दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
अगर कोई पूछे कि लोकतंत्र विरोधी का चेहरा कैसा होता है तो आप आंख मूद कर निशिकांत दुबे की तस्वीर आगे कर दीजिए. दुबे अकेले सत्ताधारी दल के लोकतंत्र और संविधान विरोधी चेहरे का सामूहिक प्रतिनिधित्व करते हैं. दो दिनों के भीतर उन्होंने देश की दो लोकतांत्रिक संस्थाओं सुप्राीम कोर्ट और चुनाव आयोग के ऊपर हमला किया है.
अंग्रेजी में एक कहावत है ए लेपर्ड कैन नॉट चेंज इट्स स्पॉट. यानी व्यक्ति का मूल चरित्र कभी नहीं बदलता, वह चाहे जितना छुपाने का प्रयास कर ले. ये सब मोदी सरकार में एक पैटर्न का हिस्सा हैं. जिसका मकसद देश की सारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करना, उसके ऊपर दबाव बनाना है.
फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप के एक बयान पर ब्राह्मण समाज आहत हो गया है. शायद ही कोई ऐसा पखवाड़ा बीतता हो जब देश का कोई तबका आहत न होता हो. पिछले पखवाड़े राजपूत आहत थे. इस बार ब्राह्मण आहत हैं. और इतने आहत कि ब्राह्मणों का स्वयंभू प्रवक्ता मनोज मुंतशिर चुनौती दे रहे हैं.