किरण बेदी: बेटी की निगरानी के लिए पुलिस और अधिकारों का दुरुपयोग

किरण बेदी ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने पुलिस से ‘एक निर्दोष की जान बचाने’ का अनुरोध किया और ‘पुलिस ने अपना कर्तव्य निभाया’.

फोन टैपिंग उपकरण और दस्तावेजों के साथ एक पुलिसकर्मी के साथ किरण बेदी का चित्रण.

कायदे से, 2003 की वसंत ऋतु किरण बेदी के लिए जीत का मौसम होना चाहिए था. भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पहली महिला और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली किरण बेदी की उपलब्धियों में इस महीने इज़ाफ़ा हुआ था. उन्हें संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना विभाग में नागरिक पुलिस सलाहकार नियुक्त किया गया था. इससे पहले किसी महिला या भारतीय ने यह पद नहीं संभाला था. इस निडर पुलिस अधिकारी का तीन दशक लंबा कार्यकाल, तेजी से लोगों की नज़रों में एक किंवदंती बन रहा था.

लगभग इसी दौरान किरण और बीसवें दशक के अंत पर खड़ीं उनकी बेटी साइना, एक लोकप्रिय टॉक-शो रेंडवू विद सिमी ग्रेवाल पर दिखाई दीं. दोनों ने किरण की नौकरी की चुनौतियों से लेकर और एक-दूसरे के प्रति अपने स्नेह को भी खुलकर सामने रखा.

सिमी ने साइना से पूछा, “आपको अपनी मां से विरासत में क्या मिला है?”

किरण की मृदुभाषी बेटी का जवाब था, “मेरी विरासत विश्वसनीयता है. किरण बेदी की बेटी होने का मतलब है तत्काल ईमानदारी, तत्क्षण साहस, सब बढ़िया.”

सिमी गरेवाल के शो में किरण बेदी और साइना बेदी.

लेकिन पर्दे के पीछे, यह विरासत जल्द ही दोनों के बीच तीखे टकराव की वजह बनने वाली थी. इसी टीवी साक्षात्कार में किरण ने कहा, " घर पर, मैं बहुत चिंतित मां हूं." ये छोटा सा वाक्य, किरण की प्रतिष्ठित नियुक्ति के परदे के पीछे पनप रहे हंगामे को ज़ाहिर नहीं करता.

हमारे द्वारा देखी गईं ईमेल के अनुसार, साइना के उस वक्त मध्य दिल्ली के एक विवाहित होटल व्यवसायी गोपाल सूरी के साथ प्रेम संबंध थे. दोनों अंतरराष्ट्रीय वीज़ा चाहने वालों के ज़रिए बेईमानी से पैसा कमाने की एक योजना में लगे थे, जिसके लिए उन्होंने किरण के सार्वजनिक कद का लाभ उठाया.

किरण को सौदेबाज़ी के बारे में पता था और ये उनके लिए कतई नागवार था. एक ईमेल में उन्होंने अपनी झल्लाहट और साइना द्वारा गोपाल के व्यापार को लगातार समर्थन का जिक्र किया, वो व्यापार जिसे किरण ने "मानव तस्करी" बताया. किरण को इस बात की भी चिंता थी कि अगर साइना की जांच हुई, तो उसके भविष्य को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी.

एक तरफ किरण की प्रतिक्रिया एक परेशान, अलबत्ता दबंग मां या बाप की तरह थी. वो साइना को रास्ता बदलने के लिए कहने, उस पर दबाव डालने और अपने करीबी लोगों के ज़रिए साइना तक पहुंचने की कोशिश करने के बीच झूलती रहीं. लेकिन दूसरी ओर, किरण ने इस परिस्थिति का जवाब एक पुलिस अधिकारी की तरह दिया. लोगों के बीच पेश एक ईमानदार अधिकारी की तरह नहीं; बल्कि एक ताकतवर इंसान की तरह निकली, जो सिस्टम को अपने मनमर्ज़ी से तोड़ने-मरोड़ने के लिए तैयार थीं.

संयुक्त राष्ट्र में अपनी पोस्टिंग के लिए न्यूयॉर्क में होने की वजह से, किरण ने दिल्ली में अपनी बेटी पर नज़र रखने में मदद करने के लिए अपने दोस्तों और सहकर्मियों की एक टोली जुटाई. किरण और इन लोगों के बीच आपस में भेजे गए ईमेल्स से पता चलता है कि जब किरण ने साइना और गोपाल की चालों के बारे में सार्वजनिक अलर्ट जारी करने के लिए कुछ कदम उठाए, तो साथ-साथ उन्होंने दिल्ली पुलिस के भीतर अपने आधिकारिक संबंधों का इस्तेमाल करके दोनों पर निगरानी रखने का एक आक्रामक अभियान चलाया.

हमने इस मुहिम में शामिल पुलिस अधिकारियों से पूछा कि क्या इस ऑपरेशन के लिए कोई औपचारिक मंजूरी थी. उन्होंने हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया.

दिल्ली पुलिस अधिकारियों द्वारा किरण के कहने पर इस निगरानी को अंजाम देने के लगभग दो दशक बाद, हमने किरण और उनके विश्वासपात्रों व निगरानी अभियान में शामिल पुलिस अधिकारियों के बीच भेजे गए सैकड़ों ईमेल की कॉपियां देखीं. हमें एक निजी जासूसी एजेंसी की रिपोर्ट भी मिली, जिसे साइना और गोपाल का पीछा करने का काम दिया गया था. साथ ही 20 से अधिक कैसेट टेप भी मिले, जिनमें निगरानी की लगभग 30 घंटे की रिकॉर्ड की गई सामग्री थी.

ईमेल और टेप से सबूतों की एक श्रृंखला मिलती है, जो बताती है कि एक प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारी ने एक अप्रिय निजी मामले को निपटाने के लिए अपनी शक्ति और रुतबे का इस्तेमाल किया. निगरानी के इस ऑपरेशन ने किरण की बेटी और उनकी बेटी के साथी की निजता का उल्लंघन किया. साथ ही ऑपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों को इन दोनों द्वारा अपने वीजा व्यवसाय के लिए अपनाए गए संदिग्ध तरीकों के बारे में मालूम होने के बावजूद भी, ऐसा लगता है कि उन्होंने उनके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से औपचारिक रूप से परहेज किया.

इसी बीच, एक ईमेल के अनुसार, इस ऑपरेशन से 2003 में एक स्विस राजनयिक के यौन उत्पीड़न के बारे में संभावित सुराग मिला. इस सुराग के बारे में हमले की जांच करने वालों को कभी बताया नहीं गया.

हमने यू.के. स्थित गैर-सरकारी संगठन इयरशॉट के ऑडियो विश्लेषण में माहिर विशेषज्ञों से निगरानी ऑपरेशन से मिली टेपों में से एक की जांच करने के लिए कहा. इयरशॉट ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "हमारा मानना ​​है कि रिकॉर्डिंग असंपादित और मौलिक है.” इयरशॉट के शोधकर्ताओं ने रिकॉर्डिंग में मौजूद आवाज़ों का विश्लेषण हमारे द्वारा मुहैया कराई गई अन्य ऑडियो क्लिप के साथ किया. "पूरी तरह से आवाज़ों की तुलना" करने के बाद, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि रिकॉर्डिंग में मौजूद आवाज़ें साइना और गोपाल की हैं.

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