहानि से जुड़ा ईमेल और वेबसाइट हैकिंग के मामले में दो मुकदमे दर्ज किए. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर जांच में यह सामने आया कि इन घटनाओं से जुड़ा IP एड्रेस गुप्ता से जुड़ा हो सकता है.

इसके बाद जनवरी 2007 में हिंदुस्तान टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी, जिसे नीलेश मिश्रा ने लिखा था. उस रिपोर्ट में बिना गुप्ता का नाम लिए यह कहा गया था कि एक व्यक्ति को “वित्तीय अनियमितताओं के कारण कंपनी से निकाला गया”.

इस पर गुप्ता ने हिंदुस्तान टाइम्स, मिश्रा, इंटेग्रिक्स, उसके निदेशकों और यहां तक कि उनके वकील के खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और मिश्रा के अलावा सभी से समझौता कर लिया.

कोर्ट ने क्या पाया?

हिंदुस्तान टाइम्स और मिश्रा ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी और विभिन्न दस्तावेजों, जैसे कि इंटेग्रिक्स द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों पर आधारित थी.

हालांकि, अदालत ने पाया कि रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं था जिससे साबित हो कि गुप्ता को वित्तीय अनियमितताओं के कारण निकाला गया था. अदालत ने इसे मानहानि का स्पष्ट मामला माना और मुआवज़े के रूप में ₹40 लाख का आदेश दिया.

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