इससे पहले बीते महीने, कुछ कार्यकर्ताओं ने डीपीडीपी एक्ट के कार्यान्वयन को लेकर चिंता व्यक्त की थी.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, चार पत्रकार संगठनों- भारतीय महिला प्रेस कॉर्प, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, दिल्ली यूनियन जर्नलिस्ट्स और डिजिपब के साथ मिलकर सोमवार को एक खुली बैठक का आयोजन करेगा. बैठक में विवादास्पद डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी एक्ट) पर चर्चा की जाएगी, जिसे भारत सरकार जल्द ही अधिसूचित करने वाली है.
इससे पहले बीते महीने, कुछ कार्यकर्ताओं ने डीपीडीपी एक्ट के कार्यान्वयन को लेकर चिंता व्यक्त की थी. इसमें सरकार पर सूचना के अधिकार को कमजोर करने के लिए नए कानून के प्रावधानों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था.
2023 में, न्यूज़लॉन्ड्री ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के प्रावधानों पर रिपोर्ट की थी, जिसमें खोजी रिपोर्टिंग के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र था जैसे कि इन प्रावधानों में पत्रकारिता को मिलने वाली छूट हटाने का जिक्र है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में होने वाली इस बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि नए कानूनी प्रावधान प्रेस की स्वतंत्रता को कैसे बाधित कर सकते हैं. बैठक में 250 करोड़ रुपये के प्रस्तावित जुर्माने के प्रावधान का भी विश्लेषण किया जाएगा, जो सरकार द्वारा नियुक्त डीपीडीपी बोर्ड द्वारा उचित समझे जाने पर किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ 500 करोड़ रुपये तक हो सकता है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "दुनिया भर में ऐसे कानून पत्रकारों को छूट देते हैं और हमारा प्रयास यह भी सुनिश्चित करना है कि यह अधिनियम पत्रकारों के पेशेवर काम को भी छूट दें. हम इस मामले पर खुली बैठक में लिए गए संयुक्त निर्णयों को आगे बढ़ाने के लिए जल्द से जल्द संबंधित मंत्री से मिलने का समय लेने की उम्मीद कर रहे हैं."
लाहिड़ी ने इसे प्रेस की आज़ादी के लिए एक संयुक्त लड़ाई कहा. उन्होंने कहा, "हम सभी हितधारकों की सहायता और सलाह के साथ आगे बढ़ेंगे और ज़रूरत पड़ने पर देश के दूसरे हिस्सों में प्रेस क्लबों से भी संपर्क करके अपनी आवाज़ को मज़बूत करेंगे."