दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
भारत का मीडिया, राजनीति और पॉपुलर कल्चर, सब नैतिकता की चपेट में आ गए. आलम ये है कि सौ करोड़ की उगाही करने वाले तिहाड़ शिरोमणि भी नैतिक हो गए. दिलफरेब गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ और सुधीर चौधरी के बीच शुरू हुई नैतिकता की होड़ में भारत के मीडिया की नैतिकता के तकाजे भी जुड़ गए. दोसांझ ने खुले मंच से सुधीर चौधरी को चुनौती दी है, फेक न्यूज़ से बचने की.
अब जिसकी प्रतिष्ठा ही दशक की सबसे बड़ी फेक न्यूज़ फैलाने की रही हो उसे इस तरह का चैलेंज देना मतलब हवा में मुक्का मारना है. देखते हैं आगे क्या होता है.
नैतिकता तक तो ठीक था पर इसके बाद जो हुआ उसका बचाव आप नहीं कर सकते. गौतम अडाणी के ऊपर अमेरिका में ढाई हजार करोड़ से ज्यादा की घूस देने का आरोप है, गिरफ्तारी का वारंट है, लेकिन अडाणी का बचाव करने के लिए ज्याातर एंकर-एंकराएं एकजुट हो गए.
किसी चैनल पर #अडाणी_घूसकांड, #अमरीका_में_फंसे_अडाणी, #अडाणी_तो_गयो टाइप हैशटैग नहीं दिखे. लेकिन एक दिन बाद सभी चैनलों पर बिटकॉइन कांड, बिटकॉइन बवाल, और बिटकॉइन बम जैसे जुमले जमकर दौड़ाए गए.
इन हैशटैग का सच यह है कि ये कुछ फेक ऑडियो पर आधारित थे. जिनके ऊपर हर चैनल ने बाकायदा शो किया. महाराष्ट्र विधानसभा के मतदान से एक दिन पहले विपक्षी महाविकास अघाड़ी नेताओं के खिलाफ क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की खबरें चलाईं. इस फर्जीवाड़े की शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि खुद भाजपा ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से की थी.