एनडब्ल्यूएमआई ने की नेहा राठौर, डॉ मेडुसा और रैंटिंग गोला के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग

नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया, इंडिया ने सरकार से इन तीनों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस लेने की मांग की है. 

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नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा में चूक से जुड़े सवालों के बाद कुछ महिलाओं को निशाना बनाए जाने को लेकर बयान जारी किया है. इस बयान में, एनडब्ल्यूएमआई ने इन महिलाओं पर लगाए गए आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘कठोर’ करार दिया है. 

मालूम हो कि नेहा सिंह राठौर, माद्री काकोटी उर्फ डॉ. मेडुसा और शमिता यादव (रैंटिंग गोला) के खिलाफ पहलगाम पर सवाल उठाने को लेकर मामले दर्ज करवाए गए हैं. 

एनडब्लूयआई ने इन मामलों की निंदा की है, साथ ही तीनों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेतुका और क्रूर बताया है. एनडब्लूएमआई ने कहा कि पहलगाम हमले में प्रशासनिक और खुफिया विफलताओं को लेकर इन महिलाओं ने उचित सवाल पूछे थे. 

गौरतलब है कि भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर पर 27 अप्रैल को 11 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. एक दिन बाद, लखनऊ विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर माद्री काकोटी पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया. 

एनडब्ल्यूएमआई के अनुसार, शमिता यादव के खिलाफ कथित रूप से ‘भारत विरोधी प्रचार’ फैलाने के लिए शिकायत दर्ज करवाई गई क्योंकि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा में हुई चूक की निंदा की और और केंद्र सरकार से जवाबदेही की मांग की.  

एनडब्ल्यूएमआई ने कहा कि ऐसे ही सवालों को देश के बाकी नागरिक भी पूछ रहे हैं. नेटवर्क ने अपने बयान में कहा, ‘यहां तक ​​कि इस त्रासदी के बचे हुए लोगों ने भी किसी भी तरह की सुरक्षा की कमी के बारे में बात की है.’

एनडब्ल्यूएमआई ने कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है कि राठौर और काकोटी पर अलगाव, सशस्त्र विद्रोह भड़काने का आरोप लगाया गया है, वो भी ‘सिर्फ इसलिए कि उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों से पूछताछ करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया था.’

बयान में आगे कहा गया, “राजनीतिक टिप्पणीकारों के खिलाफ अलगाववाद के गंभीर आरोप लगाना आलोचनात्मक और असहमतिपूर्ण विचारों के प्रति स्वाभाविक रूप से असहिष्णु और सत्तावादी प्रतिक्रिया का एक भयावह संकेतक है और अंततः लोकतंत्र की नींव पर प्रहार करता है.’

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