पहलगाम हमले से उठे जरूरी सवाल और दरबारी अर्णब का हिंदू- मुस्लिम राग

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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जम्मू कश्मीर के पहलगाम की घटना आतंकवाद के साथ जुड़े अंध धार्मिक कट्टरवाद को हमारे सामने रखती है. इस घटना से जुड़ी जो जानकारियां सामने आ रही हैं, वह दो धर्मों के बीच की खाई को और गहरी, दो समुदायों के बीच के भरोसे को पूरी तरह से खत्म करने वाली है. लेकिन यह याद रखने का समय भी है कि इस घटना को अंजाम देने वाला एक तीसरा पक्ष है पाकिस्तान. इस पक्ष को समझे बिना, इसका सही उपाय किए बिना कश्मीर या पूरे देश में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती. 

कल्पना तो इसकी भी नहीं की जा सकती कि इस देश की जिम्मेदार मीडिया ऐसे नाजुक वक्त में भी टरकाने, भटकाने के अलावा युद्धोन्माद फैलाने और सांप्रदायिकता भड़काने का काम करेगा. 

जब पूरा देश इस आतंकी घटना के बाद आक्रोश और गम में था, तब खबरिया चैनल अपने प्राइम टाइम की दुकान में आतंकी हमले को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश में लगे हुए थे. दूसरी तरफ कुछ पीड़ित इनके एजेंडे की पोल खोल रहे थे.

देखिए इस हफ्ते की टिप्पणी. 

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