ये कहानी है उस अंधेरे की है, जहां हर क्लिक, हर मैसेज, हर कॉल... किसी की ज़िंदगी तबाह कर रहा है.
एक टेलीग्राम मैसेज, फिर एक वॉट्सएप कॉल... और कुछ ही दिनों में विदेश जाने की तैयारी. लगता था, किस्मत बदलने वाली है. लेकिन ये एक फंदा था — ऐसा फंदा, जिसमें अब तक लाखों युवा फंस चुके हैं. ये खेल अब एक संगठित ट्रैफिकिंग रैकेट का रूप ले चुका है. नौकरियों का झांसा, फर्जी इंटरव्यू, और फिर युवाओं का अचानक गायब हो जाना. ये कहानी म्यांमार में फंसे भारतीय युवाओं की है.
म्यांमार, जहां लोग अपनी बेहतर जिंदगी की तलाश में कदम रखते हैं, लेकिन उनके लिए यह यात्रा खौफनाक बन जाती है. दरअसल, युवाओं को नौकरी का झांसा देकर हवाई यात्रा के जरिए थाइलैंड बुलाया जाता है, फिर उसके बाद इन्हें पोरस बॉर्डर से नदी पार कराकर म्यांमार में एंट्री दिलाई जाती है. यह सब बंदूक की नोक पर होता है. यहां इनसे क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी से लेकर अन्य ऑनलाइन स्कैम के काम जबरन कराए जा रहे हैं.
अभी भी काफी युवा म्यांमार की एक अजनबी दुनिया में फंसे हुए हैं. यातनाओं का सामना करते हुए, उनकी उम्मीदें और सपने टूट गए हैं. जो एक बेहतर भविष्य के लिए गए थे, वे अब केवल जीवित रहने की कोशिश कर रहे हैं. कई महीनों और सालों तक घोर यातनाओं से गुजरने के बाद, कुछ लोग किसी तरह अपने घर लौटने में सफल हुए हैं. इन युवाओं की वापसी के लिए किसी के परिजन ने जमीन बेची, किसी ने गहने तो किसी ने उधारी ली.
लेकिन क्या इन पीड़ितों की मदद हो पा रही है? क्या सरकारें, मानवाधिकार संगठन और नागरिक समाज इस अपराध को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं? इस डॉक्यूमेंट्री में हम उन दर्दनाक सच्चाइयों का खुलासा करेंगे, जो म्यांमार के भीतर छुपी हुई हैं. इस डॉक्यूमेंट्री को पूरा करने के लिए हमने कई शहरों की यात्रा और महीनों का समय खर्च किया है.
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