गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में गवाह का दावा, ‘आरोपी की पहचान न करने की धमकी दी गई’

मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने टीएनएम को पुष्टि की कि गवाह को धमकी दी गई थी.

गौरी लंकेश की तस्वीर.

गौरी लंकेश की हत्या के मुकदमे में कथित आरोपियों के खिलाफ गवाही दे रहे एक गवाह ने अदालत को बताया कि उसे धमकाया गया और चेतावनी दी गई कि वह आरोपियों की पहचान न करे. 

पुलिस ने कहा है कि वे इस मामले के सभी गवाहों की सुरक्षा के लिए "सभी उचित कदम" उठा रहे हैं. हालांकि, अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. यह गवाह लंकेश की हत्या में शामिल तीन आरोपियों के खिलाफ गवाही देने वाला है. कुल 18 लोगों पर 5 सितंबर 2017 को एक्टिविस्ट-पत्रकार लंकेश की हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है.

गवाह ने बीते बुधवार यानि 28 मई को अदालत को बताया कि उसे एक दिन पहले धमकी दी गई जब वह गवाही देने बेंगलुरु जा रहा था. टीएनएम द्वारा देखे गए दस्तावेजों के अनुसार, व्यक्ति ने अपनी शिकायत में कहा कि जब वह बेंगलुरु की ओर यात्रा कर रहा था, तब उसे एक फोन आया जिसमें उसे आरोपियों की पहचान करने से मना किया गया. बाद में गवाह ने अदालत में अपनी गवाही दी. सूत्रों ने बताया कि यह गवाह उन लोगों की पहचान करने वाला था जिन्होंने लंकेश की हत्या की साजिश रची थी.

सूत्रों ने बताया कि विशेष लोक अभियोजक (स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर) एस बालन ने गवाह की शिकायत को लेकर अदालत में एक ज्ञापन (मेमो) दायर किया, जिसे अदालत ने रिकॉर्ड में लिया. 

मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने टीएनएम को पुष्टि की कि गवाह को धमकी दी गई थी. उन्होंने कहा, “लेकिन उसने अदालत में अच्छी तरह गवाही दी. हम गवाहों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं.” 

जब उनसे पूछा गया कि क्या एफआईआर दर्ज की गई है, तो उन्होंने कहा, “हमने अभी तक इस पर फैसला नहीं किया है कि एफआईआर दर्ज करनी है या नहीं.” अगर पुलिस एफआईआर दर्ज करती है, तो अभियोजन पक्ष आरोपियों की जमानत रद्द कराने के लिए याचिका दायर कर सकता है.

मामले में अब तक कुल 17 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. इनमें अमोल काले भी शामिल है. पुलिस काले को साजिश का मास्टरमाइंड मानती है. फिलहाल, वह जमानत पर बाहर है. सबसे पहले दिसंबर 2023 में मोहन नायक को जमानत मिली, जो हत्यारों के लिए ठहरने की व्यवस्था करने का आरोपी है. अगले 13 महीनों में बाकी आरोपियों को भी जमानत मिल गई. सबसे आखिर में शरद कलसकर को जनवरी, 2025 में जमानत मिली.

टीएनएम ने पहले एक तीन-भागों की रिपोर्ट में बताया था कि कैसे गौरी लंकेश के कथित हत्यारों को गोवा आधारित कट्टरपंथी हिंदुत्व संगठन सनातन संस्था के हिंसक साहित्य ने कट्टरपंथी बना दिया और एकजुट किया. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यह रिपोर्ट पढ़िए.

चार्जशीट के अनुसार, अमोल काले और अन्य को ‘क्षात्र धर्म साधना’ नामक एक पुस्तक के ज़रिए कट्टरपंथी बनाया गया, जो समाज के “अवांछनीय” तत्वों को “दुर्जन” (दुष्ट) बताती है और उनके उन्मूलन का आह्वान करती है.

जहां अमोल काले को कथित मास्टरमाइंड बताया गया है, वहीं परशुराम वाघमारे पर गोली चलाने का आरोप है. गणेश मिस्किन वह मोटरसाइकिल चला रहा था जिस पर परशुराम वाघमारे बैठकर गौरी के बेंगलुरु स्थित घर तक गया. 

टीएनएम ने यह भी रिपोर्ट किया है कि कैसे कथित हत्यारों ने विस्तृत योजना बनाई थी. उन्होंने कर्नाटक के विभिन्न शहरों और यहां तक कि पड़ोसी महाराष्ट्र तक यात्रा की, ताकि हत्यारों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा सके, शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए जगह खोजी जा सके, मोटरसाइकिल और रहने की व्यवस्था की जा सके, और हत्या को अंजाम देने के लिए अन्य लॉजिस्टिक तैयारियां की जा सकें.

इस पूरे मामले पर ज्यादा जानकारी के लिए ये सभी रिपोर्ट यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. 

यह रिपोर्ट द न्यूज़ मिनट से साभार प्रकाशित की गई है. द न्यूज़ मिनट-न्यूज़लॉन्ड्री एक साझेदारी का हिस्सा हैं. इस साझेदारी के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए.  

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