लेखिका ने आरोप लगाया है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और बिना मंजूरी के प्रचार के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया गया है.
पत्रकार कूमी कपूर ने कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी के निर्माताओं और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर अनुबंध के उल्लंघन और मानहानि का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है.
‘द इमरजेंसी: ए पर्सनल हिस्ट्री’ की लेखिका कपूर ने आरोप लगाया है कि रनौत की मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने बिना उनकी पूर्व स्वीकृति के फिल्म को प्रमोट करने के लिए उनके नाम और उनकी किताब का इस्तेमाल किया है. कपूर ने कहा कि फिल्म “उनकी किताब की सामग्री का पूरी तरह से विरूपण” है यानि कि चीजों को तोड़ा-मरोड़ गया है.
इमरजेंसी, साल 1970 के दशक के इर्द-गिर्द सेट एक राजनीतिक ड्रामा फिल्म है. उस दौर में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी. भाजपा सांसद कंगना रनौत ने इसमें इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है. वह ज़ी स्टूडियो, रेणु पिट्टी के साथ इस फिल्म की निर्देशक और सह-निर्माता भी हैं.
कपूर द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, उनकी किताब 2017 में प्रकाशित हुई थी. उन्होंने 2021 में मणिकर्णिका फिल्म्स और पेंगुइन के साथ एक त्रिपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.
प्रेस नोट में कहा गया है कि अनुबंध में दो खंड शामिल किए गए थे. एक तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि “ऐसी कोई भी बात संशोधित नहीं की जानी चाहिए जो उस विषय पर ऐतिहासिक तथ्यों के अनुरूप न हो, जो सार्वजनिक डोमेन में हैं” और दूसरा यह कि “लेखक के नाम और पुस्तक का उपयोग लेखक की लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना फिल्म के प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए.”
शुरुआत में 6 सितंबर, 2024 को रिलीज़ होने वाली इमरजेंसी आखिरकार सेंसर बोर्ड द्वारा लगभग 13 कट और बदलावों के बाद जनवरी में सिनेमाघरों में आई. अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के चित्रण को लेकर फिल्म को सिख समूहों के विरोध का सामना करना पड़ा.
जब 17 मार्च को नेटफ्लिक्स पर फिल्म की स्ट्रीमिंग शुरू हुई, तो कपूर ने कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि बड़े पैमाने पर यह दावा किया गया था कि फिल्म उनकी किताब पर आधारित है.
प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि नेटफ्लिक्स पर चल रही फिल्म में कूमी कपूर की किताब ‘द इमरजेंसी’ पर आधारित वाक्यांश शामिल हैं, जबकि कपूर ने इसके बारे में दो कानूनी नोटिस भेजे थे. (नेटफ्लिक्स पर चल रही फिल्म में यह भी कहा गया है कि यह जयंत वसंत सिन्हा की किताब प्रियदर्शिनी पर आधारित है.) प्रेस नोट में कपूर के बारे में कहा गया है कि पत्रकार और लेखिका के तौर पर उनकी प्रतिष्ठा को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती.
‘रचनात्मक स्वतंत्रता’
द टेलीग्राफ ने बताया कि कपूर के वकीलों ने 3 अप्रैल को मणिकर्णिका फिल्म्स और नेटफ्लिक्स को कानूनी नोटिस भेजा था. यह स्पष्ट नहीं है कि दूसरा नोटिस कब भेजा गया था. 3 अप्रैल के नोटिस में, कपूर ने कहा कि कई बार मैसेज भेजे जाने के बावजूद फिल्म की स्क्रिप्ट उनके साथ साझा नहीं की गई. नोटिस में फिल्म में छह “ऐतिहासिक अशुद्धियां” भी बताई गई थीं.
कपूर ने अखबार को कहा, “उन्होंने मुझे बताया कि वे इंदिरा गांधी पर एक फिल्म बना रहे हैं. मैंने उन्हें यह दे दी. यह मेरी मूर्खता रही. उन्होंने कहा था कि वे केवल एक अध्याय का उपयोग कर रहे हैं. जबकि सामग्री सभी अध्यायों से ली गई है. इंदिरा गांधी का जीवन सार्वजनिक है. पुस्तक का हवाला न दें और गलत तथ्य प्रस्तुत न करें.”
कपूर ने आरोप लगाया कि फिल्म में संजय गांधी के दोस्त अकबर अहमद पर “किशोर कुमार के गानों को आकाशवाणी [ऑल इंडिया रेडियो] पर प्रतिबंधित करने के लिए प्रेरित करने” का आरोप लगाया गया है जबकि अहमद उस दौरान भारत में नहीं थे.
उन्होंने कहा, “मुझे अहमद को यह समझाना पड़ा कि “किताब में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि यह तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री वी.सी. शुक्ला थे, जिन्होंने किशोर कुमार के गानों को आकाशवाणी पर प्रतिबंधित किया था, न कि अहमद.”
कपूर ने कहा कि अहमद उन कई लोगों में से एक थे जिन्होंने फिल्म में “गलतियों” के बारे में उनसे शिकायत की थी.
द टेलीग्राफ के अनुसार, मणिकर्णिका फिल्म्स ने 10 अप्रैल को "आरोपों का खंडन किया." उन्होंने जवाब में कहा कि वह कपूर से स्क्रिप्ट की मंजूरी लेने के लिए बाध्य नहीं हैं क्योंकि उनकी किताब फिल्म के लिए एकमात्र संदर्भ नहीं थी.
प्रोडक्शन हाउस ने यह भी दावा किया कि इस बारे में दोनों के बीच स्पष्ट तौर पर सहमति बनी थी कि विषय, कहानी और पटकथा में आवश्यक संशोधन करने के लिए वे लोग रचनात्मक स्वतंत्रता का प्रयोग करेंगे और इसके लिए उन्हें कपूर ने "पूरी तरह से अधिकार" दिए थे.
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