दिल्ली चुनाव: ‘आप’ के वादे पर पुजारियों-ग्रंथियों को कितना विश्वास

भारतीय जनता पार्टी ने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए 18,000 रुपये मानदेय देने के आम आदमी पार्ट के वादे पर सवाल उठाया था. 

बीते दिसंबर में, आम आदमी पार्टी (आप) ने पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की.  इस योजना के तहत, पार्टी ने वादा किया कि अगर वह चौथी बार सत्ता में आई तो मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये मानदेय के तौर पर दिए जाएंगे. यह देश में अपनी तरह की पहली योजना है. 

8 जनवरी को दिल्ली में ‘आप’ के मुख्यालय में एक कार्यक्रम में, पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने महंतों और शंकराचार्यों का आशीर्वाद लिया. केजरीवाल ने अपने भाषण की शुरुआत ‘जय श्री राम’ के नारे से की. कार्यालय भगवा झंडों से अटा पड़ा था. श्लोक पढ़े जा रहे थे और जय श्री राम के नारे लगाए जा रहे थे. 

इस घोषणा का धरातल पर क्या असर है ये जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने पुजारियों से बात की. हमने उनसे पूछा कि उनके लिए इस योजना का क्या मतलब है. उनमें से कुछ ने इसे “चुनावी स्टंट” कहा और संदेह जताया कि क्या पार्टी इस योजना को लागू करेगी. वहीं, कुछ ने ये भी कहा कि पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें यकीन है कि आम आदमी पार्टी इस वादे को पूरा करेगी.

गौरतलब है कि योजना के ऐलान को लेकर भाजपा ने केजरीवाल को ‘चुनावी हिंदू’ कहा था और योजना के वित्तीय पहलू पर भी सवाल उठाए थे. भाजपा ने यह भी पूछा कि ‘आप’ मौलवियों को 17 महीनों से उनका मानदेय क्यों नहीं दे रही है. जवाब में, पार्टी ने भाजपा को उन राज्यों में भी ऐसी ही योजनाएं शुरू करने की चुनौती दी, जहां वह सत्ता में है.

देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट. 

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