दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
जाड़ा अपने प्रचंड आवेग में था. हस्तिनापुर के ऊपर धुंध और कोहरे के बादल अभी भी जमे हुए थे. रियाया बेसब्री से सूर्य देवता के उत्तरायण की प्रतीक्षा कर रही थी. स्वयं धृतराष्ट्र की भी दिली तमन्ना थी कि मकर संक्रांति का सूरज उगे और दरबार खुल्ले में आयोजित हो, लेकिन दरबार की मजबूरी थी, उसे तो लगना ही था.
टिप्पणी में दूसरी महत्वपूर्ण चर्चा गोदी मीडिया के एंटी थीसिस पर. जैसे मोदीजी का अपना दरबारी मीडिया है, उसी तरह विपक्षी दलों का भी अपना एक दरबारी मीडिया खड़ा हो चुका है. आम आदमी पार्टी इस मामले में बाकियों से इक्कीस है.
इस ग्रुप के झंडाबरदार हैं संजय शर्मा, फोर पीएम वाले. संजय शर्मा विस्फोटक पत्रकार हैं. धमाके बिना उनसे पत्रकारिता होती ही नहीं. संजय जी की पत्रकारिता का नाम फोर पीएम है लेकिन उनका अंदाज़ एट पीएम वाला होता है. उनकी खबरें एक सुरूर की तरह हैं. जिसके ऊपर चढ़ती हैं उसे अगले दिन तक हैंगओवर बना रहता है. टिप्पणी देखिए और अपनी प्रतिक्रिया दीजिए, हो सके तो न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कर लीजिए.