हिंदूवादी संगठन बेरोकटोक काम करते हैं, खासकर जब पुरुष मुसलमान हो तो पुलिस और अधिकारी भी जोड़ों को कम ही सुरक्षा देते हैं.
अंकिता राठौर की उम्र 27 साल है, लेकिन हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा उनकी सलामती को लेकर दी गई धमकियों के बाद अदालत ने उन्हें जबलपुर के बाल आश्रय गृह में भेज दिया था, जहां वो 22 अक्टूबर 2024 से रह रही हैं.
मध्य प्रदेश में दक्षिणपंथियों की नाराजगी की वजह, अंकिता का 29 वर्षीय हसनैन अंसारी से शादी करने का निर्णय है. अंकिता और हसनैन ऐसे कई अंतर्धार्मिक जोड़ों में से एक हैं, जो एक ऐसे राज्य में जहां सरकारी तंत्र हिंदू दक्षिणपंथियों के खिलाफ जाने को तैयार नहीं दिखता, वहां खुद को ‘लव जिहाद’ के प्रचार के सामने खड़ा पाते हैं.
आश्रय गृह में अंकिता की हरकतों और उठने-बैठने पर कड़ी नज़र रखी जाती है, वहां से न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह आमने-सामने जवाब देने के बजाय अपने जवाब लिखना पसंद करेंगी. शायद अंकिता की सुरक्षा के लिए लगाई गई महिला कॉन्स्टेबल की मौजूदगी ने उसे सतर्क कर दिया होगा. पिछले साल अक्टूबर में जब से उसने और हसनैन ने शादी के लाइसेंस के लिए अर्ज़ी डाली है, तब से राज्य के अधिकारी कुछ ख़ास मददगार साबित नहीं हुए हैं. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा उनकी शादी को मंज़ूरी दिए जाने के बावजूद राठौर और अंसारी शादी नहीं कर पाए हैं.
अंकिता ने राज्य प्रशासन को लेकर कहा कि प्रशासन ने मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश द्वारा उन्हें शादी करने की साफ़ अनुमति दिए जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया, उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रही हूं. राज्य प्रशासन के पास हमें नकार देने की कोई वजह नहीं थी. ऐसा लगा मानो हर मोड़ पर हमारे अधिकारों की अनदेखी की जा रही थी, और हमारी सारी कोशिशें बेकार रहीं."
घटनाओं की समयरेखा
7 अक्टूबर, 2024 को अंकिता और हसनैन ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लाइसेंस के लिए अर्ज़ी दाखिल की और 12 नवंबर, 2024 को उनकी शादी होनी थी. विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में उनके जाने के दस दिन बाद 17 अक्टूबर, 2024 को, उनके पिता हीरालाल राठौर ने इंदौर में अंकिता की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.
20 अक्टूबर तक दक्षिणपंथी संगठनों को अंकिता और हसनैन के बारे में पता चल गया था. कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किए, साथ ही हिंदू सेवा परिषद और हिंदू धर्म सेना जैसे संगठनों ने अतिरिक्त कलेक्टर और विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में औपचारिक आपत्तियां दाखिल करीं, जिनमें दावा किया गया कि यह मिलन गैरकानूनी है और इसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह विवाह ‘लव जिहाद’ का एक उदाहरण है. ‘लव जिहाद’ हिंदुत्ववादियों द्वारा अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जिसमें पुरुष मुस्लिम होता है और महिला हिंदू होती है.
जैसे-जैसे तनाव बढ़ता गया, उनके वकील अमानुल्ला उस्मानी ने अपना वकालतनामा वापस ले लिया. उन्होंने पुलिस से मिल रही धमकियों को अपने इस फैसले की वजह बताया, और अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. उस्मानी ने अदालत से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं को सूचित किया जाए कि उन्हें अपना मामला जारी रखने के लिए किसी दूसरे वकील की मदद लेनी होगी.
22 अक्टूबर को अंकिता और हसनैन ने जबलपुर हाईकोर्ट में अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की. हसनैन के चाचा एहसान अंसारी, जो खुद भी एक पत्रकार हैं, ने बताया, "जबलपुर का कोई भी वकील अंतरिम सुरक्षा के लिए केस लेने को तैयार नहीं था, जिसके बाद दिल्ली में हमारे कुछ दोस्तों ने हमें ज्वलंत सिंह चौहान के बारे में बताया, जो इंदौर आए, हमारे लिए लड़ाई लड़ी और सुरक्षा दिलाई."
जस्टिस विशाल धगत की सिंगल बेंच ने अंकिता और हसनैन के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने अंकिता को श्री राजकुमारी बाई बाल निकेतन में रखने का निर्देश दिया और पुलिस को आदेश दिया कि वह हसनैन को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.
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