जीडीपी में तेजी से बढ़ोतरी एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन किसी देश की तरक्की का सिर्फ जीडीपी से मापी जा सकती है?
पिछले हफ्ते मीडिया में भारत की अर्थव्यवस्था के आकार को लेकर काफी चर्चा हुई. यह चर्चा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमानों और 2025 से 2030 तक की भविष्यवाणियों पर आधारित थी.
आईएमएफ के अनुसार, 2025 में भारत की जीडीपी 4,187.03 ट्रिलयन होने की संभावना है, जो कि जापान की 4,186.43 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ी ज्यादा होगी. इस तरह भारत 2025 में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.. भारत के आगे अमेरिका, चीन और जर्मनी होंगे..
मीडिया ने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता को दिया. यहां तक कहा गया कि अब भारत 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित देश बनने जा रहा है.
ये सही है कि जीडीपी में तेजी से बढ़ोतरी एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन किसी देश की तरक्की का सिर्फ जीडीपी से मापी जा सकती है? या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य, समानता और जीवन स्तर जैसे मानवीय संकेतकों पर भी ध्यान देना जरूरी है?
देखिए सारांश का ये अंक.