महाकुंभ की अराजकता में फंसा देश और इलाहाबादिया की अश्लीलता

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

संत रविदास का अमर कथन है- मन चंगा तो कठौती में गंगा. अपनी जान जोखिम में डालकर, मुसीबतों और सांसतों की गठरी सिर पर लादकर गंगा नहाने से बचें. देश के अलग-अलग हिस्सों से हर दिन किसी न किसी दुर्घटना की खबर आ रही है. देश के दूर-दराज तक महाकुंभ के नाम पर फैलाए गए झूठ-सच का असर फैल गया है. ट्रेनों में तोड़फोड़ हो रही है, लोगों की भगदड़ में मौतें हो रही है. शनिवार की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. 

अब सरकार का काम दुर्घटना को रोकना, मैनेज करना या दुर्घटना के पीड़ितों को राहत देना नहीं है. अब सरकार का काम है- दुर्घटना के ऊपर लीपापोती करना. जैसे ही घटना होती है, सरकार का हर महकमा मिलकर लीपापोती में लग जाता है. पहले प्रयागराज में यही हुआ, अब दिल्ली में यही सब हो रहा है. 

इनके लिए आपकी जान से ज्यादा कीमती विश्व रिकॉर्ड है. इसलिए प्रयागराज जाने से बचें. अपने घरों में ही दान-पुण्य करें, स्नान करें. साल के बाकी दिनों में भी गंगा, संगम और प्रयागराज वहीं रहेंगे, कभी और चले जाएं. एक बात का ध्यान रखें कि चाहे प्रयागराज शहर हो या रेलवे स्टेशन, बसअड्डा, ट्रेन, बस या फिर सड़कें हो, इन सबकी एक सीमित क्षमता है. एक लीटर के डब्बे में आप दो लीटर पानी नहीं भर सकते. ये फट जाएगा. आस्था के अंधेपन में उस सीमित क्षमता को नज़रअंदाज न करें.

Also see
article imageमहाकुंभ में 'मोक्ष' पाती जनता और वीआईपी कल्चर के 'वल्चर'
article imageअमेरिका में अंजना और प्रयागराज में सुधीर के बीच चापलूसी प्रतियोगिता

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like