महाकुंभ में 'मोक्ष' पाती जनता और वीआईपी कल्चर के 'वल्चर'

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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प्रयागराज में एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ. भगदड़ में बहुत से लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों की तादाद पर अभी भी संदेह बना हुआ है. जो नेता आगे बढ़-चढ़ कर लोगों को कुंभ में आने के लिए उकसा रहे थे, वो इस हादसे की जिम्मेदारी लेने में सबसे पीछे नज़र आ रहे हैं.  सनातन के नाम पर इससे बड़ा पाखंड क्या होगा कि मरने वालों को रिकॉर्ड में दर्ज होने लायक भी नहीं समझा गया. 

हिंदुस्तानियों के खून में जो ऊंच-नीच और जात-पांत का मवाद भरा है वह अब वीआईपी कल्चर के रूप में आगे बढ़ रहा है. हर आदमी अपनी औकात भर वीआईपी जगह घेर कर स्नान और दर्शन करने जाता है. भगदड़ से तीन दिन पहले से लोगों की शिकायतें आ रही थी कि वीआईपी लोगों की सुविधा के लिए आम लोगों के पैंटून ब्रिज बंद कर दिए गए. पैदल जाने वाले एक ही पुल पर फंसे हुए हैं, और वीआईपी कारें सीधे वीआईपी घाट तक फर्राटा भर रही थी. 

इस हफ्ते नई टिप्पणी नहीं है. आज हम आपके लिए कुछ पुरानी टिप्पणियों का एक गुलदस्ता लेकर आए हैं. क्योंकि कुछ जरूरी काम के चलते इस हफ्ते नई टिप्पणी रिकॉर्ड नहीं हो सकी है.  

आनंद लीजिए टिप्पणी का कुछ पुरानी यादों के साथ.

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