पत्रकार पर इस महीने 19 मई को कथित फिरौती के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां दैनिक केसरिया हिंदुस्तान अख़बार से जुड़े पत्रकार इसरार हुसैन ने अपनी पत्नी मिराज के साथ ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया. ज़हर खाने से पहले दोनों ने एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने स्थानीय प्रशासन और कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया.
फिलहाल इसरार और उनकी पत्नी का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है और डॉक्टरों ने उनकी हालत को खतरे से बाहर बताया है.
वीडियो में इसरार और उनकी पत्नी ने बिसलपुर के एसडीएम नगेंद्र पांडेय, बारखेड़ा नगर पंचायत के एक अधिकारी, और ठेकेदार मोइन हुसैन पर गंभीर आरोप लगाए. इसरार ने कहा कि उन्होंने बारखेड़ा नगर पंचायत में सड़क निर्माण में अनियमितताओं की रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके चलते उन पर झूठा मुकदमा दर्ज किया गया जिसके चलते उन्हें लगातार प्रताड़ना झेलनी पड़ी.
उन्होंने आरोप लगाया, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट का संज्ञान लिया था, जिसके तुरंत बाद मेरे खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया. पुलिस ने खुद माना है कि एफआईआर दर्ज करने के पीछे दबाव था.”
बता दें कि यह एफआईआर 19 मई को दर्ज हुई थी.
इसरार की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया था कि सड़क परियोजना में घटिया ईंटों का इस्तेमाल किया गया और एसडीएम नगेंद्र पांडेय भी इसमें संलिप्त थे. इसके जवाब में बारखेड़ा थाने में ठेकेदार मोइन हुसैन की शिकायत पर इसरार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(2), 352 और 351(3) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमें फिरौती और आपराधिक धमकी जैसे आरोप शामिल हैं.
ठेकेदार मोइन हुसैन ने शिकायत में कहा, “मैं सरकारी ठेकेदार हूं और वार्ड संख्या 8 और 9 में सड़क व नाली निर्माण का कार्य कर रहा हूं. 18 मई को पत्रकार इसरार हुसैन साइट पर आए और मुझसे 15 हजार रुपए की मांग की. जब मैंने इनकार किया तो उन्होंने धमकी दी कि वह मेरे खिलाफ फर्जी खबर छाप देंगे और गालीगलौज करने लगे. उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी भी दी.”
हालांकि, इसरार के सहयोगी भीरू गौतम ने दावा किया कि यह मुकदमा पूरी तरह झूठा है और इसरार ने ठेकेदार से कभी मुलाकात भी नहीं की. “एफआईआर रातों-रात दर्ज कर दी गई. इसरार बेगुनाह हैं, उन्हें केवल दबाव में फंसाया गया है,” उन्होंने कहा.
वीडियो में दंपति ने यह भी कहा कि जब उन्होंने एसडीएम के खिलाफ शिकायत करने की कोशिश की तो पुलिस उनके घर में घुस आई और उनके बच्चों के साथ मारपीट की. उन्होंने कहा, “जांच के नाम पर पुलिस उस समय हमारे घर आई जब हम मौजूद नहीं थे और हमारे बच्चों को पीटा. हम थक चुके हैं. योगी जी, हमें न्याय चाहिए.”
ग्वालियर निवासी दैनिक केसरिया हिंदुस्तान के संपादक रवींद्र सिंह पवैया ने कहा, “एफआईआर दर्ज होते ही हमने पीलीभीत एसएसपी से बात की, उन्होंने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया था. लेकिन लगातार पुलिस दबाव के चलते इसरार को यह कदम उठाना पड़ा. हम यह मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक ले जाएंगे. यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी.”
वहीं ठेकेदार मोइन हुसैन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मैंने सिर्फ इसरार के खिलाफ शिकायत क्यों की? क्योंकि वही मुझे धमका रहा था, मुझसे पैसे मांग रहा था. जहां तक एसडीएम की बात है, क्या आप सच में मानते हैं कि इतने वरिष्ठ अधिकारी इस तरह का कुछ करेंगे?”
एसडीएम नगेंद्र पांडेय को कॉल और मैसेज के जरिए प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया गया था, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं मिला. हालांकि, पहले दैनिक भास्कर से बात करते हुए पांडेय ने सभी आरोपों से इनकार किया था.
न्यूज़लॉन्ड्री ने बारखेड़ा पुलिस थाने के एसएचओ से भी प्रतिक्रिया मांगी है. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.
वहीं दैनिक भास्कर से बात करते हुए बारखेड़ा नगर पंचायत अध्यक्ष श्याम बिहारी भोजवाल ने कहा कि मामला जानकारी में आया है. हमारा इससे कोई मतलब नहीं है. ठेकेदार से कुछ मांगा होगा, उसने मुकदमा लिखाया है.
अगर आप या आपका कोई परिचित आत्महत्या जैसे विचारों से जूझ रहा है, तो कृपया मदद लें. भारत में कई हेल्पलाइन सेवाएं हैं जो गोपनीय और निशुल्क सहायता प्रदान करती हैं. किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें.