अदालत ने कहा कि जब तक दोनों पत्रकारों पर लगे अपराधों की प्रकृति का पता नहीं चलेगा तब तक गिरफ्तारी से सुरक्षा देने वाला कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों के पक्ष में कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है. इन पत्रकारों ने भिंड पुलिस द्वारा हिरासत में हिंसा, जातीय दुर्व्यवहार और लगातार जान का खतरा होने का आरोप लगाया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति संजय करोल और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि जब तक अदालत को यह स्पष्ट रूप से न बताया जाए कि इन दोनों पत्रकारों शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान पर लगे अपराधों की प्रकृति क्या है, तब तक गिरफ्तारी से सुरक्षा देने वाला कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता.
अदालत ने कथित तौर पर कहा कि उसे बताया जाना चाहिए था कि याचिकाकर्ता पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं.
हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील वारिशा फरसत ने कहा कि यह मामला मध्य प्रदेश से संबंधित है, इसलिए दिल्ली हाईकोर्ट को इस पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है.
अदालत ने पूछा कि याचिकाकर्ताओं को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जाने से किसने रोका और यह भी कहा कि भिंड के एसपी अजीत यादव, जिन पर आरोप लगाए गए हैं, उन्हें याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है.
इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 9 जून को सूचीबद्ध कर दिया.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले इस मामले पर रिपोर्ट की थी और यह भी बताया था कि पत्रकारों ने दिल्ली आने को लेकर क्या मजबूरियां बताईं थीं.
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