दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
लंबे अरसे बाद टिप्पणी में स्वर्ग में चाय की टपरी की वापसी हो रही है. यह बतकुच्चन साल 2050 की किसी सुबह में दर्ज हुई. सल्तनत-ए- हिंदोस्तान के तमाम राजे महाराजे, पीएम, सीएम ब्रह्मलोक में मौजूद थे. टपरी पर डंकापति उर्फ सनातन चायवाला भी अपना साजो सामान के साथ जमा हुआ था. हिंदुस्तान में संविधान लागू हुए सौ साल होने जा रहे थे. नेहरू और वाजपेयी ने इधर टपरी पर आना कम कर दिया था. गांधीजी को आए भी लंबा अरसा हो गया था.
सबेरे सबेरे कोयले की भट्टी पर चायवाले ने यादवोचित ढंग से दूध में पानी मिलाकर चाय बनाना शुरू कर दिया था. रेडियो उसी खरखराहट के साथ चल रहा था. बदले हुए हिंदुस्तान का संघ समर्पित गीत प्रसारित हो रहा था. तब टपरी पर औरंगजेब और सावरकर का आगमन हुआ. क्या बातचीत हुई, उसे जानने के लिए टिप्पणी देखें.
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