फाउंडेशन ने सरकार और यूट्यूब से चैनल पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाने की अपील की है.
डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (डिजिपब) ने यूट्यूब चैनल 4पीएम पर अलोकतांत्रिक तरीके से लगाए गए प्रतिबंध की निंदा की.
मालूम हो कि बीते मंगलवार को भारत में चैनल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सरकार ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था’ का हवाला देते हुए इसके आदेश जारी किए.
चैनल के मालिक और प्रधान संपादक संजय शर्मा ने कहा कि उन्हें मंगलवार सुबह यूट्यूब से एक ईमेल मिला, जिसमें सरकार के निर्देशानुसार चैनल को बंद करने की बात कही गई. शर्मा ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता है और वे केवल सरकार से सवाल पूछ रहे थे. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार ने ऐसा अनुरोध क्यों किया.
डिजिपब के बयान में कहा गया है, ‘डिजिटल इंडिया के दौर में जब डिजिटल मीडिया की पहुंच और प्रभाव पूरे देश में तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में डिजिटल पत्रकारिता प्लेटफॉर्म पर इस तरह के प्रतिबंध न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का भी स्पष्ट उल्लंघन है."
फाउंडेशन ने कहा, ‘इस प्रतिबंध में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69-ए के तहत उल्लिखित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, न ही जवाब देने का कोई अवसर दिया गया. यह कार्रवाई सीधे तौर पर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत- ऑडी अल्टरम पार्टम- का उल्लंघन करती है, जिसके अनुसार कार्रवाई का सामना करने वाले किसी भी पक्ष को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए.’
बयान में आगे कहा गया है, ‘यह भी उल्लेखनीय है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015) के फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में मनमाने सरकारी हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया था. यह वो मिसाल है, जिसकी इस मामले में अवहेलना की गई है.’
फाउंडेशन ने सरकार और यूट्यूब से ‘4PM पर लगे इस असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक प्रतिबंध को तुरंत हटाने और इसकी सेवाओं को बहाल करने’ की अपील की है.
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